SOCIAL MEDIA, SHIKSHAMITRA : यूपी प्राथमिक शिक्षामित्र संघ पर सोशल मीडिया में झूठा प्रचार करने का आरोप
लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट से समायोजन कैंसिल हो जाने के बाद शिक्षामित्रों के 2 गुट उनके हक की लड़ाई लड़ने को लेकर आपस में भीड़ गए है। यूपी प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के स्टेट प्रेसिडेंट गाजी इमाम पर आदर्श शिक्षामित्र संघ की तरफ से शिक्षामित्रों के साथ धोखाधड़ी करने और गलत सूचना देकर पैसा उगाहने का आरोप लगाया गया है। उन पर ये भी आरोप है कि वे सोशल मीडिया में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट का नाम का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे है। 2 संगठनों के नेताओं के बीच शुरू हुई इस लड़ाई में यूपी के शिक्षामित्र उलझकर गए हैं। शिक्षामित्रों का असली और नकली रहनुमा पहचान करने को लेकर नई मुसीबत खड़ी हो गई है। वे परेशान होकर न्याय के लिए यहां वहां भटकने को मजबूर हो गए है।
यूपी प्राथमिक शिक्षामित्र संघ पर लगे है ये गंभीर आरोप
- आदर्श शिक्षामित्र संघ के स्टेट प्रेसिडेंट जितेन्द शाही ने स्टेट प्रेसिडेंट गाजी इमाम पर आरोप लगाया है की, "शिक्षामित्रों के साथ धोखाधड़ी करने और गलत सूचना देकर पैसा उगाहते हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट का नाम इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को बरगला रहे है और उनसे गलत तरीके से पैसा कमा रहे है।
- आरोप में गाजी इमाम द्वारा 6 अक्टूबर को सोशल मीडिया में किए गए पोस्ट को भी शामिल किया गया है।
- इसमें गाजी इमाम ने अपनी वाल पर लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे शिक्षामित्रों की तरफ से दायर रिव्यू पेटिशन पर सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के सामने बहस करेंगे। इसके लिए हरीश साल्वे ने अपनी तरफ से सहमति भी दे दिया है।
- आरोप है कि हरीश साल्वे ने शिक्षामित्रों के तरफ से पैरवी करने से मना कर दिया है। इसके बावजूद गाजी इमाम ने सोशल मीडिया में शिक्षामित्रों को गलत जानकारी दी।
आदर्श शिक्षामित्र संघ का पक्ष
- आदर्श शिक्षामित्र संघ के स्टेट प्रेसिडेंट जितेन्द्र शाही के मुताबिक, यूपी प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के नेताओं की सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट हरीश साल्वे से कोई बात नहीं हुई है और न ही उन्होंने अभी सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों की तरफ से पैरवी करने के लिए अभी तक कोई हामी भरी है।
- यूपी प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रेसिडेंट गाजी इमाम आला सोशल मीडिया में गलत जानकारी पोस्ट कर भोले भाले शिक्षामित्रों को बरगलाने और पैसा ऐठने का काम कर रहे है। ये ठीक बात नहीं है। शिक्षामित्रों को इस तरह के लोगों से बच कर रहने की जरुरत है।
यूपी प्राथमिक शिक्षामित्र का पक्ष
- यूपी प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के स्टेट प्रेसिडेट गाजी इमाम आला के मुताबिक, हमारी तरफ से शिक्षामित्रों को कोई गलत जानकारी नहीं नहीं दी गई है। हमारे संगठन के प्रदेश कोषाध्यक्ष रमेश मिश्रा व कानून अधिवक्ता गौरव यादव से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे से परसों बात हुई है।
- हरीश साल्वे ने शिक्षामित्रों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पेटिशन पर बहस करने के लिए हामी भरी है। इसलिए इस तरफ का बेबुनियाद आरोप लगाना ठीक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट हरीश साल्वे का पक्ष
- एक करीबी शख्स ने बताया, "हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने के लिए अभी तक कोई हामी नहीं भरी है। उनका कहना है कि जब तक कोर्ट इस मामले को नोटिस नहीं ले लेगी तब तक वे पैरवी नहीं करेंगे।"
जाने हरीश साल्वे के बारे में
- हरीश साल्वे लंबे समय तक केंद्र में कांग्रेस की सरकारों में मंत्री रहे एनकेपी साल्वे के बेटे हैं। 42 साल के अपने करियर में वह कई कॉरपोरेट घरानों का पक्ष कोर्ट में रख चुके हैं। उनकी गिनती भारत के सबसे महंगे वकीलों में होती है।
- उन्होंने पहला केस 1975 में बालीवुड एक्टर की तरफ से लड़ा था और उन्हें जीत मिली थी। हरीश साल्वे ने एक रुपये फीस लेकर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में कुलभूषण जाधव का भी केस लड़ा था, जिस पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय कुलभूषण जाधव के मामले में अंतिम सुनवाई तक उन्हें दिए गए मृत्युदंड पर रोक लगा दिया था।
- बाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर हरीश साल्वे के प्रति आभार व्यक्त किया था।
- 'लीगली इंडिया डॉट कॉम' के मुताबिक, 2015 में साल्वे कोर्ट में एक सुनवाई के लिए 6 से 15 लाख रुपए लेते थे।
-उन्होंने हिट एंड रन मामले में की तरफ से कोर्ट में पैरवी की थी, जिसके बाद सलमान कोर्ट से रिहा कर दिए गया था और इसका क्रेडिट हरीश साल्वे को मिला था।
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