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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

STAY, SHIKSHAK BHARTI, ALLAHABAD HIGHCOURT : 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा परिणाम पर हाईकोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक

STAY, SHIKSHAK BHARTI, ALLAHABAD HIGHCOURT : 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा परिणाम पर हाईकोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक

प्रयागराज । प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा के परिणाम जारी करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अंतरिम रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने सरकार को परीक्षा की उत्तर-कुंजी जारी करने की छूट दी है। इस मामले में सरकार की ओर से बेसिक शिक्षा विभाग सहित अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल 15 से अधिक याचिकाओं पर साथ सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते के लिए रखी गई है।

हाईकोर्ट में सरकार की ओर से कहा गया कि किसी परीक्षा के लिए क्वालिफाइंग अंक निर्धारित करना सरकार का विशेषाधिकार है। इसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। साथ ही कहा कि छह जनवरी 2019 को हुई सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आयोजक परीक्षा नियामक प्राधिकरण ने प्रश्नपत्र की उत्तर कुंजी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दी थी। यह एक क्वालिफाइंग परीक्षा थी, इसके आधार पर भर्ती प्रक्रिया तैयार की जानी थी। यह भी साफ किया कि अभी तक इस परीक्षा के आधार पर कोई भर्ती नहीं की गई है।

मामला एक नजर में

सरकार ने एकल जज के सात जनवरी को आए उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि कट ऑफ तय करने का प्रदेश सरकार का शासनादेश निरंकुशता पूर्ण और समानता के अधिकार के विपरीत है। कोर्ट ने इसे कानूनी रूप से वैध नहीं माना था। साथ ही कहा था कि इसकी वजह से समान वर्ग के अभ्यर्थियों में दो श्रेणियां बन जाती हैं। अचानक कट ऑफ को बड़ी संख्या में बढ़ाने की कोई वैध वजह नहीं दी गई है, न ही इसका जस्टिसफिकेशन सरकार ने दिया है।

22 हजार प्रभावित, भर्ती 69 हजार की है : महाधिवक्ता

हाईकोर्ट में सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कुल 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती इस परीक्षा से की जा रही है। इसे लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दायर याचिका से करीब 6900 अभ्यर्थी प्रभावित हो रहे हैं। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं से करीब 15 हजार अभ्यर्थी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में समस्त चयन प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

आपत्तियां

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि एकल जज का निर्णय सही था, कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार था। ऐसे में चयन प्रक्रिया कुछ हिस्से जैसे उत्तर-कुंजी प्रकाशित करने और इस पर अभ्यर्थियों से आपत्तियां लेने व विचार करने की अनुमति दी जा सकती है। इसमें करीब दो महीने का समय लग सकता है, जिसके बाद मामले को सुना जाए।

एक अन्य याची के अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2017 को अपने निर्णय में शिक्षा मित्रों को दो दफा लगातार होने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया था। ऐसे में एक परीक्षा होने के बाद दूसरी परीक्षा में कट ऑफ बढ़ाकर अतिरिक्त योग्यता की शर्त नहीं लगाई जा सकती। भले ही सरकार को इसका अधिकार हो, लेकिन सरकार ऐसा करती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने जैसा होगा। याची शिक्षामित्र प्रतियोगिता से बाहर हो जाएंगे। ऐसे में अपील पर अंतिम निर्णय आने पर सरकार को परिणाम जारी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

और निर्णय

हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि इस मामले पर उसे और विचार करने की जरूरत है। ऐसे में अंतरिम तौर पर यह अनुमति दी जाती है कि राज्य सरकार उत्तरकुंजी जारी करे। इस पर आपत्तियां ले और फिर अंतिम उत्तरकुंजी जारी हो। लेकिन परीक्षा के अंतिम परिणाम कोर्ट की अनुमति मिलने या विशेष अपील याचिकाओं पर अंतिम निर्णय होने तक जारी न करे। अगली सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते में की जाएगी।

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