MEENA KI DUNIYA : मीना की दुनिया - रेडियो प्रसारण, एपिसोड 70 । कहानी का शीर्षक - “घर का भूत” क्लिक कर पढें ।
👉 मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
👉 एपिसोड- 70
👉 दिनांक 23/02/2017
👉 प्रसारण समय 11:30 से 11:30 तक
मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-70
दिनांक-04/02/2016
🔴 आज की कहानी का शीर्षक- “घर का भूत”
मीना अपने भाई और दोस्तों के साथ एक झोपड़ी के पास हैं। राजू भूत के डर से वहाँ जाने को मना कर रहा है, मीना उसे समझा रही है कि भूत जैसा कुछ नहीं होता क्योंकि बहनजी ने भी यही समझाया था।
राजू : नहीं मीना, हमने खुद उसकी आवाज़ सुनी थी।
दूसरी आवाज़:और माँ भी हमे वहाँ जाने से मना करती है
तीसरी आवाज़: वहाँ सचमुच भूत है।
मीना: चलो, वहाँ सब लोग साथ चलते हैं।
हाँ, मीना सब लोग साथ चलते हैं।
मीना के हिम्मत देने से सभी ने एक साथ खेलना शुरू कर दिया। दीपू के जोर से बल्ला घुमाने से बॉल उस झोपड़ी के पास चली गयी।
और
वहाँ सचमुच आवाज़ें 🎶🎶 🎶🎶 आ रहीं थी
........ढोल की आवाज़
........घुंघरू की आवाज़
राजू डर से कांपते हुए कहता है: मीना
दीपू भी डर के बोलता है, : मैंने कहा था न कि सच में भूत है। चलो, चलो सब मेरे साथ।
सब डर कर वहाँ से जाने लगते हैं।
मीना उन्हें रोकती है और अपने साथ चलने को कहती है।
मिट्ठू भी कहता है कि हाँ सब आओ साथ डरने कि नहीं कोई बात
सब बच्चे डरे हुए हैं और वहां जानो को मना करते हैं
दीपू: हम सब घर जा रहे है, हमे नहीं जाना झोपड़ी के पास
मीना सब का सब्र बंधाते हुए कहती है, कि वो उनके साथ है, भूत जैसा कुछ नहीं होता।
मीना सब को वहीँ रुकने को कहती है। वह अकेली ही अंदर जाने की सोचती है।
मीना मिट्ठू को ले झोपड़ी के अंदर जाने लगती है।
कि तभी..........
झोपड़ी से किसी ने बहुत जोर से गेंद बाहर फ़ेंक दी। गेंद मीना के ठीक सिर के ऊपर से गयी और खुद को बचाने के चक्कर में वो नीचे गिर जाती है,............
............तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा......आवाज़ आई "उठो"
मीना: ये गेंद तुमने फेंकी है।
सीमा(गेंद फेंकने वाली लड़की): ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्, हाँ हाँ, मेरा नाम सीमा है। हम लोग कुछ ही दिन पहले ही पास वाले गांव से यहां रहने आये हैं। मेरा घर यहीं पास में है।
मीना: लेकिन, तुम यहाँ क्या कर रही हो सीमा।
ढोल,,घुंघरू की🎶🎶🎶🎶 आवाज़ फिर से आती है
मीना जानना चाहती है कि आखिर अंदर है कौन?
मीना और सीमा झोपड़ी के अंदर जाती हैं और क्या देखती हैं.......
उन दोनों को गाय के रम्भाने की आवाज़ सुनाई देती है।
गाय के गले पर घुंघरू बंधे हैं और एक चारे से भरा कनस्तर।
दोनों साथ में: "ओह्ह्ह्ह
मीना: तो अब समझी, ये है भूत की आवाज़, .....
दोनों जोर से हंसती हैं,
सीमा बताती है कि जब इन आवाज़ों को सुनकर सब उसे भूत की आवाज़ सुनकर डरते हैं तो उसे बहुत मज़ा आता है। हाहाहाहा,,,,,,,,
मीना अचंभित हो पूछती है कि किसी को डरा कर उसे मज़ा कैसे आ सकता है ?? किसी के डर पर हंसना तो अच्छी बात नहीं। और ये गाय तो सरपंच जी की है और वो खो गयी थी।
ओह्ह्ह्ह्ह जिसे बच्चे भूत समझ कर डर रहे थे वो तो गाय निकली।
इधर झोपड़ी के बाहर,
दीपू: मीना ने भूत से गेंद तो छुड़वा ली मगर
राजू: मगर मीना कहाँ रह गयी।
दीपू : कहीं भूत ने उसे,........
वो सब अंदर चलने का मन बनाते हैं
सभी मीना को ढूँढ़ते हुए अंदर जाते हैं,
मीना, मीना, मीना
मीना को सकुशल देखते ही
राजू : मीना तुम ठीक तो हो न
और ये?
ये कौन है
मीना: ये सीमा है, गाँव में नई नई आई है, यहीं पास में रहती है।
वो सब को गाय रुपी भूत से मिलवाती है
बच्चे गाय के गले में बंधे घुँगरू और कनस्तर का राज़ जानना चाहते हैं।
सभी को घुंघरू और ढोल की आवाज़ का रहस्य समझ में आ जाता है।
मिट्ठू भी अपनी चोच बीच में घुसाता है।
सब हँसते हैं और रोज़ वहां आकर खेलने की बात करते हैं।
दीपू: हँसते हुए,,,,,,, मीना तुम भी हमारे साथ क्रिकेट खेलो ना, गेंद तो बहुत ज़ोर की फेंकती हो तुम
मीना: न, गेंद तो सीमा ने फेंकी थी। टीम में रखना है तो सीमा को रखो।
राजू: अव्व्व्, सीमा, तुम खेलोगी हमारी टीम में?
सीमा: हाँ, जरूर खेलूंगी।
दीपू: लेकिन सीमा, तुम यहाँ इस झोपड़ी में? गाय के साथ?
सीमा: मैं इसका दूध पीने आती हूँ दीपू। मुझे दूध बहुत अच्छा लगता है। पुराने गाँव में तो हमारे पड़ोस में ही गाय थी। माँ रोज़ उसका दूध लाकर पिलाती थी।
लेकिन यहाँ हम नए हैं ना,
फिर एक दिन मैंने यहां ये गाय दखी। मैं उसे रोज़ यहाँ चारा देने आती हूँ। और मज़े से उसका दूध भी पीती हूँ।
मीना: दूध तो सबको पीना चाहिए। इसे पीने से हमारी हड्डियां मज़बूत होती हैं। क्योंकि उसमे कैल्शियम होता है। बहनजी ने बताया था ना।
चलो, अब सबसे पहले सरपंचजी को उनकी गाय के बारे में बताते हैँ। वो कबसे इसके लिए परेशान हैं। क्यों सीमा?
सीमा: हाँ तुम ठीक कहती हो मीना।
मुझे नहीं पता था की ये सरपंच जी की गाय है। नहीं तो मैं पहले ही इसे उनके पास छोड़ आती।
सब बच्चे सरपंच जी को उनकी गाय वापस करने गए। गाय को देखकर सरपंचजी बहुत खुश हुए। और फिर वो रविवार को बच्चों का मैच देखने भी आये।
मैच दीपू की टीम ने जीता।
बहनजी ने सभी बच्चों के साथ साथ सीमा की भी तारीफ़ की। बच्चों को समझाया की हमारे शरीर को सहि खाना और कैल्शियम मिलता है तो हम तंदरुस्त तो रहते ही हैं साथ ही हमारी हड्डियां भी मज़बूत होती हैं और हम पड़ाई, खेलकूद, सब में आगे भी रहते हैं। कैल्शियम मिलता है दूध और दूध से बनी चीज़ों से।
सरपंच जी अपनी होनहार टीम के हर बच्चे को एक गिलास दूध अपनी गाय के मिल जाने की ख़ुशी में पिलाते हैं।
हर्षोल्लास की ध्वनि|
🔵 आज का खेल:- शब्दों की पहेली -- सेहत
1 सेब
2 हरी सब्जियाँ
3 तरबूज़
हिम्मत और सूझबूझ से भूत का डर ख़त्म हुआ। सीमा जैसी तंदरुस्त बच्ची की वजह से दीपू की टीम जीत जाती है।
🌑 सन्देश:
दूध दही पनीर से मिलता हमको कैल्शियम। कैल्शियम करता हड्डियों को मज़बूत। खाना हमेशा पूरा खाना चाहिए।
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