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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

ALLAHABAD HIGHCOURT, MODEL, GUIDELINE : प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त हो गया, स्कूलों की बेहतरी को बनाएं मॉडल गाइडलाइन

ALLAHABAD HIGHCOURT, MODEL, GUIDELINE : प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त हो गया, स्कूलों की बेहतरी को बनाएं मॉडल गाइडलाइन

विधि संवाददाता, इलाहाबाद : प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त हो गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से एक लाख से ज्यादा प्राथमिक स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मॉडल गाइड लाइन तैयार करने और उसे चरणबद्ध तरीके से लागू कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को 16 मई तक की समय सीमा तय की है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कृष्ण प्रकाश त्रिपाठी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार की योजना पर असंतोष जताया है। बेसिक शिक्षा सचिव की ओर से प्रस्तुत योजना पर कोर्ट ने कहा कि पूर्व में दिये गए निर्देश के मुताबिक मॉडल गाइड लाइन नहीं बनाई गई। सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार की ओर से तय मानकों के अनुसार अतिरिक्त सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की गई है। साथ ही इसके केंद्र सरकार से ही बजट की अपेक्षा की गई है। खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार को स्वयं मॉडल गाइड लाइन बनानी चाहिए और इसके लिए बजट का प्रावधान भी उसी का हिस्सा होना चाहिए। मामले के तथ्यों के अनुसार कोर्ट ने पूर्व में प्रदेश के सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पुरुष व महिला शौचालय, पेयजल, बेंच, डेस्क आदि की सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मॉडल गाइड लाइन तैयार करने को कहा था।

विधि संवाददाता, इलाहाबाद : प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त हो गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से एक लाख से ज्यादा प्राथमिक स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मॉडल गाइड लाइन तैयार करने और उसे चरणबद्ध तरीके से लागू कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को 16 मई तक की समय सीमा तय की है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कृष्ण प्रकाश त्रिपाठी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार की योजना पर असंतोष जताया है। बेसिक शिक्षा सचिव की ओर से प्रस्तुत योजना पर कोर्ट ने कहा कि पूर्व में दिये गए निर्देश के मुताबिक मॉडल गाइड लाइन नहीं बनाई गई। सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार की ओर से तय मानकों के अनुसार अतिरिक्त सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की गई है। साथ ही इसके केंद्र सरकार से ही बजट की अपेक्षा की गई है। खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार को स्वयं मॉडल गाइड लाइन बनानी चाहिए और इसके लिए बजट का प्रावधान भी उसी का हिस्सा होना चाहिए। मामले के तथ्यों के अनुसार कोर्ट ने पूर्व में प्रदेश के सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पुरुष व महिला शौचालय, पेयजल, बेंच, डेस्क आदि की सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मॉडल गाइड लाइन तैयार करने को कहा था।

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