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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

MDM, REPORT : वर्ष 2017-18 में 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 70 जिलों में किए गए अध्ययन के आधार पर ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की गई, बच्चों ने कहा, मिड-डे मील का खाना मिलता है तो पढ़ने में मन लगता है

वर्ष 2017-18 में 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 70 जिलों में किए गए अध्ययन के आधार पर ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की गई, बच्चों ने कहा, मिड-डे मील का खाना मिलता है तो पढ़ने में मन लगता है


सवाल भी उठे


बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने और बच्चों में पोषण का स्तर बढ़ाने के उद्देश्य के तहत शुरू की गई मिड-डे मील योजना के तहत मिलने वाला खाने का स्वाद 87 फीसदी बच्चों को पसंद आ रहा है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान के मिड-डे मील योजना पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है।


वर्ष 2017-18 में 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 70 जिलों में किए गए अध्ययन के आधार पर ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें 72 फीसदी बच्चों का कहना है कि मिड-डे मील की वजह से कक्षा में पढ़ाई को लेकर उनकी एकाग्रता बढ़ी है। गौरतलब है कि बच्चों में पोषण को बढ़ाना भी मिड-डे मील के मुख्य उद्देश्यों में शामिल था। संस्थान ने इसकी ड्राफ्ट रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंप दी है। वहीं, फाइनल रिपोर्ट इस महीने तैयार हो जाने की उम्मीद है।


स्कूल में ड्रॉप आउट में कमी: स्कूल जा रहे 92 फीसदी बच्चों को मिड-डे मील मिल रहा है। मिड-डे मील योजना स्कूल में उपस्थिति बढ़ाने के अपने मुख्य लक्ष्य में भी काफी हद तक कामयाब होती नजर आ रही है। अध्ययन के दौरान 92 फीसदी शिक्षकों और 80 फीसदी माता-पिता ने माना कि मिड-डे मील की वजह से स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति बढ़ी है।


पोषण भी सुधरा: 96 फीसदी शिक्षकों और 80 फीसदी माता-पिता ने माना कि मिड-डे मील ने बच्चों के पोषण स्तर में इजाफा किया है। हालांकि दोबारा मांगने पर 58 फीसदी बच्चों को ही खाना मिलता है।


मिड डे मील से स्कूल में बच्चों की उपस्थिति तो सुधरी है, लेकिन भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं। कैग ने भी 2016 की अपनी जांच में पाया था कि अधिकतर विद्यालयों में रसोईघर, शैडो, बर्तन और पेयजल सुविधा का घोर अभाव है। दूषित भोजन से कई बार बच्चों के बीमार पड़ने की घटनाएं यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सामने आई हैं।


' भोजन में मरी छिपकली से 87 बच्चे बीमार


' पश्चिम बंगाल के एक गांव में 19 नवंबर 2017 को मिड-डे मील में मरी हुई छिपकली निकली थी। ऐसा दूषित खाना खाकर 87 बच्चे बीमार हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यूपी के कई स्कूलों में बच्चों से खाना बनवाने की शिकायतें सामने आईं।


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