URDU, RECRUITMENT : उर्दू शिक्षकों के 4000 पदों पर हुई भर्ती रद्द, योगी सरकार ने अखिलेश राज का एक और फैसला पलटा
लखनऊ : योगी सरकार ने अखिलेश राज के एक और फैसले को पलटते हुए परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 4000 उर्दू शिक्षकों की भर्ती रद कर दी है। सरकार का कहना है कि प्राथमिक स्कूलों में मानक से कहीं ज्यादा संख्या में उर्दू शिक्षक तैनात हैं। इसलिए अब और उर्दू शिक्षकों की जरूरत नहीं है। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ.प्रभात कुमार की ओर से भर्ती को रद करने के बारे में सोमवार को शासनादेश जारी कर दिया गया है।
अखिलेश सरकार ने 15 दिसंबर 2016 को उर्दू शिक्षकों के 4000 पदों पर भर्ती शुरू की थी। इसके लिए प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 16460 रिक्त पदों में से 4000 पदों को सहायक अध्यापक उर्दू भाषा के पदों में बदला गया था। भर्ती के लिए नौ जनवरी 2017 तक अभ्यर्थियों से आवेदन पत्र लिये गए थे। चयनित अभ्यर्थियों की सूची जिलों को भेज दी गई थी और काउंसिलिंग की तारीखों का भी एलान हो गया था। काउंसिलिंग होने से पहले ही मार्च 2017 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद योगी सरकार ने उर्दू शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया रोक दी थी। यह प्रक्रिया तब से रुकी हुई थी। कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने सरकार को दो महीने में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा था।
87000 बच्चे और 15800 शिक्षक : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में तकरीबन 15800 उर्दू शिक्षक तैनात हैं। वहीं उर्दू पढ़ने वाले बच्चों की संख्या लगभग 87000 है। इस हिसाब से उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षकों और छात्रों का अनुपात 1:5.5 है। इन तथ्यों के आधार पर शासन स्तर पर यह सहमति थी कि परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में जरूरत से ज्यादा उर्दू शिक्षक हैं। लिहाजा नए शिक्षकों कीे जरूरत नहीं है। आखिरकार शासन ने उर्दू शिक्षकों की भर्ती को निरस्त करने का फैसला किया।
अखिलेश सरकार में तीन बार हुई थीं भर्तियां : अखिलेश सरकार ने इससे पहले तीन बार में 7780 उर्दू शिक्षकों की भर्ती की थी। पहली बार अगस्त 2013 में परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 4280 उर्दू शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस भर्ती में 1939 पद नहीं भर पाये थे। इन पदों को भरने के लिए फरवरी 2014 में दूसरी बार भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई।
लखनऊ : सपा सरकार में शुरू हुई 4000 उर्दू शिक्षकों की भर्ती को सरकार ने इन कारणों से किया निरस्त
उर्दू शिक्षक
राज्य सरकार ने सपा शासनकाल में शुरू हुई उर्दू के 4000 सहायक अध्यापकों की भर्ती निरस्त कर दी है। सरकार ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में उर्दू विषय के विद्यार्थी नहीं होने को भर्ती निरस्त होने का कारण बताया है।
बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार ने बताया कि प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में उर्दू विषय के करीब 87 हजार विद्यार्थी हैं, जबकि उर्दू विषय के16 हजार से अधिक शिक्षक हैं।
शिक्षक छात्र अनुपात के हिसाब से भी छात्रों की तुलना में उर्दू विषय के अध्यापक पहले ही अधिक हैं। विद्यालयों में उर्दू शिक्षकों की आवश्यकता नहीं होने के कारण 2016 में 4000 पदों के लिए निकाली गई शिक्षकों की भर्ती निरस्त कर दी है।
यह था मामला
सपा सरकार के समय दिसंबर 2016 में चार हजार उर्दू सहायक अध्यापकों की भर्ती निकाली गई थी। 7500 से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। नई सरकार के गठन के बाद 22-23 मार्च 2017 को प्रदेश भर में उर्दू शिक्षक भर्ती के लिए काउंसलिंग की गई।
23 मार्च 2017 को ही योगी सरकार ने सहायक अध्यापक और उर्दू विषय के अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी। करीब एक वर्ष तक सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया। उर्दू के अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
इस पर कोर्ट ने 15 अप्रैल 2018 को सरकार को दो महीने में नियुक्ति करने के आदेश दिए। अभ्यर्थी इरशाद रब्बानी ने बताया कि बीते दिनों हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। इस पर सरकार को नोटिस दिया गया है।
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