ALLAHABAD HIGHCOURT, PR0MOTION : अल्पसंख्यक कॉलेज में प्राइमरी टीचरों की प्रोन्नति कोटे को चुनौती, याचियों का कहना है कि शासनादेश से 25 फीसदी प्रोन्नति के लिए बाध्य करना अल्पसंख्यकों के मूल अधिकारों का है हनन
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : प्रदेश के वित्त पोषित अल्पसंख्यक कॉलेजों में प्राइमरी अध्यापकों को 25 फीसदी प्रोन्नति कोटा लागू करने के खिलाफ अल्पसंख्यक कॉलेजों की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले, न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पूर्णपीठ ने दिया है। खंडपीठ ने प्रकरण पूर्णपीठ को संदर्भित किया है कि क्या राज्य वित्त पोषित अल्पसंख्यक कॉलेज 25 नवंबर, 2005 के शासनादेश का पालन करने के लिए बाध्य है या नहीं।
शासनादेश से वित्तपोषित सभी कॉलेजों के प्राइमरी स्कूल अध्यापकों को उच्च पद पर प्रोन्नति का 25 फीसदी कोटा तय किया है, जिसे यह कहते हुए याचिका में चुनौती दी गई है कि अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यकों को कॉलेज प्रबंधन का मूल अधिकार प्राप्त है। शासनादेश से 25 फीसदी प्रोन्नति के लिए बाध्य करना अल्पसंख्यकों के मूल अधिकारों का हनन है।
याचियों का यह भी कहना है कि व्यक्तिगत अधिकार मूल अधिकार पर प्रभावी नहीं हो सकते। राज्य सरकार को अल्पसंख्यकों के प्रबंधकीय अधिकारों में हस्तक्षेप है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है।
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