BASIC SHIKSHA, MRITAK ASHRITA : क्लर्क के पदों की कमी और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी का विकल्प स्वीकार न होने के चलते 789 मृतक आश्रितों की नौकरी का मामला लटका
लखनऊ: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद में 789 मृतक शिक्षकों के आश्रितों की नौकरी के मामले अब भी अटके हुए हैं। यह आश्रित अपने भविष्य को लेकर किसी ठोस फैसले का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, और कंपोजिट विद्यालयों में सेवा के दौरान इन शिक्षकों का निधन हो गया था। अब उनके परिवारों को नौकरी देने की प्रक्रिया कई बाधाओं के चलते लटकी हुई है।
क्लर्क के पदों की कमी, चतुर्थ श्रेणी की नौकरी का विकल्प अस्वीकार्य
ज्यादातर मामले इसलिए लंबित हैं क्योंकि परिषद में क्लर्क के पद खाली हैं। दूसरी ओर, मृतक आश्रितों को चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति का विकल्प दिया गया है, जिसे वे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में परिवारों के लिए उचित रोजगार का सवाल बना हुआ है। विभागीय अधिकारी इस संकट का समाधान खोजने में लगे हैं, लेकिन स्थिति अब तक सुधरी नहीं है।
5 साल बाद आवेदन का मुद्दा, चयन प्रक्रिया प्रभावित
कई मामलों में मृतक आश्रितों ने पांच साल तक आवेदन नहीं किया। इसके चलते उनका चयन और नियुक्ति कठिन हो गई है। ऐसे परिजनों ने पांच साल के बाद नौकरी के लिए आवेदन किया है, और अब उनके आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए शासन से मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
खंड शिक्षा अधिकारी स्तर पर लंबित मामले
कई नियुक्तियों के मामले खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) स्तर पर वर्षों से लंबित पड़े हैं। उदाहरण के लिए, अलीगढ़ के कंपोजिट विद्यालय शादीपुर टप्पल के प्रधानाध्यापक अजय कुमार अत्री का निधन दो मई 2021 को हुआ था। उनके आश्रित मोहित अत्री की नियुक्ति का मामला अब तक बीईओ स्तर पर अटका हुआ है। यह मामला साफ तौर पर विभागीय ढील और सुस्ती को उजागर करता है।
बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से शासन को सूचना
परिषद मुख्यालय से नियुक्ति के सभी लंबित प्रकरणों की सूचना शासन को भेजी जा चुकी है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि मृतक आश्रित प्रकरणों में नियुक्ति प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है, लेकिन व्यवस्था में आ रही चुनौतियां और पदों की कमी इस प्रक्रिया को और जटिल बना रही है।
प्रदेश के शिक्षकों के मृतक आश्रितों की नियुक्ति का यह मामला केवल तकनीकी और प्रशासनिक देरी का ही नहीं, बल्कि संवेदनहीनता और लचर व्यवस्था का प्रतीक बनता जा रहा है। जब तक इन परिवारों के लिए स्थायी समाधान नहीं निकाला जाता, बेसिक शिक्षा विभाग में यह मामला गंभीर रूप से लंबित रहेगा।
बेसिक शिक्षा में 789 मृत आश्रितों की नौकरी के मामले लटके,
क्लर्क के पद खाली नहीं, चतुर्थ श्रेणी पर कार्य करने को परिजन राजी नहीं
कई मामलों में निधन के पांच साल तक मृतक आश्रित की नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं करने के कारण चयन मुश्किल हो गया है। ऐसे परिजनों ने 5 साल बाद आवेदन किया जिस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है।
यूपी के 789 मृत शिक्षकों के आश्रितों की नौकरी का मामला लटका हुआ है। इन्हें अपने बारे में किसी फैसले का इंतजार है। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में सेवा के दौरान इन शिक्षकों का निधन हो गया था। अधिकांश मामले इसलिए लंबित हैं क्योंकि विभाग में क्लर्क के पद खाली नहीं हैं और नियुक्ति के लिए आवेदन करने वाले मृतक आश्रित चतुर्थ श्रेणी के पद पर काम करने को राजी नहीं हैं।
परिषद मुख्यालय की ओर से नियुक्ति के सभी प्रकरणों की सूचना शासन को भेज दी गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी का कहना है कि मृतक आश्रित प्रकरणों में नियुक्ति प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है।
दो-तीन साल से खंड शिक्षा अधिकारी स्तर पर लंबित मामले
कई मामले खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) स्तर पर लंबित हैं। कंपोजिट विद्यालय शादीपुर टप्पल अलीगढ़ के प्रधानाध्यापक रहे अजय कुमार अत्री का निधन दो मई 2021 को हो गया था। उनके आश्रित मोहित अत्री की नियुक्ति का मामला बीईओ स्तर पर लंबित है।
पांच साल बीतने के कारण कई का चयन फंसा
कई मामलों में निधन के पांच साल तक मृतक आश्रित की नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं करने के कारण चयन मुश्किल हो गया है। ऐसे परिजनों ने पांच साल बाद आवेदन किया जिस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है।
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