25 सितंबर 2024 को माननीय उच्च न्यायालय, लखनऊ की एकलपीठ के जस्टिस मनीष माथुर ने एक अहम फैसला सुनाया। अनिल बाजपेई और एक अन्य द्वारा दायर याचिका में ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर के पद पर नियुक्ति के अधिकार के मामले पर न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिया।
मामला यह था कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति की मांग 1992 की सेवा नियमावली के तहत थी, लेकिन सरकार ने 10 अप्रैल 2003 के एक आदेश का हवाला देकर उनके आवेदन को खारिज कर दिया था। न्यायालय ने इस सरकारी आदेश को असंवैधानिक मानते हुए स्पष्ट किया कि केवल संविधान के अनुसार बने नियमों में ही संशोधन किया जा सकता है।
न्यायाधीश ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत बनाए गए नियमों का कानूनी दर्जा होता है और इन नियमों को केवल संवैधानिक प्रावधानों के तहत ही बदला जा सकता है। इसलिए, 10 अप्रैल 2003 के सरकारी आदेश को निरस्त करते हुए, न्यायालय ने कहा कि इस आदेश का कोई कानूनी आधार नहीं है और इसे रद्द कर दिया गया।
न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि आठ सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति पर फिर से विचार किया जाए और संबंधित अधिकारियों को इस निर्णय का पालन करने के लिए कहा।
इस फैसले के बाद याचिकाकर्ताओं को न्याय मिला है और उनके ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर के पद पर नियुक्ति की संभावनाएं फिर से खुल गई हैं।
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