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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

MADARSA : मदरसों की शिक्षा का स्तर सही नहीं मदरसा शिक्षा को शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के खिलाफ बताया- आयोग

MADARSA : मदरसों की शिक्षा का स्तर सही नहीं मदरसा शिक्षा को शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के खिलाफ बताया- आयोग
नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि मदरसे में दी जाने वाली शिक्षा व्यापक नहीं है। आयोग ने मदरसा शिक्षा को शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के खिलाफ बताया है।

आयोग ने शीर्ष अदालत में कहा, बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहने के कारण मदरसा बच्चों के अच्छी शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन कर रहे हैं। आयोग ने कहा, मदरसे में बच्चों को न केवल उपयुक्त शिक्षा बल्कि स्वस्थ माहौल और विकास के बेहतर अवसरों से भी वंचित किया जा रहा है। मदरसे में गैर-मुस्लिमों को इस्लामी धार्मिक शिक्षा भी दी जा रही जो अनुच्छेद 28 (3) का उल्लंघन है।

'कामिल और फाजिल' डिग्री के आधार पर नहीं मिल सकती नौकरीः यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यूपी मदरसा बोर्ड द्वारा स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर दी जाने वाली 'कामिल और फाजिल' डिग्रीके आधार पर युवाओं को न तो राज्य और न ही भारत सरकार में नौकरी मिल सकती है। कोर्ट में दाखिल हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि मदरसा बोर्ड की डिग्रियों को को किसी यूनिवर्सिटी की डिग्री के समकक्ष नहीं हैं और न ही किसी बोर्ड के पाठ्यक्रम या विश्वविद्यालय के किसी डिग्री के विकल्प के रूप में मान्यता दी गई है। सरकार ने बताया कि ऐसे में, मदरसा बोर्ड से स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई करने वाले छात्र केवल उन्हीं नौकरियों के लिए ही योग्य हो सकते हैं जिनके लिए हाईस्कूल/इंटरमीडिएट योग्यता की आवश्यकता होती है।

कामिल-फाजिल डिग्री न्यूनतम शैक्षिक योग्यताएं

इसके अलावा, राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर, यूपी मदरसा बोर्ड अरबी-फारसी और दीनयात विषयों की शिक्षा के लिए विशेष पाठ्यक्रम क्रमशः कामिल और फाजिल डिग्री प्रदान करता है। यह मदरसों में अरबी- फारसी और दीनयात विषयों की शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक न्यूनतम शैक्षिक योग्यताएं हैं। यूपी सरकार ने यह स्पष्ट किया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का जो भी आदेश होगा, उसका पालन किया जाएगा।

 काम करने का तरीका भी मनमाना - आयोग ने कहा कि मदरसे में बच्चों को न केवल उपयुक्त शिक्षा बल्कि स्वस्थ माहौल और विकास के बेहतर अवसरों से भी वंचित किया जा रहा है। आयोग ने कहा कि ऐसे संस्थान में शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चे मुख्य धारा के स्कूल में प्रदान किए जाने वाले स्कूली पाठ्यक्रम के बुनियादी ज्ञान से वंचित होंगे। एनसीपीसीआर ने मदरसा न सिर्फ शिक्षा के लिए असंतोषजनक और अपर्याप्त मॉडल है बल्कि उनके काम करने का तरीका भी मनमाना है, जो पूरी तरह से शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 29 के तहत निर्धारित पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रक्रिया के अभाव में है।

■ प्रभात कुमार

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