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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

ITR, INCOMETAX : ITR 2018 रिटर्न फाइलिंग के दौरान अपने साथ जरूर रखें ये 10 डॉक्यूमेंट क्लिक कर पढ़े और लें पूरी जानकारी ।

ITR, INCOMETAX :  ITR 2018 रिटर्न फाइलिंग के दौरान अपने साथ जरूर रखें ये 10 डॉक्यूमेंट क्लिक कर पढ़े और लें पूरी जानकारी ।


रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कोशिश करें कि पहले से सभी दस्तावेजों को तैयार रखें...

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आईटीआर फाइलिंग की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2018 है। इस तारीख तक फाइल करने पर करदाताओं को 5000 रुपये तक का जुर्माना देना होगा। ऐसे में रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कोशिश करें कि पहले से सभी दस्तावेजों को तैयार रखें। इनके बिना फाइलिंग संभव नहीं है।

इस वर्ष आयकर विभाग ने करदाताओं को आईटीआर 1 के जरिए फाइलिंग करते समय वित्त वर्ष 2017-18 की अपनी ग्रॉस सैलरी इनकम और हाउस प्रॉपर्टी से हुई आय का ब्रेक-अप मुहैया कराना है। इसलिए अधिकांश चार्टेड एकाउंटेंट सभी करदाताओं को इस वित्त वर्ष के दौरान हुई आय के दस्तावेज तैयार रखने के लिए कह रहे हैं।

फार्म-16: अगर आप नौकरीपेशा हैं तो आईटीआर के दौरान फार्म-16 होना बहुत जरूरी है। यह आपको आपके इम्प्लॉयर की तरफ से मिलता है। इसमें कर्मचारी की सैलरी, एचआरए, मेडिकल रिंबर्समेंट और सेक्शन 80 सी के तहत किए गए निवेश की पूरी जानकारी रहती है। इस फार्म में किसी वित्तीय वर्ष में आपको दी गई पूरी सैलरी और टीडीएस की जानकारी होती है।

बैंक और पोस्ट ऑफिस से ब्याज का सर्टिफिकेट: सेविंग्स बैंक अकाउंट, पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट, फिस्क्ड डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट से कमाया गया ब्याज कर योग्य होता है। इसलिए करदाता को बैंक या पोस्ट ऑफिस शाखा से ब्याज का सर्टिफिकेट ले लेना चाहिए ताकि कमाये गये इंटरस्ट के बारे में जानकारी रहे। अगर आपको इंटरस्ट सर्टिफिकेट नहीं मिलता है तो सुनिश्चित करें कि आपकी एकाउंट पासबुक अपडेटिड है। साथ ही उसमें 31 मार्च, 2018 तक खाते में ब्याज क्रेडिट होने के संबंध में सारी जानकारी होनी चाहिए।

सैलरी स्लिप: आपकी सैलरी स्लिप में कंपनी की तरफ से प्रति माह मिले पैसे का लेखा जोखा रहता है। सैलरी स्लिप में कई हेड्स के तहत आपको मिले पैसों को ब्यौरा शामिल होता है। जैसे कि बेसिक सैलरी, एचआरए, डियरनेस अलाउंस, मेडिकल अलाउंस, कन्वेएन्स अलाउंस इत्यादि। आपकी सैलरी स्लिप में आपको मिले पैसों के साथ-साथ हुए डिडक्शन्स भी दर्ज रहते हैं।

सेक्शन 80D से 80U के तहत कटौती: सेक्शन 80सी के तहत टैक्स सेविंग निवेश और खर्च के अलावा, ऐसे कुछ खर्चे होते हैं जिनपर आयकर एक्ट के तहत कटौती का दावा किया जा सकता है। जैसे कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान भुगतान किये गए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर एक साल में 25000 रुपये तक की कटौती का दावा किया जा सकता है।

फार्म-16A/फार्म-16B/फार्म-16C: अगर सैलरी के अलावा किसी अन्य स्रोतों से भी आपको आमदनी हुई हो और उस पर टीडीएस कटा है तो उस कंपनी के द्वारा आपको फार्म-16A दिया जाता है। अगर आपके द्वारा प्रापर्टी बेची गई है तो आपको खरीददार फार्म-16B देता है, उस पर कितना टीडीएस कटा है जैसी सारी जानकारी दी जाती है। अगर आप मकान मालिक के तौर पर किराए से कमाई अर्जित कर रहे हैं तो किराए पर कटौती की गई टीडीएस के विवरण प्रदान करने के लिए किरायेदार से फॉर्म -16 सी देने के लिए कहा जाना चाहिए।

फार्म 26AS: फार्म 26एएस दरअसल टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट है जिसमें उन सभी करों का ब्यौरा दर्ज होता है जो आपकी ओर से (आपकी कुल आय में से) इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को प्राप्त हुए हैं। आप इनकम टैक्स की वेबसाइट से फॉर्म 26 AS डाउनलोड कर सकते हैं। इस फार्म की आपको बिल्कुल अनदेखी नहीं करनी चाहिए।

आधार कार्ड: आईटीआर फाइल करने के बाद उसे प्रोसेस करने के लिए अब आधार और पैन कार्ड लिंक होना जरूरी है। इनकम टैक्स की धारा 139AA के तहत आईटीआर फाइल करने के लिए आधार संबंधित जानकारी उपलब्ध करवाना जरूरी होता है।

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निवेश का ब्यौरा: अगर आपने इक्विटी लिंक्ड म्युचुअल फंड या पीपीएफ में निवेश किया है, तो यह आपको टैक्स छूट दिलाने में काम आते हैं। इसलिए आपने जो भी निवेश किया है, उसकी डिटेल अपने पास तैयार रखें।

होम लोन डिटेल का ब्योरा: अगर आपने होम लोन या कोई और लोन फाइनेंस करवाया है तो इसका ब्यौरा भी आपको तैयार रखना चाहिए। इनसे आपको टैक्स में छूट मिलती है।

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कैपिटल गेन: अगर आपने किसी प्रॉपर्टी या म्युचुअल फंड्स की बिक्री पर कैपिटल गेन कमाया है तो इसका उल्लेख आईटीआर में करना जरूरी है। आपको यह बात ध्यान रखनी इक्विटी शेयर्स और इक्विटी म्युचुअल फंड्स 31 मार्च, 2018 को या उससे पहले बेचने पर कर दायरे से बाहर रहेंगे। इनके लिए एक साल या उससे ज्यादा की होल्डिंग जरूरी है। एक अप्रैल, 2018 से अगर इक्विटी शेयर्स और इक्विटी आधारित म्युचुअल फंड से आपको मिलने वाला मुनाफा अगर एक लाख रुपये से अधिक हुआ तो आपको इसपर 10 फीसद तक का कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।

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