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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

CHILDREN, SURVEY : प्रदेश में 70 लाख स्कूली बच्चे एनीमिया से ग्रसित, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सामने आए आंकड़े

CHILDREN, SURVEY : प्रदेश में 70 लाख स्कूली बच्चे एनीमिया से ग्रसित, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सामने आए आंकड़े

लखनऊ । प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले 19 वर्ष तक की आयु के 48.6 प्रतिशत छात्र एनीमिया से ग्रसित है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य कल्याण विभाग की ओर से हुए सर्वेक्षण के मुताबिक, स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। उनमें आयरन की कमी से शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो रहा है। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से डीआईओएस को एक पत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि बच्चों को सप्ताह में एक बार आयरन की गोली जरूर दी जाए।

कागजों में चल रहा हेल्थ प्रोग्राम : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्कूल हेल्थ प्रोग्राम योजना चलाई जाती है। 2011-12 में इसका बजट 136 करोड़ था। पूर्व माध्यमिक विद्यालय भरोसा के हेडमास्टर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि स्कूलों में ऐसी कोई भी वैन या डॉक्टर नहीं आते हैं जो बच्चों का चेकअप करें। गिने-चुने स्कूलों के आधार पर ही सर्वे रिपोर्ट जारी कर दी जाती है। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा ने कहा कि हमारे स्कूलों में बच्चों की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। जो योजनाएं चल भी रहीं है वो सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं।

डाइट का रखें ख्याल : बलरामपुर हॉस्पिटल के फिजिशियन डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि एनीमिया से पीड़ित बच्चों की डाइट का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसमें शारीरिक और मानसिक कमजोरी हो जाती है। ऐसे में सिर्फ आयरन की गोली से उनका इलाज नहीं हो जाएगा। खून की कमी दूर करने के लिए बच्चों को हरी सब्जियां और मौसमी फल भी देने चाहिए।

नहीं मिलती आयरन की गोली : माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक करीब डेढ़ करोड़ छात्र पढ़ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें 70 लाख से अधिक छात्र एनीमिया से ग्रसित हैं। रिपोर्ट आने के बाद डीआईओएस को निर्देश दिया गया है कि वह हर स्कूल में एक शिक्षक को बच्चों को आयरन की गोली दिलवाने की व्यवस्था करें। मिड-डे-मील में खाली पेट दूध देने से बच्चों को उल्टियां आने की शिकायत के बाद यह निर्देश दिया गया है कि जिस दिन बच्चों को आयरन की गोली दी जाए उनसे पहले कुछ खाकर आने को कहा जाए। इसके बाद ही उन्हें आयरन की गोली दी जाए। इसी के साथ बच्चों के अभिभावकों को भी बीमार बच्चों की सूचना देने को कहा गया है।

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