SHIKSHAMITRA, TEACHING : यूपी में आंदोलन खत्म होने के बाद स्कूलों में पढ़ाने पहुंचे शिक्षामित्र, बच्चों के खिले चेहरे
लखनऊ लाइव हिन्दुस्तान । प्रदेश में एक सप्ताह से आंदोलन कर रहे शिक्षामित्र बुधवार को स्कूलों में पहुंचे। जिन स्कूलों में अभी तक ताले लटके हुए थे आज वहां सुबह से चहल–पहल थी, बच्चे भी स्कूल पहुंचे और पढ़ाई शुरू हो गई। हालांकि कुछ शिक्षामित्र अभी भी पढ़ाने स्कूल नहीं पहुंचे हैं।
📌 IMPORTANT, CIRCULAR : प्रदेश के समस्त परिषदीय विद्यालयों में सुचारू रूप से पठन-पाठन सुनिश्चित कराये जाने के सम्बन्ध में ।
सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद होने के बाद से ही प्रदेश में शिक्षामित्र आंदोलन पर थे। मंत्री, सांसदों, विधायकों का आवास घेरने के साथ ही इन लोगों ने प्रदेश के सभी जिलों में हाईवे पर चक्क्ा जाम किया था।
मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। इसके बाद यूपी के शिक्षा मित्रों ने बुधवार से स्कूलों में पठन-पाठन बहाल करने का ऐलान किया था। इसके साथ ही शिक्षा मित्रों ने बीते एक हफ्ते से चल रहा आंदोलन स्थगित हो गया था।
शिक्षामित्र अनुभव के आधार पर प्रतिवर्ष सात अंक के भारांक की मांग भी कर रहे हैं। हालांकि शिक्षा मित्रों ने ऐलान किया है कि यदि दो हफ्ते भीतर समाधान नहीं निकला तो वे फिर सड़कों पर उतरेंगे। मुलाकात के बात बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री शिक्षमित्रों के प्रति संवेदनशील हैं। उनकी समस्याओं पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जा रहा है, लेकिन इससे पहले शिक्षामित्र स्कूलों में जाकर पढ़ाए।
सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरपी सिंह से मुलाकात के दौरान शिक्षा मित्रों ने 10 हजार रुपये मानदेय पर काम करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने वेतन के रूप में मिल रही धनराशि को मानदेय के रूप में देने की मांग रखी थी।
बैठक में बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरपी सिंह, विभागीय निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह के साथ आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष आरपी सिंह, प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला समेत कई शिक्षामित्र मौजूद रहे।
यहाँ यह भी जानें -
भले ही आज से शिक्षामित्रों ने सीएम के आश्वासन के बाद से स्कूलों में पढ़ाना शूरु कर दिया हो लेकिन शिक्षामित्रों का कहना है कि अगर दो सप्ताह में हमारी मांगे नहीं मानी गई तो फिर से आंदोलन करेंगे।
मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। इसके बाद यूपी के शिक्षा मित्रों ने बुधवार से स्कूलों में पठन-पाठन बहाल करने का ऐलान किया। इसके साथ ही शिक्षा मित्रों ने बीते एक हफ्ते से चल रहा आंदोलन स्थगित हो गया।
ये रही शित्रामित्रों की मांगे-
1-शिक्षामित्रों की प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से उनके समायोजन को लेकर सदन में नया आधिनियम पारित करने की मांग की।
3-राज्य सरकार से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग रखी।
4-शिक्षामित्र अनुभव के आधार पर प्रतिवर्ष सात अंक के भारांक की मांग भी कर रहे हैं।
स्कूलों में वापस जाएं और सरकार को समय दें: सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार के साथ वार्ता और धरना-प्रदर्शन, स्कूलों का बहिष्कार एक साथ नहीं हो सकता। पहले शिक्षामित्र स्कूलों में वापस जाए और सरकार को समय दें। सरकार ने बातचीत के सारे रास्ते खुले रखे हैं। शिक्षामित्र भी इसमें सहयोग करे।
यहां पढ़ें सुप्रीम कोर्ट से जुड़े फैसले से जुड़ी 5 बातें-
1- शिक्षामित्र तत्काल नहीं हटाए जाएंगे
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1.78 लाख शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को सिरे से गैरकानूनी ठहराया है। लेकिन शिक्षामित्र तत्काल नहीं हटाए जाएंगे।
2- शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में बैठना होगा
कोर्ट के अनुसार शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में बैठना होगा और उन्हें लगातार दो प्रयासों में यह परीक्षा पास करनी होगी। शिक्षक भर्ती परीक्षा में शिक्षामित्रों को अध्यापन अनुभव का वेटेज तथा उम्र सीमा में रियायत दी जा सकती है।
3- 1.78 लाख दावों को कानून का उल्लंघन करते हुए नियमित किया गया
पीठ ने कहा लेकिन हमारे सामने जहां 1.78 लाख लोगों के दावे हैं, जिन्हें कानून का उल्लंघन करते हुए नियमित किया गया है। वहीं हमें कानून के शासन को भी ऊपर रखने के साथ ही छह से 14 साल के बच्चों को शिक्षित शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के अधिकार को देखना है। यदि हम अस्थाई रूप से अयोग्य शिक्षकों से अध्यापन को जारी भी रखते हैं तो भी योग्य शिक्षक नियुक्त करने ही होंगे।
4- राज्य सरकार ने योग्यताओं में रियायत देकर शिक्षामित्रों को नियुक्ति दी थी,
राज्य को आरटीई एक्ट की धारा 23(2) के तहत शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यताओं को घटाने का कोई अधिकार नहीं है। आरटीई की बाध्यता के कारण राज्य सरकार ने योग्यताओं में रियायत देकर शिक्षामित्रों को नियुक्ति दी थी। पीठ ने कहा कि कानून के अनुसार ये कभी शिक्षक थे ही नहीं, क्योंकि ये योग्य नहीं थे।
5- राज्य सरकार यह परीक्षाएं लगातार दो बार आयोजित करेगी
राज्य सरकार यह परीक्षाएं लगातार दो बार आयोजित करेगी, जिसमें आवश्यक योग्यताएं सामान्य रहेंगी और उनमें कोई छूट नहीं दी जाएंगी। जो शिक्षामित्र विज्ञापन के अनुसार योग्य होंगे, वे दो भर्ती परीक्षाओं में बैठ सकते हैं। उनके इस अवसर का लाभ उठाने तक सरकार उन्हें शिक्षामित्र के रूप में जारी रख सकती है लेकिन इसके लिए शर्तें नियमितीकरण से पूर्व की होंगी।
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📌 SHIKSHAMITRA, TEACHING : यूपी में आंदोलन खत्म होने के बाद स्कूलों में पढ़ाने पहुंचे शिक्षामित्र, बच्चों के खिले चेहरे 👉 http://www.basicshikshanews.com/2017/08/shikshamitra-teaching.html
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