PURANI PENSION : पुरानी पेंशन के मुद्दे, पर सभी कर्मचारी संगठन एकजुट, एनबीटी परिचर्चा में कर्मचारी नेताओं ने चेताया, 24 के बाद हो सकता है बड़ा आंदोलन, ढेरों मतभेद, लेकिन पेंशन के लिए सब एक,में
पुरानी पेंशन• कोई भी राशि शेयर मार्केट के अधीन नहीं है। • कार्मिक द्वारा बिना किसी अंशदान के मिलती है। इसमें अलावा जीपीएफ का वेतन कर्मचारी अपनी इच्छानुसार जितना चाहे कटवा सकता है और उस पैसे को बीच में ही निकाल भी सकता है। • दस साल भी जिस कर्मचारी ने काम कर लिया उसको भी पूरी पेंशन का लाभ मिलता है। • नौकरी के दौरान मौत होने पर 33 महीने का वेतन और 20 लाख रुपये का डेथ ग्रेच्युटी अलग से है। • हर छह महीने पर महंगाई भत्ता भी मिलता है।
नई पेंशन• नई योजना में कर्मचारी के ही वेतन से हर महीने वेतन + डीए से 10 प्रतिशत कटौती होगी। • इसमें वेतन शेयर मार्केट के उतार चढ़ाव पर आधारित है। • शेयर मार्केट गिरने पर सरकारी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। • 60 साल पूरे होने पर अंशदायाी पेंशन से महज 60 फीसदी राशि ही निकाल सकते है, उसमें भी टैक्स कटेगा। • दस साल की सेवा पूरी करने के बाद आप केवल 25 फीसदी राशि ही निकाल सकते हैं ,उसमें भी शर्त लागू है।
(कर्मचारियों के अनुसार)
इन मुद्दों पर हैं आपसी मतभेद• शासन की ओर से गठित कमिटी के पास निर्णय लेने की क्षमता नहीं। • लड़ाई पुरानी पेंशन को लेकर है, लेकिन कमिटी नई पेंशन में सुझाव और संशोधन की बात कर रही है। • प्रदेश के कई संगठनों को इसमें नहीं बुलाया गया। इसकी वजह से आपसी एकता कमजोर हो रही है। • 24 अक्टूबर को सीएम से मिलने के बाद हड़ताल वापसी से कई संगठन नाराज हैं। • पुरानी पेंशन को लेकर बनने वाली किसी भी कमिटी में उन कर्मचारियों की संख्या कम है, जो साल 2005 के बाद की पेंशन नीति में आते है। दलील है कि जो पीड़ित हैं, उनकी संख्या कमिटी में ज्यादा होनी चाहिए। • 30 अप्रैल 2018 को दिल्ली में रैली रखी गई तो उसी दिन उप्र में कार्यक्रम करने का कोई मतलब नहीं था। इससे आंदोलन कमजोर हुआ। • 26 नवंबर की दिल्ली रामलीला मैदान में हुई रैली में प्रदेश के कई बड़े संगठनों ने हिस्सा नहीं लिया।
सरकार ने हमारे साथ छलावा किया है। इसका परिणाम बहुत बुरा होने वाला है। राज्य सरकार जब अधिसूचना लगाकर पुरानी पेंशन खत्म कर सकती है तो अधिसूचना खत्म कर उसे लागू भी कर सकती है।
-रामराज दुबे, प्रदेश अध्यक्ष, उप्र चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ
जब पश्चिम बंगाल की सरकार पुरानी पेंशन लागू कर सकती है तो बाकी राज्य क्यों नहीं। 26 नवंबर को पांच लाख लोगों ने दिल्ली में प्रदर्शन हुआ था। बैनर हटाकर सबको लड़ाई लड़नी होगी। - विजय कुमार बंधु, प्रदेश अध्यक्ष, अटेवा पेंशन बचाओ मंच
पांच साल विधायक या सांसद रहने पर पेंशन दी जा सकती है तो 40 साल देश की सेवा करने वाले कर्मचारियों की पेंशन को क्यों मारी जा रही है/ बीजेपी सरकार शुरू से कर्मचारी विरोधी रही है।
-सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, प्रदेश महामंत्री, उप्र फेडरेशन आफ मिनिस्टीरियल सर्विस असोसिएशन
सरकार पुरानी पेंशन पर कर्मचारियों को लड़ाना चाहती है, लेकिन अब सब साथ आ रहे हैं। 24 दिसंबर के बाद आर-पार की लड़ाई होगी। सरकार को अपनी ताकत दिखाने का समय आ गया है । -रामेन्द्र कुमार श्रीवास्तव , प्रदेश महामंत्री ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ
हर जुबान पर पुरानी पेंशन की जिक्र का गया है। इससे लड़ाई मजबूत होगी। यह सकरात्मक पहल है। 24 दिसंबर के बाद सरकार को आइना दिखाना होगी। इस बार कोई समझौता भी नहीं होगा।
- संजीव कुमार गुप्ता, प्रदेश संगठन मंत्री राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद
अब हड़ताल ही एक मात्र रास्ता है। सरकार गूंगे-बहरों की तरह व्यवहार कर रही है। ऐसे में हड़ताल रूपी धमाके से जगाने की जरूरत है। पुरानी पेंशन के लिए 20 लाख कर्मचारी एकजुट हो चुके हैं। - विचित्र कुमार साहू, वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद
इन हालात के लिए कर्मचारी खुद जिम्मेदार हैं। इस बार पुरानी पेंशन को लेकर केंद्र और प्रदेश, दोनों सरकारों की सांसें अटकी हैं। 24 दिसंबर के बाद हड़ताल से हम अपनी एकता और ताकत दिखाएंगे।
- यादवेन्द्र मिश्र, अध्यक्ष, उप्र सचिवालय संघ
रिव्यू के लिए बनी कमिटी गंभीर नहीं है। कमिटी में उन कर्मचारियों की संख्या ज्यादा रखनी होगी जो नई पेंशन के तहत आते हैं। इसके लिए आर-पार की लड़ाई ही एक मात्र माध्यम है।
-संजय कुमार यादव, अध्यक्ष, उप्र सचिवालय कम्प्यूटर सहायक एवं सहायक समीक्षा अधिकारी संघ
दो महीने का समय देने का फैसला सही था। कमिटी सुझाव देगी। 24 दिसंबर के बाद हड़ताल का फैसला लिया जाएगा। पिछली बार जो संगठन छूटे थे, उनको भी इस बार हड़ताल में शामिल किया जाएगा।
- बाबा हरदेव सिंह, अध्यक्ष, रिटायर्ड पीसीएस असोसिएशन संघ
अटेवा और पुरानी पेंशन मंच, दोनों को एक होना होगा। सभी को एक मंच पर लड़ाई लड़नी होगी। पुरानी पेंशन को लेकर हम सभी साथ है। सरकार ने कमिटी बनाकर धोखा देने का काम किया है।
- सतीश पांडेय, अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी महासंघ
सरकार की नीयत ठीक नहीं। इसी कारण कमिटी में ऐसे लोगों को शामिल किया, जो कोई फैसला ही नहीं ले सकते थे। हड़ताल का फैसला वापस लेना गलत था। इससे कर्मचारी निराश हुआ है।
- आलोक सिंह रैंकवार, उपाध्यक्ष, राज्य कर्मचारी महासंघ (अजय सिंह गुट )
24 दिसंबर के बाद कोई आश्वासन नहीं चलेगा। बहुत लंबा समय दे दिया गया है। जो कमिटी बनी है, वह ठीक से काम नहीं कर रही। इसकी वजह से तीन बार वार्ता के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला।
- मनोज श्रीवास्तव, मीडिया प्रभारी, कर्मचारी शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बचाओ बहाली मंच
• एनबीटी संवाददाता, लखनऊ
प्रदेश में कई कर्मचारी संगठन हैं। इनमें ढेरों मतभेद हैं, लेकिन पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे में सभी एकजुट हैं। यही वजह है कि सभी संगठन 'कर्मचारी शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बचाओ बहाली मंच' के बैनर तले एक साथ पुरानी पेंशन के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। एनबीटी ने शुक्रवार को ऐसे कई संगठनों के नेताओं से चर्चा की। इस दौरान इन नेताओं ने पुरानी पेंशन की रिव्यू के लिए बनी कमिटी पर सवाल उठाए। कहा कि सरकार ने कर्मचारियों का बड़ा आंदोलन टालने के लिए ऐसी कमिटी बना दी, जिसके पास कोई अधिकार ही नहीं है। यह कमिटी 24 दिसंबर को अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगी। कर्मचारी नेताओं ने चेताया कि अगर पुरानी पेंशन बहाल नहीं हुई तो इस बार प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन होगा। इसी मुद्दे पर आशीष तिवारी और प्रवीण राय की रिपोर्ट...
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