BOOK, BUDGET, BASIC SHIKSHA : फाइलों में खामोश अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुंदेली, शब्दकोष तैयार पर बजट के अभाव में छह माह बाद भी छपाई का इंतजार, राज्य शिक्षा संस्थान ने आंचलिक भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए की थी पहल
प्रयागराज। बोलियों के स्तर पर विविधता वाले प्रदेश में बच्चों के लिए राज्य शिक्षा संस्थान ने अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुंदेली के 76,000 शब्दों का कोष तैयार किया है। इसकी चार किताव बनाई गई है। यह किताबें सभी विद्यालयों में नए सत्र यानी मार्च-अप्रैल-2024 तक पहुंचा दी जानी थी, लेकिन बजट न मिलने से अब तक छपाई भी नहीं हो सकी है।
प्रदेश के अवध क्षेत्र में अवधी तो पूर्वांचल में भोजपुरी लोकप्रिय है। बुंदेलखंड में बुंदेली तो पश्चिमी यूपी के कई जिलों में ब्रज बोली जाती है, लेकिन अंग्रेजी के आगे क्षेत्रीय भाषा स्कूलों में उपेक्षित सी हो रही है।
गांव-गांव में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय खुलते जा रहे हैं। नई पीढ़ी के बच्चे आंचलिक बोली और भाषा से धरि-धीरे दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में पिछले वर्ष स्कूल शिक्ष के तत्कालीन महानिदेशक विजय किरण आनंद के निर्देश पर राज्य शिक्षा संस्थान ने अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुंदेली का शब्दकोष तैपार करना शुरू किया।
कई महीने की मशक्कत के बाद राज्य शिक्षा संस्थान की टीम ने 76,000 शब्द तैयार किये। इसकी चार किताबें बनाई गई। चलन से बाहर हो रहे तमाम शब्दों को इसमें शामिल किया गया। किताब बनने के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों ने इसकी सराहना की। विमोचन भी कर दिया गया। कॉपी राइट भी कराने की प्रक्रिया चल रही है. लेकिन उद्देश्य से कोसों दूर है। दरअसल, इन किताबों को प्रदेश भर के सवा लाख परिषदीय विद्यालयों में भिजवाना था।
इसकी छपाई के लिए राज्य शिक्षा संस्थान से करीब साढ़े चार करोड़ का बजट बनाकर स्कूल शिक्षा के महानिदेशक कंचन वर्मा के पास भेजा गया पर बजट की स्वीकृति न होने के कारण आग तक छपाई नहीं हो सकी है।
0 Comments