AADHAR CARD, ADMISSION : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में ‘आधार’ से छात्र संख्या के खेल का किया राजफाश
इलाहाबाद : यह चंद उदाहरण बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में छात्र नामांकन की गड़बड़ियों की बानगी भर है। सरकार व शिक्षा विभाग का जोर सिर्फ छात्र नामांकन बढ़ाने पर रहा, इसलिए शिक्षक भी अफसरों को खुश करने के लिए छात्र संख्या बढ़ाते रहे हैं। निरीक्षण के समय अधिकांश स्कूलों में बच्चों की संख्या नामांकन के सापेक्ष बहुत कम मिली। चुनिंदा अफसरों ने छात्रों की वास्तविक संख्या जांचने का दबाव बनाया तो हकीकत सामने आई। अब बच्चों का आधार बनवाना अनिवार्य हुआ तो छात्र संख्या में गिरावट सामने आ गई है।
प्रदेश के सभी शासकीय, मान्यताप्राप्त व परिषदीय स्कूलों में अध्ययनरत सभी 6 से 14 वर्ष तक के छात्र-छात्रओं का आधार नामांकन कराने को शासनादेश एक जून 2015 को जारी हुआ। इस काम को गति पिछले वर्ष शैक्षिक सत्र शुरू होने के बाद मिली। इस कार्य के लिए विशेष जोर देने के बाद भी 30 जनवरी 2018 तक प्रदेश में परिषदीय स्कूलों के 65 फीसदी बच्चों का आधार नामांकन हो पाया। इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि आखिर स्कूल में नामांकन का खेल किस तरह से फल-फूल रहा था। छात्र नामांकन बढ़ाने के लिए जब फर्जी तरीके से बच्चों के नाम दर्ज किए गए तो उनका आधार कैसे बना लिया जाता? जो शिक्षक नामांकन बढ़ा रहे थे, वह अब आधार की अनिवार्यता से संख्या बढ़ाने में हिचक रहे हैं। इसीलिए बेसिक शिक्षा में कई नई योजनाएं शुरू करने के बाद भी छात्रों की संख्या तीन लाख से अधिक घट गई है। 1संख्या बढ़ाने से सबको था फायदा
एक स्कूल में विभिन्न कक्षाओं में 30 बच्चे बढ़ने भर से एक अतिरिक्त शिक्षक मिलता रहा है। मिड डे-मील ग्राम प्रधान मुहैया कराते थे, उन्हें भी संख्या बढ़ाने से एतराज नहीं होता था। स्वेटर, ड्रेस आदि का धन लाभ बोनस में मिलता रहा है।
अवैध स्कूलों की बंदी भी नहीं हुई मददगार : परिषदीय स्कूलों में पिछले शैक्षिक सत्र में 30 सितंबर 2017 को 1,54,22,047 बच्चे नामांकित थे जो 2016-17 की तुलना में दो लाख ज्यादा थे। शैक्षिक सत्र 2017-18 में 5530 गैर मान्यताप्राप्त स्कूल बंद कराये गए थे। जिन स्कूलों को बंद कराया गया था, उनमें पढ़ने वाले बच्चों ने बड़ी संख्या में आसपास के परिषदीय विद्यालयों में दाखिला लिया था। इस वजह से परिषदीय स्कूलों में पिछले कई वर्षों से छात्र नामांकन में आ रही गिरावट न सिर्फ थमी थी, बल्कि छात्र संख्या में तकरीबन दो लाख का इजाफा भी हुआ था। शैक्षिक सत्र 2018-19 में परिषदीय विद्यालयों में छात्र नामांकन बढ़ाने के लिए पहली अप्रैल से स्कूल चलो अभियान चलाए जाने के बावजूद 30 जुलाई को छात्र नामांकन घटकर 1,51,01,247 रह गया। यह तब है जब इस वित्तीय वर्ष में भी प्रदेश में अब तक 5079 अमान्य विद्यालय बंद कराए जा चुके हैं।
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