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SUPREME COURT, SHIKSHAK BHARTI : यूपी के 69 हजार असिस्टेंट टीचर भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया

SUPREME COURT, SHIKSHAK BHARTI : यूपी के 69 हजार असिस्टेंट टीचर भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया

● यूपी के 69 हजार असिस्टेंट टीचर भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया

● 69000 भर्ती में कटऑफ बढ़ाना गलत नहीं,  सरकार का सुप्रीमकोर्ट में पक्ष

● बच्चों की शिक्षा की किसी को परवाह नहीं : 69,000 शिक्षक भर्ती मामले पर बोले बीएड उम्मीदवारों के वकील साल्वे

● सभी 45000 शिक्षा मित्रों को शिक्षक नियुक्त किया जाए , सुप्रीमकोर्ट में शिक्षामित्रों की मांग


UP Assistant Teacher Recruitment Case: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के 69 हजार असिस्टेंट टीचरों की भर्ती मामले में हुई बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।


● सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि क्या कटऑफ फीसदी बदली जा सकती है
● क्या बीएड स्टूडेंट पेपर में बैठने के लिए पात्रता रखते हैं
● शिक्षा मित्रों की है दलील, बीच एग्जाम में कटऑफ बदलकर 65-60 फीसदी किया गया


यूपी के 69 हजार असिस्टेंट टीचरों की भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला जल्द सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में हुई बहस के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट इस बात को तय करेगा कि परीक्षा के बीच में क्या कटऑफ बदलकर 60-65 फीसदी किया जा सकता है? इस मामले में शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट इस बात पर भी फैसला देगा कि क्या बीएड स्टूडेंट इस पेपर में बैठने की योग्यता रखते हैं।



सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में कहा कि तमाम पक्षकार तीन दिनों में जो भी लिखित दलील पेश करना चाहते हैं वह पेश कर सकते हैं। अदालत ने इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। मामले में शुक्रवार को शिक्षामित्रों की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन और राकेश द्विवेदी की ओर से दलील दी गई कि असिस्टेंट टीचर की भर्ती परीक्षा में सामान्य वर्ग के लिए कटऑफ 45 फीसदी और रिजर्व कैटगरी के लिए 40 फीसदी रखा गया था। लेकिन पेपर के बीच में उसे बढ़ा दिया गया और उसे 65-60 फीसदी कर दिया गया। ये गैर कानूनी कदम है क्योंकि पेपर के बीच में कटऑफ नहीं बढ़ाया जा सकता है। साथ ही दलील दी गई कि बीएड स्टूडेंट इस असिस्टेंट टीचर की परीक्षा के लिए पात्रता नहीं रखते क्योंकि उन्होंने ब्रिज कोर्स नहीं किया है। असिस्टेंट टीचरों के लिए ये जरूरी है कि आवेदक छह महीने का ब्रिज कोर्स करें।


SC ने 37 हजार पदों को भरने से रोका था
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की दलील का यूपी सरकार ने विरोध किया और यूपी सरकार की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने दलील दी कि कटऑफ तय करना गलत नहीं है और बीच परीक्षा में भी ये हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 9 जून को यूपी सरकार से कहा था कि वह सहायक टीचरों की भर्ती के दौरान 37 हजार पदों को फिलहाल न भरें।


शिक्षा मित्रों की ओर से दी गई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
यूपी में 69 हजार असिस्टेंट टीचरों की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। ऐसा अनुमान से बताया जा रहा है कि करीब 37 हजार शिक्षा मित्र हैं जिन्हें असिस्टेंट टीचर की परीक्षा में 40 से 45 फीसदी नंबर आए हैं। यूपी के 69 हजार असिस्टेंट टीचरों की भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। यूपी सरकार ने टीचरों की भर्ती में एग्जाम के बाद कट ऑफ तय किया था जिसे शिक्षा मित्रों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।


69000 भर्ती में कटऑफ बढ़ाना गलत नहीं,  सरकार का सुप्रीमकोर्ट में पक्ष
 
प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और वकील राकेश मिश्रा ने कहा, कटऑफ बढ़ाना गलत नहों है। भले ऐसा परीक्षा प्रक्रिया के बीच में क्यों न किया गया हो। साथ ही कहा कि एनसीटीई के कानून में बीएड के छात्रों को परीक्षा में बैठने की पात्रता दी गई है और राज्य सरकार उस कानून को मानने के लिए बाध्य है। 


दरअसल, इलाहाबाद की लखनऊ पीठ के 6 मई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस फैसले में हाईकोर्ट ने यूपी बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के कट ऑफ बढ़ाने के निर्णय को सही ठहराया था।


बच्चों की शिक्षा की किसी को परवाह नहीं : 69,000 शिक्षक भर्ती मामले पर बोले साल्वे

यूपी में 69,000 सहाय्रक शिक्षकों को भर्ती मामले पर सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ बकील हरीश साल्बे ने कहा कि यह दुखद है कि यहां बहस इस बात तक सीमित है कि रियायत पाकर शिक्षक पद हासिल किया जाए। किसी को बच्चों की परवाह नहीं। शुक्रवार को करीब तीन घंटे की बहस के बाद कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया। शीर्ष अदालत ने सभी पक्षकारों से तीन दिन में अपना लिखित जबाब दाखिल करने को कहा है।

कोर्ट को इस पर फैसला सुनाना है कि भर्ती परीक्षा में कट- ऑफ 60-65 फीसदी रखना सही है या नहीं। इसके अलावा अदालत यह भी तय करेगी कि क्‍या सहायक शिक्षक के पद के लिए बीएड छात्र पात्रता रखते हैं या नहीं। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष बीएड उम्मीदवारों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सालवे ने कहा, इस मामले में छात्रों को लेकर कोई बहस नहीं हो रही है। छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इस पर किसी का ध्यान नहीं है। उनके मौलिक अधिकारों की तो बात ही नहीं हो रही है। शिक्षामित्र सहित अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील रकेश द्विवेदी और राजीव धवन ने कहा, पिछली भर्ती परीक्षा में सामान्य वर्ग के छात्रों का कटऑफ 45 फोसदी और आरक्षित बर्ग के लिए 40 फीसदी था। इस बार इसे बढ़ाकर 65 और 60 फीसदी कर दिया गया।


सभी 45000 शिक्षा मित्रों को शिक्षक नियुक्त किया जाए , सुप्रीमकोर्ट में शिक्षामित्रों की मांग
 
नई दिल्ली : उप्र के शिक्षामित्रों की ओर से शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में बैठे करीब 45000 शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक नियुक्त किया जाए। उनका कहना है कि सभी ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास की है। यह भी दलील दी गई कि 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए जो ये पद निकाले गए हैं, ये सहायक शिक्षक के तौर पर नियमित हुए 1,37,500 शिक्षामित्रों को वापस शिक्षामित्र बनाये जाने से सृजित हुए हैं, इसलिए इन पदों पर शिक्षामित्रों का ही अधिकार बनता है। 


हालांकि बीएड और बीटीसी अभ्यर्थियों तथा उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों की याचिका का विरेध किया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 69,000 पदों पर भर्ती का है। शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर भर्ती परीक्षा में न्यूनतम योग्यता अंक सामान्य वर्ग के लिए 65 फीसद और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसद स्खे जाने को चुनौती दी है। उनकी मांग है कि न्यूनतम योग्यता अंक पूर्व भर्ती परीक्षा को तरह 45 और 40 फोसद ही होने चाहिए। 


सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कह्य कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को आनंद कुमार यादव के केस में फैसला देते हुए शिक्षामित्र से सह्ययक शिक्षक पद पर नियमित हुए 1,37,500 शिक्षामित्रों का नियमन रद कर दिया था। उस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछली बार 68,500 और इस बार 69,000 सह्ययक शिक्षकों की भर्ती निकाली है। दोनों भर्तियों को अगर मिलाया जाए तो कुल वही पद हैं जो शिक्षामित्रों से खाली हुए हैं। धवन ने कहा कि तब शिक्षामित्रों की भर्ती इसलिए रद हुई थी कि वे टीईटी पास नहीं थे, अब एटीआर परीक्षा में बैठे सभी लगभग 45000 शिक्षामित्रों टीईटी पास कर लिया है। ऐसे में उन सभी को सहायक शिक्षक नियुक्त किया जाना चाहिए। शेष सीटों पर अभ्यर्थियों की मेरिट तय होनी चाहिए। लेकिन बीएड अभ्यर्थियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने इन दलील का विरोध किया।

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