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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

MAN KI BAAT : जिस देश, समाज और संस्कृति में गुरु-शिष्य की सम्मानजनक और समृद्ध परंपरा रही हो, वहां ऐसी घटनाएं विचलित करने वाली हैं, पर...........

MAN KI BAAT : जिस देश, समाज और संस्कृति में गुरु-शिष्य की सम्मानजनक और समृद्ध परंपरा रही हो, वहां ऐसी घटनाएं विचलित करने वाली हैं, पर...........

MAN KI BAAT : सोनभद्र के एक स्कूल में जो कुछ भी हुआ, वह समूचे शिक्षाजगत को शर्मसार करने वाला है। वहां एक स्कूल में होमवर्क पूरा न करने पर प्रधानाध्यापिका ने पहले दिन छात्रओं को मुर्गा बनाया। दूसरे दिन भी कुछ छात्रएं होमवर्क पूरा नहीं कर पाईं तो उनके कुछ कपड़े उतरवाकर मैदान का चक्कर लगवाया। हिदायत भी दी कि यदि समय पर होमवर्क पूरा नहीं हुआ तो और कड़ी सजा दी जाएगी। इससे भी कड़ी सजा क्या हो सकती है, यह तो वही जानें पर अभिभावकों के हो-हल्ला मचाने पर प्रशासनिक स्तर पर मामले की जांच कराई गई और आरोपी प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया गया। क्या निलंबन मात्र से शिक्षा विभाग का कर्तव्य पूरा हो जाता है? क्योंकि यह महज एक घटना नहीं, बल्कि गंभीर प्रवृत्ति की ओर इशारा है। शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के गिरते स्तर के साथ ही वहां ऐसा बहुत कुछ बदल चुका है, जिससे उसके शिक्षा संस्थान होने की गरिमा ही धूमिल होती जा रही है।

जिस देश, समाज और संस्कृति में गुरु-शिष्य की सम्मानजनक और समृद्ध परंपरा रही हो, वहां ऐसी घटनाएं विचलित करने वाली हैं। जिम्मेदार पद पर बैठी और उससे भी ज्यादा गुरु की भूमिका निभा रही कोई महिला इतना मर्यादाहीन आचरण कैसे अपना सकती है। एक तरफ स्कूलों में छात्रों को शारीरिक दंड देने पर कानूनी तौर पर पाबंदी है दूसरी ओर पिटाई से विद्यार्थियों के कई बार गंभीर रूप से घायल होने की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। यहां तक तो लोग फिर भी किसी न किसी तरह सहन कर लेते हैं लेकिन, हमारे देश में नारी की सबसे बड़ी धरोहर वस्तुत: उसकी लज्जा ही मानी जाती है। ऐसे में छात्रओं को कम कपड़ों में मैदान का चक्कर लगवाना भयावह उत्पीड़न है।

शुक्र है कि इससे डिप्रेशन में आकर किसी छात्र ने कोई अप्रिय कदम नहीं उठाया लेकिन, यदि ऐसा होता तो उसका जिम्मेदार कौन होता? निलंबन के साथ ही इस पूरे मामले की गहराई से जांच-पड़ताल कराई जानी चाहिए। समय बदल रहा है, उसी के साथ शिक्षा लेने और देने का तौर-तरीका भी बदल रहा है। यदि शिक्षक पूर्ण रूप से गुरु और छात्र पूर्ण रूप से शिष्य नहीं रह गए हैं तो शिक्षकों को भी पूर्ण रूप से प्रोफेशनल बनाने का प्रयास करना होगा। नई जरूरत, नए परिवेश में उन्हें खुद को ढालना होगा। अन्यथा ऐसी घटनाएं सामने आती रहेंगी।

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1 Comments

  1. 📌 MAN KI BAAT : जिस देश, समाज और संस्कृति में गुरु-शिष्य की सम्मानजनक और समृद्ध परंपरा रही हो, वहां ऐसी घटनाएं विचलित करने वाली हैं, पर...........
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2017/02/man-ki-baat.html

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