SHIKSHAMITRA, SHIKSHAK BHARTI : 69000 शिक्षक भर्ती 25 और 49 साल की उम्र सुपरटेट पास कर मुश्किलों को हराकर शिक्षामित्रों ने हासिल की अपनी मंजिल
प्रयागराज | अपने जीवन के सबसे गठिन दौर से गुजर रहे शिक्षामित्रों ने सारी मुश्किलों को हरा कर मंजिल हासिल कर ली। बुधवार को घोषित 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के परिणाम में 8018 शिक्षामित्र भी सफल हुए हैं। इनमें से कोई 50 की उम्र पार कर चुका है, किसी को बीमारी ने घेर रखा है तो कोई अपने परिवार को पालने के लिए पार्टटाइम सब्जी बेचता है या ऐसे ही दूसरे छोटे-मोटे काम करता है। शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफलता मिली तो इनकी ही नहीं पूरे परिवार की आंखों में आंसू आ गए। इनके चट्टान जैसे इरादों का नतीजा है कि पहले टेट और अब सुपरटेट पास कर शिक्षक बनने जा रहे हैं।
इन शिक्षामित्रों को पहले जहां 42 हजार रुपये तक वेतन मिल रहा था वहीं 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होने के बाद मानदेय के रूप में प्रतिमाह मात्र 10 हजार रुपये मिलने लगा। अचानक से कमाई एक चौथाई रह जाने के कारण परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। अपने परिवार को सहारा देने के लिए शिक्षामित्र रामदास (45 साल) लेडियारी मंडी कोरांव में पल्लेदारी (बोरा ढोना) करने लगे। रामदास को 90 नंबर मिले हैं। प्राथमिक विद्यालय मदरहा जसरा की शिक्षामित्र कल्पना श्रीवास्तव को रिकॉर्ड 116 नंबर मिले हैं।
101 नंबर पाने वाले अरुण पटेल और 94 नंबर लेकर सफल हुए रामदास सिंह बताते हैं- ह्यबच्चे बड़े हो गए है घर की पूरी जिम्मेदारी भी हम लोगों के सर पर है। 45 वर्ष की उम्र में टीईटी और सुपरटेट पास करना हमारे लिए चुनौती का विषय था। जब हम लोग चश्मा लगाकर पढ़ने बैठते तो बच्चे मजाक करते थे कि पापा भी हम लोगों की तरह रटते है। सारे संकोच दूर कर सुबह 4 बजे से और रात 12 बजे तक पढ़ाई की जिसका परिणाम रहा कि हमलोग सफल हुए।
69000 : मन में टीस लेकर शिक्षामित्र नौकरी की ओर बढ़ाएंगे कदम
कदम 25 जुलाई 2017 को सवा लाख से अधिक शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त हुआ था। इनकी तुलना में 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल शिक्षामित्रों की संख्या बहुत कम है। यानि बचे हुए शिक्षामित्रों के लिए मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। जो शिक्षामित्र सफल हुए है उनके मन में अपने साथियों के लिए टीस बनी हुई है। 101 नंबर पाने वाले शंकरगढ़ के रामकृष्ण माझी और जसरा के मनोज कुमार यादव आदि का कहना है कि 15-20 महीने की कठिन तपस्या के बाद खुशी की उम्मीद दिखाई पड़ी है लेकिन जिन साथियों के साथ 20 वर्ष बिताया है, उनके लिए उतना ही गम है। शिक्षामित्रों का प्रेम कभी कम नहीं होगा।
सभी सफल शिक्षामित्रों को हृदय से बधाई। सरकार का सौतेला रवैया शिक्षामित्र कभी नहीं भूलेंगे। शिक्षामित्रों को रोकने के लिए टीईटी के बाद सुपरटेट के साथ-साथ एकल पीठ के फैसले के बाद डबल बेंच में जाना शिक्षामित्रों से सौतेला व्यवहार प्रदर्शित करता है। यदि सरकार अपने मूल विज्ञापन पर भर्ती करती तो 25000 से अधिक शिक्षामित्र सफल होते और अध्यापक बनते। न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में न्याय की अपील करेंगे।
-वसीम अहमद, जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
प्राथमिक विद्यालय डील विकासखंड कोरांव में एक फरवरी 2001 को कार्यभार ग्रहण करने वाले कमलाकर सिंह (42) को 93 अंक मिले हैं। 93 नंबर पाने वाले शंकरगढ़ के कौशलेश सिंह और 98 नंबर पाकर सफल शिवकांत ने बताया कि साथी शिक्षामित्रों के लिए बीआरसी में कोचिंग चलाकर तैयारी करायी।
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