केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को भरोसा जताया कि नई शिक्षा नीति देश से प्रतिभाओं का पलायन रोकने में मददगार साबित होगी। उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में शोध और अनुसंधान की गति बढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही, ज्ञान के अंतरराष्ट्रीय आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
इंदौर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के आठवें दीक्षांत समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंस से शामिल हुए निशंक ने कहा,‘‘भारत के 7.5 लाख से आठ लाख विद्यार्थी विदेशी संस्थानों में पढ़ रहे हैं। इससे 1.5 लाख करोड़ रुपये देश से बाहर चले जाते हैं। यानी हमारी प्रतिभाएं और पैसा, दोनों देश से बाहर जा रहे हैं।’’ केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम स्टे इन इंडिया (भारतीय विद्यार्थियों का देश में ही उच्च शिक्षा हासिल करना) अभियान के तहत उच्च शिक्षा के पैमानों पर अपने देश को मजबूत करेंगे। इसके लिए नई शिक्षा नीति के माध्यम से शोध और अनुसंधान की गति तेज की जाएगी।’’
उन्होंने रेखांकित किया, ‘‘भारत में पढ़े कई विद्यार्थी आज गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कम्पनियों में शीर्ष पदों पर काम कर रहे हैं। जब हमारे देश में ही अच्छे उच्च शिक्षा संस्थान हैं, तो विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए विदेश जाने की क्या जरूरत है?’’ निशंक ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को भारत में आमंत्रित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार स्टडी इन इंडिया अभियान के तहत उच्च शिक्षा के मामले में भारत को अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनाना चाहती है।
नई शिक्षा नीति भारतीय जीवन मूल्यों पर केंद्रित
उन्होंने बताया कि कोविड-19 के प्रकोप से पहले अलग-अलग देशों के करीब 50,000 नए विद्यार्थियों ने भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ने के लिए पंजीयन कराया था। लेकिन महामारी के संकट के बाद इस काम की गति थोड़ी धीमी पड़ गई। मंत्री ने जोर देकर कहा, ‘‘हमारी नई शिक्षा नीति भारतीय जीवन मूल्यों पर केंद्रित है। इस नीति से अगले एक-दो साल के भीतर देश के शिक्षा जगत में बड़ा परिवर्तन दिखाई देगा।’’
स्कूली स्तर से ही कृत्रिम मेधा की पढ़ाई होगी
निशंक ने बताया कि भारत दुनिया का संभवत: पहला देश है जो स्कूली स्तर से ही कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) पढ़ाना शुरू करने जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा, ‘‘लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति ने हमें अपनी जड़ों से दूर कर दिया था। सैकड़ों बरसों तक गुलामी के थपेड़ों ने हमें ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया था कि हम जब अपने प्राचीन ज्ञान की बात करते थे, तो हमारी हंसी उड़ाने की कोशिश होती थी।’’
412 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं
उन्होंने कहा, ‘‘अब हमारे सामने यह चुनौती है कि हम भास्कराचार्य, सुश्रुत, चरक और आर्यभट्ट जैसे प्राचीन भारतीय विद्वानों की विरासत को नए अनुसंधान के साथ कहां तक आगे बढ़ा सकते हैं?’’ आईआईटी के आठवें दीक्षांत समारोह में अलग-अलग संकायों के कुल 412 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं। इनमें बी. टेक पाठ्यक्रम के 233 विद्यार्थी और एम. टेक पाठ्यक्रम के 57 विद्यार्थी शामिल हैं।
0 Comments