SESSION, BOOK'S, SCHOOL BAG : सत्र नया, किताबें व बैग पुराना, बेसिक शिक्षा सचिव का निर्देश, पुरानी किताबों की अंतरिम व्यवस्था करें ।
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नये शैक्षिक सत्र को लेकर अब दिशा-निर्देश जारी हो रहे हैं। कुछ दिन पहले शैक्षिक कैलेंडर जारी हुआ और फिर बच्चों को पढ़ाने के लिए पुराने किताबों की अंतरिम व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। कुछ जिलों में पिछले सत्र का बैग अब बांटा जा रहा है, वहीं इलाहाबाद समेत कई तमाम ऐसे जिले भी हैं, जहां वितरण की राह देखी जा रही है। 1सूबे के परिषदीय विद्यालयों में नया शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू हो चुका है। यहां सत्र को लेकर कोई असमंजस नहीं था, इसके बाद भी विभागीय अफसर बेसिक शिक्षा अधिकारियों व विद्यालयों को नये सत्र को लेकर दिशा-निर्देश नहीं दे रहे थे। शायद इसकी वजह शिक्षा निदेशक बेसिक का पद खाली होना रहा है, क्योंकि बेसिक शिक्षा सचिव ने भले ही अतिरिक्त कार्यभार ले रखा है लेकिन, उनका विभाग से बहुत जुड़ाव नहीं है। बड़े अफसरों की चुप्पी के बाद भी शिक्षकों ने अपने स्तर से शैक्षिक सत्र का श्रीगणोश किया। नामांकन आदि की प्रक्रिया स्कूलों में चल रही है। अभी कुछ दिन पहले ही शैक्षिक कैलेंडर भी परिषद सचिव ने जारी कर दिया है। साथ ही पठन-पाठन के सख्त निर्देश भी जारी किए गए हैं। इतना सब होने के बाद भी स्कूलों में पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है, इसकी वजह किताबों आदि का पुख्ता प्रबंध न हो पाना है। कुछ स्कूलों में शिक्षकों ने बच्चों की किताबें जमा करा ली थी, वहां तो जैसे-तैसे व्यवस्था चल रही है लेकिन, शैक्षिक कैलेंडर का उपयोग तभी होगा, जब हर छात्र के हाथ में किताबें हों। सरकार की ओर से भी जुलाई माह में किताबें मुहैया हो पाने के संकेत हैं। कुछ दिन पहले बेसिक शिक्षा सचिव अजय कुमार सिंह ने निर्देश दिया है कि शिक्षक बच्चों की पुरानी किताबों को जमा करा लें यह अंतरिम व्यवस्था करके स्कूलों में पढ़ाई शुरू कराएं। यह जरूर है कि पिछले सत्र में बांटे जाने वाले स्कूल बैग और मिडडे-मील के बर्तन कुछ दिन पहले ही स्कूलों में पहुंच हैं अब उनको वितरित करने की खानापूरी चल रही है। इलाहाबाद सहित कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां स्कूल बैग का वितरण अब तक नहीं हो सका है। ड्रेस को लेकर अफसरों में उहापोह है। माना जा रहा है कि उसमें बदलाव होगा। यह कब मिलेगा इस पर अफसर भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
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