SHIKSHAK BHARTI, ALLAHABAD HIGHCOURT : 69000 भर्ती में इंटर, बीए के अंक गलत भरने वालों को राहत देने से इंकार, याचिकाएं खारिज।
69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के लिए ऑन लाइन आवेदन में इंटर मीडिएट और बीए के अंक, पिता की जगह माता का और माता की जगह पिता का नाम भर देने वाले अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट ने राहत देने से इंकार कर दिया है। आवेदन फार्म की गलती सुधारने का मौका देने के लिए दाखिल दर्जनों याचिकाएं हाईकोर्ट ने खारिज कर दी हैं। कोर्ट ने कहा कि भर्ती के विज्ञापन और शासनादेश तथा आवेदन भरते समय दिए गए निर्देशों में स्प्ष्ट है कि आवेदन फार्म एक बार सबमिट करने के बाद किसी दशा में सुधार का मौका नहीं दिया जाएगा।
रुखसार खान सहित दर्जनों अन्य याचिकाओं पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने यह फैसला सुनाया। प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता विक्रम बहादुर सिंह याचिकाओं का प्रतिवाद किया। तमाम अभ्यर्थियों ने याचिकाएं दाखिल कर कहा था कि सहायक अध्यापक भर्ती का आवेदन करते समय मानवीय त्रुटि के चलते उनके ऑन लाइन आवेदन गलत हो गए हैं।
इनमें सेकिसी ने अपना इंटरमीडिएट का अंक गलत भर दिया था जिसे ने स्नातक तथा कुछ ने बीएड का। जबकि कई ऐसे भी थे जो अपनी आरक्षण श्रेणी और विशेष आरक्षण श्रेणी भरना भूल गए थे। एक अभ्यर्थी ने अपने पिता के नाम की जगह मां का नाम और मां की जगह पिता का नाम भर दिया था। इन सब ने आवेदन पत्र में की गई त्रुटि को मानवीय भूल बताते हुए सुधार करने का आदेश देने की मांग की थी। याचीगण के वकीलों की दलील थी कि लोक पदों पर नियुक्ति के समय मेधावी अभ्यर्थियों को चयन किया जाना जरूरी है। किसी मामूली मानवीय त्रुटि के कारण मेधावी अभ्यर्थी को चयन से बाहर करना अनुचित है।
कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि आवेदन फार्म भरते समय यह स्पष्ट प्रावधान किया गया था कि ऑन लाइन आवेदन भरने के बाद अभ्यर्थी उसका प्रिंट आउट लेकर अपने मूल दस्तावेजों से मिलान कर यह सुनिश्चित करेगा कि उसके द्वारा भरी गई सभी प्रविष्टयां सही हैं। इसके बाद वह इस आशय की उद्घोषणा करेगा कि उसने अपनी सभी प्रविशिष्ठयों का मिलान कर सुनिश्वित कर लिया है सब कुछ सही है। लोक पदों पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी के संबंध में सभी जानकारियां सही होनी चाहिए। इसमें बाद में संशोधन की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
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