PROTEST, UPPSS : पुरानी पेंशन बहाली नहीं तो अक्तूबर में देशव्यापी हड़ताल, हड़ताल में 20 लाख से अधिक कर्मचारी साथ होंगे, तैयारी वृहद स्तर पर शुरू
बड़े कर्मचारी नेता आये साथ
-हड़ताल में 20 लाख से अधिक कर्मचारी साथ होंगे, तैयारी वृहद स्तर पर शुरू
-पिछले दिनों राज्य और केन्द्र के कई संगठनों ने इस मुद्दे पर गठित किया था मंच
लखनऊ । पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर एक बार फिर बड़ी हड़ताल की पटकथा लिखी जाने लगी है। पिछले दिनों देशभर में आंदोलन की तैयारी के लिये 'कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी, पुरानी पेंशन बहाली मंच' का गठन भी कर दिया गया। दावा यह किया गया कि मांग पूरी नहीं की गई तो अक्तूबर में देशव्यापी हड़ताल होगी जिसमें 20 लाख के ऊपर कर्मचारी साथ रहेंगे। इस मुद्दे पर केन्द्र और राज्य के कर्मचारी संगठन एकजुट हो गये हैं। मंच के पदाधिकारियों ने आंदोलन की तैयारी के लिये विभिन्न प्रांतों का दौरा भी शुरू कर दिया है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि पेंशन पर दोहरा कानून स्वीकार नहीं किया जायेगा। उनका एकमत होकर कहना है कि जिस तरह से सरकार ने एक नेशन एक टैक्स का फार्मूला अपनाया है उसी तरह उसे वन नेशन वन पेंशन की नीति उनको लागू करनी पड़ेगी।
*मंच का गठन और कार्यकारिणी की घोषणा हुई*
कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी, पुरानी पेंशन बहाली मंच का अध्यक्ष डॉ. दिनेश चन्द शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुधीर पवार, रामराज दुबे, रामफेर पाण्डेय, नरेन्द्र सिंह नेगी, रामनगीना सिंह, समन्वयक यूपी सिंह, एस.के.सिंह, नितिन शुक्ला, संयोजक हरिकिशोर तिवारी, सहसंहयोजक यादवेन्द्र मिश्र, राममूरत यादव, वी.एस. चैहान, रजनीकांत त्रिवेदी, गंगेश कुमार शुक्ला, प्रेम कुमार सिंह, सुनील यादव, अमरजीत मिश्रा, सत्यप्रकाश मिश्र, कोशाध्यक्ष शिवशंकर पाण्डेय, मीडिया प्रमुख मनोज श्रीवास्तव, सुधांशु मोहन, संरक्षक उमेश द्धिवेदी, संजय कुमार मिश्र, एन.पी. त्रिपाठी, आर.के.पाण्डे, जे.पी. सिंह,वीरन्द्र तिवारी बनाए गए है।
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तीन जुलाई को बैठक हुई थी जिसमें निर्णय लिया गया है कि इस मुद्दे को गंभीरत से लिया जाये। एक महीने का नोटिस दिया है। इसके बाद बैठक की जायेगी और हड़ताल की घोषणा की जायेगी। उन्होंने कहा कि मंच पुरानी पेंशन बहाली के लिए मील का पत्थर साबित होगा। हम केवल एकजुट होकर पुरानी पेंशन बहाली के लिए तीन माह संघर्ष कर ले तो वह दिन दूर नही जब केन्द्र सरकार को पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए विवश होना पड़ेगा।
कामरेड शिवगोपाल मिश्रा,
राष्ट्रीय संयोजक, एनजेसीए
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हम लम्बे समय से पुरानी पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे थे लेकिन मंच के गठन के बाद हम निश्चित तौर से यह मान कर चल रहे है कि हम जल्द ही कामयाब होगें। जल्द ही मंच के वरिष्ठ सदस्य अन्य प्रान्तों का दौरा करने जा रहे है। केन्द्र और राज्य का कर्मचारी पेंशन मुद्दे पर एक हो चुका है। वह पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्ष की राह पर आगे बढ़ रहा है।
हरकिशोर तिवारी, अध्यक्ष
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद
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वृहद तैयारी की जा रही है। वर्तमान मुख्यमंत्री लोकसभा सांसद रहते हुए पुरानी पेंशन को बहाल किये जाने की मांग की थी। अब मुख्यमंत्री की स्वयं नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह उसको पूरा करें जिसके लिये उन्होंने स्वयं केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। दूसरी जिम्मेदारी गृहमंत्री राजनाथ सिंह की है जिन्होंने कहा था कि पुरानी पेंशन नीति को बहाल किया जाये। अब एक ही सरकार है केन्द्र और राज्य में तो उस वायदे को पूरा करें।
यादवेंन्द्र मिश्र, अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ
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केन्द्र राज्य कर्मचारियों के लगभग 90 प्रतिशत संगठन, एसोसिएशन ,महासंघ, परिषद के नेताओं ने कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी, पुरानी पेंशन बहाली मंच बना लिया है। अब देश का कर्मचारी जाग चुका है। पेंशन पर दोहरा कानून स्वीकार नही होगा। कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी सब एक स्वर में आवाज उठा रहे हैं। इतनी संख्या में एक मुद्दे पर आज तक संघर्ष नही हुआ। यह तय है कि यह संघर्ष परिणामी होगा।
निखिल शुक्ला, अध्यक्ष
तहसीलदार संघ
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ऐसा कैसे सम्भव होगा कि एक देश में दोहरा कानून अपनाया जाए। जन प्रतिनिधियों को तो पेंशन मिलेगी और वर्षों सरकार और जनता की सेवा करने वालों को पेंशन से वंचित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ चुका है कि सरकार की कर्मचारी विरोध वाली इस नीति का मुकाबला किया जाए।
सुधीर पंवार, पूर्व महासचिव
उत्तर प्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ
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अब पुरानी पेंशन को लेकर एकजुट हुआ केन्द्र और राज्य सरकार का कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के लिए कमर कस चुका है। सरकार को आगामी चुनाव से पूर्व पुरानी पेंशन बहाली का फैसला लेना ही पड़ेगा। जिस तरह से सरकार ने एक नेशन एक टैक्स का फार्मूला अपनाया है उसी तरह उसे वन नेशन वन पेंशन की नीति लागू करनी पड़ेगी।
- डॉ. दिनेश चंद शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ
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