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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

BASIC SHIKSHA, TEACHING : बेसिक स्कूलों में 'आधारशिला' से बनेगी बच्चों की बुनियाद, पढ़ाई-आउटकम को बेहतर बनाने के लिए ट्रिपल मॉड्यूल फार्मूला होगा लागू।

BASIC SHIKSHA, TEACHING : बेसिक स्कूलों में 'आधारशिला' से बनेगी बच्चों की बुनियाद, पढ़ाई-आउटकम को बेहतर बनाने के लिए ट्रिपल मॉड्यूल फार्मूला होगा लागू। 



स्कूल के पूरे टीचिंग प्लान पर केंद्रित करते हुए 'शिक्षण संग्रह' के नाम से भी एक मॉड्यूल तैयार किया गया है। इसमें पाठ संरचना, समय-सारिणी, अलग-अलग लर्निंग आउटकम के लिए पढ़ाने की तकनीक व उससे जुड़ी सामग्री होगी। स्कूलों में शिक्षक-छात्र के अनुपात व छात्र संख्या के आधार पर दिन-प्रतिदिन क्या पढ़ाना है, इसकी योजना बनाई जाएगी। शिक्षकों तक यह मॉड्यूल डिजिटल व फिजिकल दोनों ही फार्म में पहुंचेंगे।
कमजोर छात्रों के लिए लगेगी अलग से क्लास!


■ तैयार किया जाएगा शिक्षण संग्रह
■ फीडबैक सिस्टम बनेगा

बेहतर लर्निंग आउटकम व प्रभावी शिक्षण के लिए नए मॉड्यूल विकसित किए गए हैं। जल्द ही स्कूलों में इन्हें प्रभावी ढंग से अमल में लाया जाएगा। -विजय किरण आनंद, राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा अभियान



लखनऊ: बुनियादी सुविधाओं और संसाधनों तक ही उलझा बेसिक शिक्षा विभाग अब शिक्षा की गुणवत्ता की ओर करवट बदलने में जुट गया है। स्कूलों में पढ़ाई और आउटकम को बेहतर बनाने के लिए ट्रिपल मॉड्यूल फॉर्म्युला लागू किया जाएगा। इसके जरिए बेसिक लर्निंग, कमजोर विद्यार्थियों पर खास फोकस व शिक्षण को रुचिकर बनाने पर जोर दिया जाएगा। जल्द ही शिक्षकों को नए मॉड्यूल से प्रशिक्षण के जरिए रूबरू कराया जाएगा। बेसिक स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई पर असर सहित दूसरी संस्थाओं के सर्वे अक्सर बदतर तस्वीर पेश करते हैं। बहुत बार 5वीं में पढ़ने वाले बच्चों को पहली-दूसरी के स्तर का गणित व अक्षर ज्ञान नहीं होता है। अब जोर इन स्थितियों को बदलने पर है। इसके लिए शिक्षण प्रणाली को अधिक व्यवहारिक बनाने पर जोर है।

तब तो पढ़ाई में फॉर्म्युला-1 से भी तेज दौड़ने लगेंगे बच्चे
समग्र शिक्षा अभियान के तहत राज्य परियोजना कार्यालय की पहल पर आधारशिला मॉड्यूल विकसित किया गया है। इसके तहते पहली से तीसरी क्लॉस में पढ़ने वाले बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उनके लिए निर्धारित लर्निंग आउटकम कैसे प्राप्त हों, इसको ध्यान में रखकर शिक्षण किया जाएगा। अक्षर ज्ञान, संख्या ज्ञान, व्यवहारिक संवाद के तरीके परंपरागत न होकर इनोवेटिव होंगे। साथ ही, नियमित फीडबैक सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिससे छात्र की वास्तविक स्थिति जांची जा सके।
कक्षा 1 से 8वीं तक इस मॉड्यूल को लागू किया जाएगा। इसमें कमजोर बच्चों पर खासा फोकस होगा। इसमें पढ़ने-लिखने पर ध्यान न देना, कम स्कूल आना या लंबे समय से गैरजाहिर रहने के चलते पढ़ाई में पिछड़ने की वजहें तलाशी जाएंगी। इसके आधार पर इन बच्चों पर अलग से ध्यान दिया जाएगा। इस रिमेडियल टीचिंग मॉड्यूल के तहत जरूरत पड़ने पर कमजोर बच्चों की अलग क्लास लगाई जाएगी। समूह गतिविधियों व कार्यक्रमों के जरिए उन्हें बेहतर करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों को विशेषज्ञों की ओर से तैयार शिक्षण तकनीक व गतिविधियां पर आधारित छोटे-छोटे मॉड्यूल भी उपलब्ध करवाए जाएंगे

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