PRIVATE SCHOOL : शिक्षा के बाजार में लुट रहे अभिभावक, प्रशासन सख्त न होने से फीस वसूल रहे निजी स्कूल, स्टेशनरी और अन्य खर्च के नाम पर करते वसूली
प्राइवेट की एडमीशन फीस 1नर्सरी: 9 से 10 हजार रुपये है। 1कक्षा 1 से 5 : 15 हजार1 कक्षा 6 से 8: 18 हजार 1कक्षा 9 से 12: 25 हजार 1यह महीने की फीस 1प्ले ग्रुप से कक्षा 5: 1500 रुपये 1कक्षा 6 से 8 : 2000 से 2500 रुपये 1कक्षा 9 से 12: 3000 से 4000 रुपये 1स्टेशनरी का खर्च 1प्ले ग्रुप से कक्षा 5: 1500 से 3500 रु.1कक्षा 6 से 8 : 5000 से 8000 रु.1कक्षा 9 से12 : 6000 से 10000 रु. 1सरकारी स्कूल में फीस 1कक्षा 1 से 5: कोई नहीं 1कक्षा 6 से 8: कोई नहीं 1कक्षा 9 से 12: 400 से 500 रुपये 1स्टेशनरी का खर्च सरकारी स्कूल में 1कक्षा 1 से कक्षा: मुफ्त 1कक्षा 9 से12 : 1000 से 2500 रु.1
भारी भरकम फीस, सुविधा जीरो 1निजी स्कूलों में भारी भरकम मंथली फीस ली जाती है। यह फीस क्वाटरली जमा होती है यदि कोई अभिवावक लेट फीस जमा करता है तो उसे आर्थिक दंड भी देना पड़ता है। दावे होते हैं कि बच्चों को वातानुकूलित कमरों में पढ़ाया जाता है। बिजली कटने पर जनरेटर की सुविधा होती है। लेकिन बच्चे पंखों के नीचे पढ़ते हैं तथा बिजली जाने पर आफिस में जनरेटर चलता है। प्रबंधतंत्र का कमरा वातानुकूलित रहता है।
आशीष दीक्षित, रायबरेली : यश पढ़ते तो हैं नर्सरी में लेकिन इनके बैग का वजन तीन किलो है तथा एडमिशन फीस डिग्री कॉलेज से दो गुनी है। कृति कक्षा चार में पढ़ती है। इनकी कॉपी किताबों का खर्च 5 हजार से अधिक है। स्कूल खुला नहीं कि बच्चों के अभिवावक के पास यही एक टेंशन रहती है कि ड्रेस लेनी है, कॉपी किताब स्कूल द्वारा निर्धारित बुक स्टाल से लेनी है। खर्च 15 से 20 हजार का आना तय है। स्कूलों पर शासन की कोई सख्ती न होने से यह शिक्षा का बाजारवाद साल दर साल बढ़ रहा है। अप्रैल शुरू होते ही अभिवावकों को बेहतर शिक्षा का सपना दिखाकर निजी स्कूल अप्रैल फूल बनाते हैं। बच्चे किताबों का बोझ ढोकर खुद को हाईप्रोफाइल स्कूल का स्टूडेंट दिखने की कोशिश में रहतै है। सरकारी स्कूलों में व्यवस्था व पढ़ाई की गुणवत्ता पर सवाल का फायदा निजी स्कूल उठा रहे हैं।1एडमिशन फीस नहीं यह लूट है 1जब कोई स्टूडेंट एक बार किसी स्कूल में पंजीकृत हो जाता है तो फिर उससे अगले साल एडमिशन फीस लेने का कोई नियम नहीं है,लेकिन निजी स्कूलों का अपना नियम है। नए सत्र में नया एडमिशन और नए तरीके से पैसे को अंदर किया जा रहा है। यह फीस वाया चेक बैंक स्कूलों में खुले बैंक एकाउंट में जमा होती है। निजी स्कूल वाले कहते हैं कि यह तो मेंटीनेंस फीस है। सवाल यह है कि मेंटीनेंस के लिए भारी भरकम एडमिशन फीस की क्या जरूरी है।
प्रशासन सख्त न होने से फीस वसूल रहे निजी स्कूल
स्टेशनरी और अन्य खर्च के नाम पर करते वसूली,
सुविधा जीरो :-
शासन की गाइड लाइन के अनुरूप ही निजी स्कूल स्कूल फीस ले सकते हैं लेकिन यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो अभिवावक शिकायत करें। इसकी जांच करायी जाएगी। अभिवावक खुद इसके लिए जिम्मेदार हैं वह शिकायत करने आते ही नहीं है। इससे संबंधित स्कूल के बारे में पता नहीं लग पाता है। 1राकेश कुमार , जिला विद्यालय निरीक्षक
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