PROTEST : समायोजित शिक्षामित्रों ने बुधवार से स्कूल नहीं जाने का किया एलान, अगर जलीकट्टू के आयोजन के लिए बिल लाया जा सकता है तो शिक्षामित्रों को समायोजित करने के लिए भी सरकार करे विशेष प्राविधान
हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ । शिक्षामित्रों ने हार न मानते हुए पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि अब राज्य सरकार चाहे तो वह नियम बना कर शिक्षामित्रों को पूर्ण अध्यापक का दर्जा दे सकती है। समायोजित शिक्षामित्रों ने बुधवार से स्कूल नहीं जाने का ऐलान किया है।
आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा कि फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। अब हमारी निगाहें सरकार की तरफ है। यदि सरकार कोई सकारात्मक घोषणा नहीं करती तो हम कार्य बहिष्कार जारी रखेंगे। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह कोई सकारात्मक कदम उठा कर हमारे भविष्य को सुरक्षित करे। अगर जलीकट्टू के आयोजन के लिए बिल लाया जा सकता है तो शिक्षामित्रों को समायोजित करने के लिए भी सरकार विशेष प्राविधान कर सकती है।
वहीं उप्र दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा है कि हम वरिष्ठ अधिवक्ताओं की मदद ले रहे हैं। शिक्षामित्र संविधान और सरकार पर भरोसा रखे। निर्णय हमारे पक्ष में नहीं आया है लेकिन सभी शिक्षामित्रों से अपील है कि वे हिम्मत न हारे और निराशा में कोई गलत कदम न उठाए। सरकार से भी हम वार्ता करेंगे और केन्द्र व राज्य सरकारों के साथ संपर्क करेंगे। कोई न कोई हल जरूर निकलेगा।
जानें शिक्षा मित्रों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़ी 5 बातें
उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों (Shikshmitra) के समायोजन पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यहां पढ़ें सुप्रीम कोर्ट से जुड़े फैसले से जुड़ी 5 बातें:
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1.78 लाख शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को सिरे से गैरकानूनी ठहराया है। लेकिन शिक्षामित्र तत्काल नहीं हटाए जाएंगे।
कोर्ट के अनुसार शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में बैठना होगा और उन्हें लगातार दो प्रयासों में यह परीक्षा पास करनी होगी। शिक्षक भर्ती परीक्षा में शिक्षामित्रों को अध्यापन अनुभव का वेटेज तथा उम्र सीमा में रियायत दी जा सकती है।
राज्य को आरटीई एक्ट की धारा 23(2) के तहत शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यताओं को घटाने का कोई अधिकार नहीं है। आरटीई की बाध्यता के कारण राज्य सरकार ने योग्यताओं में रियायत देकर शिक्षामित्रों को नियुक्ति दी थी। पीठ ने कहा कि कानून के अनुसार ये कभी शिक्षक थे ही नहीं, क्योंकि ये योग्य नहीं थे।
राज्य सरकार यह परीक्षाएं लगातार दो बार आयोजित करेगी, जिसमें आवश्यक योग्यताएं सामान्य रहेंगी और उनमें कोई छूट नहीं दी जाएंगी। जो शिक्षामित्र विज्ञापन के अनुसार योग्य होंगे, वे दो भर्ती परीक्षाओं में बैठ सकते हैं। उनके इस अवसर का लाभ उठाने तक सरकार उन्हें शिक्षामित्र के रूप में जारी रख सकती है लेकिन इसके लिए शर्तें नियमितीकरण से पूर्व की होंगी।
1 Comments
📌 PROTEST : समायोजित शिक्षामित्रों ने बुधवार से स्कूल नहीं जाने का किया एलान, अगर जलीकट्टू के आयोजन के लिए बिल लाया जा सकता है तो शिक्षामित्रों को समायोजित करने के लिए भी सरकार करे विशेष प्राविधान
ReplyDelete👉 http://www.basicshikshanews.com/2017/07/protest.html