SPORT : सरकारी स्कूलों में खेल पर अब ज्यादा जोर, खेल कार्यक्रमों को ज्यादा प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग योजना बना रहा
प्रमुख संवाददाता - राज्य मुख्यालय । सरकारी प्राइमरी स्कूलों में अब खेलकूद पर भी ध्यान दिया जाएगा। खेल कार्यक्रमों को ज्यादा प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग योजना बना रहा है। सरकारी प्राइमरी स्कूलों के लिए जिला, मंडल व राज्य स्तर पर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करने की व्यवस्था है। राज्य स्तर पर जीते छात्र-छात्राओं की राष्ट्रीय स्तर के खेलों में भाग लेने की व्यवस्था है लेकिन अब मंशा सभी बच्चों को खेल से जोड़ने की है। खेल विभाग का विज़न है कि 6 से लेकर 18 वर्ष तक के छात्र छात्राओं को किसी न किसी खेल से जोड़ा जाए। इस विजन को ध्यान में रखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग काम कर रहा है। विभाग की योजना है कि हर बच्चे को खेल के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए योजना बनाने पर मंथन चल रहा है और अधिकारी लखनऊ समेत आसपास के जिलों के अनुभवी खेल शिक्षकों के साथ परामर्श करेंगे। उनके सुझावों के बाद ही नई व्यवस्था लागू की जाएगी। प्रदेश में अक्टूबर-नवम्बर में स्कूलों में खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। हालांकि बीच में बजट के अभाव में यह बंद हो गया था लेकिन बीते 2-3 वर्षों में खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन दोबारा शुरू किया गया है। इसमें उम्र व कक्षावार खो-खो, कबड्डी, वालीबाल, फुटबाल, हैंडबाल, बास्केट बाल, हाकी, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, जूडो, जिमनास्टिक, क्रिकेट, तैराकी, कुश्ती, एथलेटिक्स व योगा आदि खेलों को सिखाया जाता है और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। शिक्षा का अधिकार कानून के बाद स्कूलों की मान्यता के लिए खेल का मैदान होना जरूरी है। खेल पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल भी है।
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