MAN KI BAAT : माता-पिता नाना प्रकार के कष्ट सहते हुए बच्चे को बेहतर शिक्षा के लिए नामी गिरामी शिक्षण संस्थानों में दाखिला दिलाते हैं, जिससे उनका बच्चा आगे बढ़ सके लेकिन नवोदय विद्यालय के गैर जिम्मेदार प्रशासन….......
🔴 बच्चों की चिंता
गौतमबुद्धनगर के धूम मानिकपुर गांव स्थित नवोदय विद्यालय में शुक्रवार को कक्षा छह के बारह वर्षीय छात्र आदित्य को तेज बुखार आ गया। आदित्य बिहार के छपरा जिले का रहने वाला था। सिक्योरिटी गार्ड पिता ने यह सोचकर आदित्य को घर से दूर नवोदय विद्यालय में दाखिला दिलाया था कि अच्छी शिक्षा ग्रहण कर वह कुछ बन सकेगा लेकिन, उनकी उम्मीदों पर विद्यालय के हठधर्मी प्रशासन ने पानी फेर दिया। आदित्य को बुखार होने की इत्तिला हास्टल में रह रहे छात्रों ने वार्डन, शिक्षक व प्रधानाचार्य को दे दी थी। बावजूद इसके सभी ने आदित्य पर कक्षा में न आने का बहाना बनाने का आरोप मढ़ते हुए अपनी घोर असंवेदनशीलता का परिचय दिया।
अनेक मनुहारों के बाद छात्र को दादरी के नवीन अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन, हालत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल और बाद में दिल्ली के निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां सोमवार को उसकी मौत हो गई। छात्रों का आरोप है कि विद्यालय प्रबंधन ने उपचार में घोर लापरवाही बरती। यदि इलाज समय से कराया जाता तो आदित्य की जान बच जाती।
यद्यपि गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी एनपी सिंह ने मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं लेकिन, जांच और उसके नतीजे क्या आदित्य के पिता की इच्छाओं को वापस लौटा सकेंगे। बच्चों के प्रति यह उपेक्षा भाव सब जगह दिखता है। माता-पिता नाना प्रकार के कष्ट सहते हुए बच्चे को बेहतर शिक्षा के लिए नामी गिरामी शिक्षण संस्थानों में दाखिला दिलाते हैं। विद्यालय प्रशासन एवं शिक्षकों पर उन्हें भरोसा रहता है कि वे अपने बच्चे की मानिंद इसकी देखरेख करेंगे किंतु अक्सर देखने में आता है कि जिम्मेदार वर्ग अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ लेता है। यदि आदित्य को समय रहते इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी।
खेद है ऐसा कोई भी उपक्रम नहीं किया गया जिससे आदित्य को राहत मिलती। आदित्य पर पढ़ाई से जी चुराने और क्लास में न आने के लिए बहानेबाजी की तोहमत किस आधार पर जड़ी गई। क्या इस आरोप का कोई प्रमाण है। दो वर्ष पहले कुछ ऐसे ही हालात में बलराम नामक छात्र की मौत हो गई थी।
नवोदय विद्यालय के गैर जिम्मेदार प्रशासन के खिलाफ सरकार को त्वरित एक्शन लेना चाहिए ताकि विद्यालय में रहने वाले करीब 550 छात्र, छात्रओं को प्रतिपल अहसास रहे कि घर से दूर रहकर भी उनकी फिक्र की जाती है। अभिभावकों को भी लगना चाहिए कि उनके बच्चों के लिए कहीं कोई कठिनाई नहीं है।
- दैनिक जागरण सम्पादकीय पृष्ठ से
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