लखनऊ : सरकारी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए पचास वर्ष की उम्र पार कर चुके अक्षम और भ्रष्ट सरकारी सेवकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का नियम पुराना, सभी विभाग अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए 31 जुलाई तक हर हाल में स्क्रीनिंग कर लें
लखनऊ : सरकारी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए पचास वर्ष की उम्र पार कर चुके अक्षम और भ्रष्ट सरकारी सेवकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का नियम बहुत पुराना है, लेकिन पिछले वर्ष शासन स्तर पर इसमें तेजी आयी थी। तबके मुख्य सचिव राजीव कुमार के निर्देश पर विभागों में स्क्रीनिंग हुई और कुछ लोग रिटायर किये गये। अब फिर से सरकार ने तेजी दिखाई है। अपर मुख्य सचिव नियुक्ति व कार्मिक मुकुल सिंघल ने निर्देश दिया है कि सभी विभाग अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए 31 जुलाई तक हर हाल में स्क्रीनिंग कर लें।
सरकारी सेवा मे बेहतरी के लिए केंद्र की पहल के बाद पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में भी नाकारा अफसरों को हटाने की मुहिम शुरू हुई। नियुक्ति प्राधिकारी किसी भी समय, किसी सरकारी सेवक को नोटिस देकर बिना कोई कारण बताए उसके 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात सेवानिवृत्त हो जाने की अपेक्षा कर सकता है। नियुक्ति प्राधिकारी तीन माह की नोटिस देकर इसे लागू कर सकता है। प्रदेश में अक्टूबर 1985 में कुछ आवश्यक निर्देशों के साथ पहली बार अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए स्क्रीनिंग कमेटी गठित करने के साथ उसका विस्तृत वर्णन किया।
वर्ष 2018-19 में 50 साल से ऊपर के कर्मियों की स्क्रीनिंग के आदेश जारी
- विभागों के आला अधिकारियों को 31 जुलाई तक स्क्रीनिंग करके अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बारे में रिपोर्ट दें
-पचास साल की आयु की गणना के लिए कट आफ डेट 31 मार्च, 2018 तय
विशेष संवाददाता -राज्य मुख्यालयप्रदेश सरकार ने वर्ष-2018-19 में 50 साल पूरे कर चुके अधिकारियों और कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करके उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की रिपोर्ट सभी विभागों से मांगी है। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंहल ने शुक्रवार को आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश में सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 31 जुलाई, 2018 तक अपने अपने विभाग और अधीनस्थ संस्थाओं में स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर 50 साल पूरे कर चुके अफसरों और कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कर लें। यदि वे शासन का कामकाज करने में अक्षम हैं तो उनको अनिवार्य रूप से रिटायर कर दिया जाए। इसकी रिपोर्ट कार्मिक विभाग को भेज दी जाए। 50 साल की आयु की गणना के लिए कट आफ डेट 31 मार्च 2018 तय की गई है। श्री सिंहल ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसा सभी विभागों और उनकी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। खास बात यह है कि इसके अलावा कोई भी अधिकारी या कर्मचारी स्थाई या अस्थाई यदि स्वयं अपने रिटायर होने की अपेक्षा रखता है तो वह तीन माह का नोटिस देकर रिटायर हो सकता है। वैसे सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति की शुरुआत 26 अक्तूबर, 1985 में एक शासनादेश के जरिए की गई थी। लेकिन इसको कड़ाई से लागू भाजपा सरकार में किया गया है।
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