FAKE, TEACHER : 29334 सहायक अध्यापकों की भर्ती में कई अभ्यर्थियों को दो-तीन जिलों में दी थी नियुक्ति
संजोग मिश्र, प्रयागराज । परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान व गणित विषय के 29334 सहायक अध्यापकों की भर्ती में दो अभ्यर्थियों को तीन-तीन जबकि 45 को दो-दो जिले में नियुक्ति पत्र दिए गए थे। जुलाई 2013 में शुरू हुई इस भर्ती में रिक्त तकरीबन सात हजार पदों पर नियुक्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट के आदेश पर बेसिक शिक्षा परिषद ने फरवरी में अपनी वेबसाइट पर जिलेवार नियुक्त शिक्षकों का ब्योरा अपलोड किया था। रिक्त पदों पर भर्ती की मांग कर रहे अभ्यर्थियों ने वेबसाइट पर अपलोड सूचना मिलाई तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।हिन्दुस्तान के पास उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार दो अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्हें तीन-तीन जिले में नियुक्ति पत्र जारी हुए जबकि 45 ऐसे हैं जिन्हें दो-दो जिले में नियुक्ति पत्र दिए गए। दरअसल इस भर्ती में आठ काउंसिलिंग कराई जा चुकी है। अंतिम चार काउंसिलिंग में अभ्यर्थियों ने शैक्षणिक रिकॉर्ड की फोटोकॉपी से ही प्रतिभाग किया। जिससे उन्हें अधिक जनपदों में काउंसिलिंग कराने का मौका मिल गया क बेसिक शिक्षा विभाग ने इन्हीं फोटोकॉपी के आधार पर नियुक्ति पत्र जारी कर दिए। लेकिन अभ्यर्थियों ने कार्यभार सिर्फ एक ही जिले में ग्रहण किया। इससे अन्य जिलों में जारी नियुक्ति पत्र बेकार हो गए और सीटें खाली रह गई। इसका नतीजा यह हुआ कि कम मेरिट वाले अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गये।आरटीआई के माध्यम से प्राप्त सूचना के अनुसार इस भर्ती में प्रदेशभर में लगभग 7000 सीट आज भी रिक्त हैं क जिन चयनित अभ्यर्थियों ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया उन पदों को रिक्त मानकर और मेरिट गिराकर अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाए, जो कि विधिसम्मत भी है। आलोक चौधरी,29334 के अभ्यर्थी
साढ़े तीन साल से नियुक्ति के लिए लड़ाई लड़ रहे
नवंबर 2016 में हाईकोर्ट ने सभी रिक्त पद भरने का आदेश दिया। जिसके बाद बेसिक शिक्षा परिषद ने 30 दिसंबर 2016 को सभी रिक्त पद भरने के लिए सर्कुलर जारी किया। लेकिन जनवरी 2017 में आदर्श आचार संहिता के प्रभाव से नियुक्ति प्रक्रिया बाधित हो गई। आचार संहिता समाप्त होने के बाद प्रक्रिया फिर शुरू की गई लेकिन सरकार ने 23 मार्च 2017 को सभी भर्ती प्रक्रियाओं को समीक्षा के नाम पर रोक दिया। प्रभावित अभ्यर्थियों ने इस रोक के खिलाफ याचिका की जिस पर हाईकोर्ट ने 3 नवंबर 2017 को दो महीने में भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण करने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ सरकार ने स्पेशल अपील दाखिल की जिसे डबल बेंच ने 12 अप्रैल 2018 को खारिज करते हुए दो माह में भर्ती पूरी करने का आदेश दिया। इन आदेशों का अनुपालन न होने पर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की। इसके बाद विभिन्न आदेशों के खिलाफ सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की लेकिन वह भी 25 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। फिर सरकार ने एसएलपी दायर की और तबसे मामला सुप्रीम कोर्टमें लंबित है।
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