FEES, PRIVET SCHOOL : कमेटी तय करेगी प्राइवेट स्कूलों की फीस, फीस पर लगाम लगाने के लिए गुजरात मॉडल पर नया विधेयक लाएगी यूपी सरकार
⚫ तीन साल से पहले फीस नहीं बढ़ा सकेंगे निजी स्कूल
⚫ गुजरात मॉडल : 15 हजार से 27 हजार रखी गई है फीस, इस आधार पर तय होगी फीस
लखनऊ : प्रदेश के निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम का ‘योगी फामरूला’ तैयार हो गया है। हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनेगी। जो सभी स्कूलों की न केवल फीस निर्धारित करेगी बल्कि उनपर नजर रखेगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश विद्यालय (फीस के संग्रहण का विनियमन) विधेयक, 2017 लाने का फैसला लिया है। नई व्यवस्था में साफ कर दिया गया है कि तीन साल से पहले फीस नहीं बढ़ेगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर इसका प्रारूप जारी किया गया है।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमरनाथ वर्मा ने बताया कि विधेयक पर आमराय के लिए इसे सार्वजनिक किया गया है। इस पर कोई भी व्यक्ति आगामी 25 अप्रैल तक अपने सुझाव निदेशक को ई-मेल के माध्यम से भेज सकता है। सुझावों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
गुजरात सरकार ने करीब चार दिन पहले ही निजी स्कूलों की फीस कंट्रोल का नया मॉडल लागू किया है। इसमें, प्रदेश को चार जोन में बांटा गया। चारों जोन में चार फीस रेगुलेट्री अथॉरिटी बनाई गई। स्कूल की फीस प्राइमरी में 15 हजार रुपये प्रति वर्ष से सीनियर सेकंडरी में 27 हजार रुपए प्रतिवर्ष तय कर दी गई।
निजी स्कूल की आधाभूत संरचना, सुविधाएं, प्रशासन व रखरखाव पर व्यय, स्कूल की वृद्धि और विकास पर अपेक्षित खर्च और अन्य कारक। इसके अलावा, स्कूल प्रत्यावेदन दे सकेंगे।
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