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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

BASIC SHIKSHA, GRATUITY, TRANSFER : यूपी कैबिनेट लिया निर्णय बिना नॉमिनी हो सकेगा ग्रेच्युटी का भुगतान, शिक्षकों की तबादला नीति बदलाव क्लिक कर देखें।

BASIC SHIKSHA, GRATUITY, TRANSFER : यूपी कैबिनेट लिया निर्णय बिना नॉमिनी हो सकेगा ग्रेच्युटी का भुगतान, शिक्षकों की तबादला नीति बदलाव क्लिक कर देखें।

 सीएम योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने सोमवार को कई अहम फैसलों पर मुहर लगाई। इसमें सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक तबादलों की प्रक्रिया में बदलाव है। 

सीएम योगी आदित्यानाथ की कैबिनेट ने सोमवार को कई अहम फैसले लिए। ये फैसले जनता से सीधे जुड़े हुए रहे। शिक्षकों की तबादला नीति में बदलाव एक अहम फैसला रहा। इसके अलावा ग्रेच्युटी के भुगतान नियमों में भी बदलाव हुआ। 

बिना नॉमिनी भी हो सकेगा ग्रेच्युटी का भुगतान

 प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनिफिट्स रूल्स 1961 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा में रहते हुए अथवा सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेच्युटी की धनराशि प्राप्त किए बिना हो जाती है और उसने अपने पीछे कोई परिवार नहीं छोड़ा है और न ही कोई नॉमिनी बनाया है तो ऐसी स्थिति में ग्रेच्युटी का भुगतान उस व्यक्ति को किया जा सकेगा कि जिसके पक्ष में न्यायालय द्वारा उत्तराधिकार प्रमापत्र दिया गया हो। पहले ऐसे व्यक्ति की ग्रेच्युटी का पैसा सरकारी खजाने में चला जाता था। सोमवार को कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि ग्रेच्युटी को लेकर बड़ी राहत दी गई है। अभी तककोई सरकारी कर्मचारी यदि अपने पीछे कोई वारिस या नामिनी नहीं छोड़ जाता है तो उसका पैसा सरकार के पास चला जाता था। अब अगर कोई उत्तराधिकारी होने का दावा करता है तो उसे सक्षम न्यायालय से आदेश या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र लाना होगा तो ग्रेच्युटी का पैसा दे दिया जाएगा। इस फैसले से हजारों की संख्या में लावारिस धनराशि को उनका वारिस मिल जाएगा।

लखनऊ समेत 10 शहरों में खुलेंगे बाल संरक्षण गृह

मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना के तहत लखनऊ समेत प्रदेश के 10 शहरों में 10 बाल संरक्षण गृह खुलेंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी। जिन शहरों में बाल सरंक्षण गृह बनना है, उनमें लखनऊ के अलावा अयोध्या, अमेठी, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, फिरोजाबाद, बस्ती, झांसी व कानपुर देहात शामिल हैं। महिला कल्याण विभाग के इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

प्रमुख सचिव महिला कल्याण लीना जौहरी ने बताया कि प्रस्तावित बाल संरक्षण गृहों में एक-एक राजकीय बालक व बालिका के अलावा 7 राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) व किशोर न्याय बोर्ड और एक प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह बनाएं जाएंगे। इनके निर्माण के लिए सरकार ने बजट की व्यवस्था की है। इन संरक्षण गृहों के निर्माण पर खर्च होने वाली राशि में 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के तहत प्राप्त होगी, जबकि शेष धनराशि राज्य सरकार देगी।

दूसरे राज्यों में पंजीकृत सोसायटी, न्यास भी स्थापित कर सकेंगे निजी विवि

किसी दूसरे राज्य में नियमानुसार पंजीकृत सोसाइटी, न्यास, कंपनियां भी उत्तर प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय स्थापित कर सकेंगी। इसके लिए कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 में संशोधन को भी मंजूरी दे दी है। यह संशोधन अधिनियम की धारा 2 की उप धारा (क) में किया गया है।

उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि इसके अलावा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी (भारत में विदेशी उच्चतर शिक्षा संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन) विनियम 2023 के तहत विदेशी विश्वविद्यालयों को प्रदेश में अपने परिसर स्थापित करने की अनुमति देने का भी प्रावधान जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि यह कदम शिक्षकों और छात्रों के लिए नई संभावनाएं लेकर आएगा। इस बदलाव से निजी विश्वविद्यालयों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने का अवसर मिलेगा, जो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा।

सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों को अब तीन साल में मिलेगा तबादले का अवसर

UP Cabinet: Gratuity can be paid even without a nominee, transfer policy of teachers changed, know five big de

 प्रदेश सरकार ने सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। प्रदेश के 331 एडेड कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को पांच साल की न्यूनतम सेवा की जगह सिर्फ 3 साल की सेवा के बाद तबादले का अवसर मिल सकेगा। कैबिनेट ने सोमवार को इसके लिए उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानांतरण नियमावली 2024 को मंजूरी दी है।

उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि नई उच्चतर सेवा नियमावली 2024 के अनुसार प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षक जो नियमित आधार पर नियुक्त और स्थायी हैं। अब केवल तीन साल की सेवा के बाद अपने तबादले का आवेदन कर सकेंगे। नई नियमावली में यह प्रावधान किया गया है कि शिक्षक अपने पूरे सेवाकाल में सिर्फ एक बार तबादले के हकदार होंगे। इस निर्णय से घर से दूर सेवा दे रही महिला व अन्य शिक्षकों को काफी राहत मिलेगी।

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 को हाल ही में लागू किया है। इस अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम-1980 को निरस्त कर दिया गया है। इससे 1980 के अधिनियम के तहत जारी तबादले के नियम स्वतः समाप्त हो गए हैं। इसके बाद 2005 में जारी नियमावली भी निरस्त कर दी गई है। अब नई नियमावली प्रभावी होगी। इसके तहत शिक्षक अपने कॉलेज के प्रबंधतंत्र और विश्वविद्यालय के अनुमोदन के साथ तबादले का आवेदन कर सकेंगे। इसे निदेशक उच्च शिक्षा को देना होगा।

उन्होंने कहा कि इससे तबादला प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता आएगी, साथ ही अनावश्यक देरी से भी बचा जा सकेगा। नई नियमावली से सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों को उनकी सेवाओं में स्थायित्व और संतोष मिलेगा। शिक्षकों को उनके घर के पास क्षेत्रों में तबादले का विकल्प मिलेगा। इसससे शिक्षण कार्य में अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता आएगी। प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षकों के तबादला नियमों में किए गए इस बदलाव से शिक्षा संस्थानों में गुणवत्ता भी सुधरेगी। बता दें कि प्रदेश के लगभग 331 एडेड महाविद्यालयों में लगभग 10 हजार शिक्षक कार्यरत हैं। जो लंबे समय से तबादला नीति में संशोधन की मांग कर रहे थे।

पीसीएफ और पीसीयू को लोन के लिए सरकारी गारंटी को मंजूरी

कैबिनेट ने धान खरीद के लिए उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) और उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव यूनियन (पीसीयू) को राष्ट्रीयकृत बैंक से अल्पकालिक ऋण लेने के लिए शासकीय गारंटी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पीसीएस के लिए 4000 करोड़ रुपये और पीसीयू के लिए 1000 करोड़ रुपये की गारंटी दी गई है। पीसीएफ ही उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ (यूपीएसएस) को राष्ट्रीयकृत बैंक से लिए गए अपने लोन का कुछ हिस्सा देगा।
आभार साभार-अमर उजाला 

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