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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

RTE : साल भर से अटके शिक्षा के अधिकार में बदलाव के बिल को लोकसभा ने बुधवार को ध्वनिमत से पारित  स्कूलों में आठवीं तक फेल न करने की नीति हो जाएगी खत्म


जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : साल भर से अटके शिक्षा के अधिकार में बदलाव के बिल को लोकसभा ने बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसमें विपक्ष ने भी सरकार का साथ दिया और इसे स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार भरा कदम बताया। इस बिल से स्कूलों में आठवीं तक फेल न करने की नीति खत्म हो जाएगी। यह अभी प्रचलन में है। हालांकि लोकसभा के बाद इस बिल को राज्यसभा को भेजा जाएगा, जहां से पारित होने के बाद ही बिल प्रभावी होगा। 


बुधवार को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने लोकसभा में बताया कि इसे 25 राज्यों का समर्थन हासिल है। बिल में राज्यों को परीक्षा कराने और न कराने को लेकर स्वतंत्रता दी गई है। फेल होने वाले बच्चों को परीक्षा दोबारा देने का मौका भी मिलेगा। राज्यों से मांगी गई राय में तमिलनाडु और केरल ने इसका विरोध किया था। आठवीं तक फेल न करने की नीति में बदलाव को लेकर कैब ( सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन) की बैठक में भी चर्चा हो चुकी है ।

नई दिल्ली : लोकसभा ने मॉनसून सत्र के पहले दिन बुधवार को नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2017 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इसमें 8वीं क्लास तक फेल नहीं करने की नीति में संशोधन करने की बात कही गई है। हालांकि, बच्चों को क्लास में रोकने या नहीं रोकने का अधिकार राज्यों को दिया गया है। इस संशोधित विधेयक में 5वीं और 8वीं क्लास के स्तर पर परीक्षा लेने की बात कही गई है। हालांकि, जिन राज्यों को ऐसा करना है, वे करेंगे और जिनको बदलाव नहीं करना है, वे नहीं करेंगे। नए संशोधन के तहत 5वीं और 8वीं क्लास की मार्च में होने वाली पहली परीक्षा में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को मई में दूसरी बार परीक्षा देने का मौका मिलेगा। दूसरी बार भी फेल होने पर ही बच्चे को उसी क्लास में रोका जा सकेगा और किसी भी स्टूडेंट को स्कूल से निकाला नहीं जाएगा।

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