GRADING, SCHOOL, TEACHING QULITY : स्कूलों की गुणवत्ता में कोताही अब सभी राज्यों को पड़ेगी भारी, प्रदर्शन के आधार पर तैयार होगा सभी राज्यों का ग्रेडिंग इंडीकेटर, खराब प्रदर्शन पाए जाने पर वित्तीय मदद में होगी कटौती
नई दिल्ली: स्कूली शिक्षा को मजबूती देने में जुटी सरकार अब सभी राज्यों का एक ग्रेडिंग इंडीकेटर तैयार करेगी। जिसका आधार राज्यों में गुणवत्ता को मजबूती देने से जुड़े कामकाज होंगे। सरकार ने इसे परफॉर्मेस ग्रेडिंग इंडीकेटर (पीजीआइ) नाम दिया है। यह सालाना तैयार होगा। इसके आधार पर ही राज्यों को दी जाने वाली वित्तीय मदद को घटाने या बढ़ाने का फैसला लिया जाएगा। सरकार इसे जल्द से जल्द लागू करने की तैयारी में जुटी है। सरकार ने इसके लिए जो मानक तैयार किए हैं, उनमें से एक जिलों में शिक्षा अधिकारियों की तैनाती से भी जुड़ा है। इसके तहत सभी जिलों में शिक्षा अधिकारी की तैनाती जरूरी है। यदि कोई राज्य इसका पालन नहीं करता है, तो यह उसकी निगेटिव ग्रेडिंग में जुड़ेगा। सरकार का मानना है कि स्कूली शिक्षा को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए प्रत्येक जिले में शिक्षा अधिकारी की तैनाती जरूरी है।
पीजीआइ के आकलन में ऐसे ही 17 अहम बिंदुओं को शामिल करने का प्रस्ताव है। इनमें शिक्षा अधिकारियों के अलावा स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर, मिड-डे मील की गुणवत्ता, शिक्षकों की तैनाती जैसे विषय रहेंगे। सरकार फिलहाल इसका पूरा खाका तैयार करने में जुटी हुई है, जो जल्द ही राज्यों को भेजा जाएगा। योजना के तहत पीजीआइ में अच्छी रैकिंग लाने वाले राज्यों को अतिरिक्त राशि दी जाएगी। इसके अलावा ऐसे राज्यों को एक समारोह के जरिये सम्मानित भी किया जाएगा।
योजना पर काम कर रहे मानव संसाधन विकास मंत्रलय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूरी कवायद का मकसद राज्यों के बीच स्कूली शिक्षा को मजबूती देने को लेकर एक प्रतिस्पर्धा खड़ा करना है। साथ ही उन्हें यह भी बताना है कि कि वह कहां चूक कर रहे हैं। 1गौरतलब है कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को ठीक करने की कोशिशों में जुटी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्यों का परफामेर्ंस ही रहा है। जो वह अपेक्षा के मुताबिक नहीं दे रहे पा रहे हैं। प्रतिस्पर्धा इसी से निपटने की एक कोशिश मानी जा रही है।
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