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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

PRERAK, SAKSHAR BHARAT MISSION : एक झटके में बेरोजगार हो गये 94 हजार प्रेरक, साक्षर भारत मिशन में संविदा पर थे कार्यरत , केन्द्र सरकार से हरी झंडी न मिलने पर संविदा को नहीं बढ़ाया जा सका

PRERAK, SAKSHAR BHARAT MISSION : एक झटके में बेरोजगार हो गये 94 हजार प्रेरक, साक्षर भारत मिशन में संविदा पर थे कार्यरत , केन्द्र सरकार से हरी झंडी न मिलने पर संविदा को नहीं बढ़ाया जा सका

लखनऊ।साक्षरता बढ़ाने के लिए केन्द्र की साक्षर भारत मिशन योजना में संविदा पर रखे गये 94 हजार से ज्यादा प्रेरक बेराजगार हो गये हैं। पौने दो लाख शिक्षामित्रों के बाद इन प्रेरकों को भी बड़ा झटका लगा। साक्षरता से जुड़े अधिकारी भी अब इसको लेकर अपनी असमर्थता जता रहे हैं, उनका कहना है कि योजना बढ़ाने का आदेश न आने की स्थिति में संविदा को आगे नहीं बढ़ाया जा सका है।

उल्लेखनीय है कि साक्षर भारत मिशन के तहत ग्राम स्तर पर तैनात प्रेरकों को 27 सितंबर को झटका लगा था, जब निदेशक साक्षरता वैकल्पिक शिक्षा एवं सचिव राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के पद पर तैनात अवध नरेश शर्मा ने विभागीय अफसरों को प्रेरकों की संविदा समाप्त होने व उन्हें आगे न बढ़ाने का आदेश जारी किया था। तब से तकरीबन दस दिन हो चुके हैं प्रेरको की स्थिति डोलड्रम जैसी हो गयी है। योजना का कार्यकाल पहले ही 30 सितम्बर 2017 तक था, लेकिन प्रेरकों की उम्मीद फिर भी कायम थी। केन्द्र सरकार से योजना आगे बढ़ाने को लेकर कोई निर्णय न हो पाने के चलते राज्य सरकार भी खामोश है।

विभागीय निदेशक अवध नरेश शर्मा का कहना है कि हम लोग योजना को लेकर सकारात्मक है, लेकिन जब तक केन्द्र सरकार का कोई दिशा-निर्देश नहीं मिलता, कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि प्रेरकों को 2000 रुपये महीने मानदेय मिल रहा था, इसमें 60 फीसद केन्द्रांश व 40 फीसद राज्य सरकारों का योगदान है। पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य अभी हासिल होना बाकी है, ऐसे में साक्षर भारत मिशन को लेकर अनिर्णय की स्थिति पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
उत्तरप्रदेश में प्रेरकों से बीएलओ, पल्स पोलियो तथा दूसरे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का काम लिया जाता था। प्रेरकों द्वारा निरक्षरों को खोजने और उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित करने की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ रही थी। प्रेरक इसके लिए पूरा-पूरा दिन सव्रे करते थे,लेकिन अब वह सभी ठप हो चुका है। प्रेरकों ने मानदेय समय से न मिलने की बात भी कही। सीतापुर के महोली ब्लॉक के प्रेरकों ने 27 माह से मानदेय न मिलने की बात भी कही।

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