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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

EDUCATION, CHILDREN : न प्रसिद्धी पाने की चाह और न ही किसी प्रकार का अपना स्वार्थ, स्वार्थ है तो केवल देश के लिए कुछ करने का, शिक्षा के ‘आलोक’ में संवर रहा कल - नमन है अंकित मिश्र को

EDUCATION : न प्रसिद्धी पाने की चाह और न ही किसी प्रकार का अपना स्वार्थ, स्वार्थ है तो केवल देश के लिए कुछ करने का, शिक्षा के ‘आलोक’ में संवर रहा कल - नमन है अंकित मिश्र को

संजीव गिरि ’ इलाहाबाद । न प्रसिद्धी पाने की चाह और न ही किसी प्रकार का अपना स्वार्थ। स्वार्थ है तो केवल देश के लिए कुछ करने का। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुछ विद्यार्थी इसी सोच के साथ गरीब बच्चों को शिक्षा देने में जुटे हैं। शिक्षा की अलख जगाने वाले अंकित मिश्र चंचल को देखते ही बच्चे दौड़ पड़ते हैं। उनमें ललक होती है कि एक बार उनसे मिल लें। अंकित गत तीन वर्षो से गरीब बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। समाजसेवा के क्षेत्र में भी उनका योगदान अनुकरणीय है। वह 45 गरीब बच्चों को कीडगंज स्थित मिंटो पार्क में शिक्षा का दान कर रह हैं। उनके इस सामाजिक ज्ञान हवन यज्ञ में छात्र वीरेंद्र, गौरव पांडेय, अलोक, ज्योति व जनमेजय तिवारी भी सहयोग कर रहे हैं।

कोरांव ब्लाक के डिहिया नथऊपुर गांव निवासी अंकित मिश्र बताते हैं कि जब मैंने मिंटो पार्क में गरीब बच्चों को पढ़ाने का कार्य शुरू किया था तो मैं अकेला था। लेकिन यह कारवां बढ़ गया है। अब इविवि के कई छात्र सहयोग कर रहे हैं। अंकित ने बताया कि इविवि से स्नातक कर चुका हूं।कीटगंज चौखंडी गली में रहकर सिविल की तैयारी कर रहा हूं। वह अपनी पढ़ाई के साथ ही गरीब बच्चों को पढ़ाने में अपना समय दे रहे हैं। बताते हैं कि हमारी टीम प्रतिदिन दो से छह बजे तक गरीब बच्चों को पढ़ाती है। इसके पीछे हमारा स्वार्थ देश के लिए कुछ करना है। देश का भविष्य बच्चे हैं। हमारे छोटे से प्रयास से इन जरूरत मंद बच्चों का भला होता है। हमारी पाठशाला में हर आयु वर्ग के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह वह बच्चे हैं जो दिन भर इधर उधर घूमते थे या पतंग उड़ाते थे।

बच्चों का होता हेल्थ चेकअप : समय-समयपर उनकी पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चों का चिकित्सक को बुलाकर हेल्थ शिविर भी लगाया जाता है।कीडगंज की मलिन बस्ती में गरीब बच्चों को पढ़ाते अंकित मिश्र ’ जागरण

मुफ्त में बांटते हैं शिक्षण सामग्री : बस्ती के बच्चों को कॉपी, किताब, पेंसिल मुफ्त में बांटी जाती है। अंकित कहते हैं कि जब बच्चों की कॉपी भर जाती है तो बच्चे कहते हैं कि भइया कॉपी भर गई। एक दूसरी दिला दो। बच्चों के कहने का लहजा इतना अच्छा होता है कि कुछ बयां नहीं कर सकता हूं।

🌕 पहले मैं इधर उधर घूमा करती थी। मेरी सहेली रूबी ने बताया कि मिंटो पार्क में पढ़ने जाती हूं। उसे कहने पर मैं भी पढ़ने आने लगी। पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है। -सकीना

🔴 हमारे पापा ठेला चलाते हैं। मैं स्कूल पढ़ने नहीं जाता था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। मुङो लेकर घर में चार भाई बहन हैं। जब पता चला कि घर के बगल ही पढ़ाई कराई जाती है। एक साल से पढ़ने आ रहा हूं। -सूर्या

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  1. 📌 EDUCATION, CHILDREN : न प्रसिद्धी पाने की चाह और न ही किसी प्रकार का अपना स्वार्थ, स्वार्थ है तो केवल देश के लिए कुछ करने का, शिक्षा के ‘आलोक’ में संवर रहा कल - नमन है अंकित मिश्र को
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2017/01/education-children.html

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