BSA : पाकर शासन का प्यार, बीएसए कर रहे शिक्षा का बंटाढार, कभी मंत्री तो कभी प्रमुख सचिव को बीएसए बताते खास, कार्रवाई न होने से धूमिल हो रही सरकार की छवि
🌑 शिक्षकों के नियुक्ति पत्र एनआइसी से गायब
🔴 बीएसए बेखबर, शिक्षकों में मची खलबली, जिम्मेदार कौन
🌕 बाबू ने पूछा, जिम्मेदारी दी नहीं तो क्यों रोका वेतन
🔵 कनिष्ठ लिपिक के पत्र से बीएसए की खुली पोल
रायबरेली। उत्तर प्रदेश के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों में सबसे ज्यादा विवादित और दागी बीएसए की नियुक्ति रायबरेली में होने से शिक्षा का बंटाढार हो रहा हैं। शिक्षा के प्रति समर्पित सपा सरकार के युवा मुख्यमंत्री की मंशा जिले में तार-तार हो रही हैं। बीते एक वर्ष से शिक्षा के स्तर में जो बढ़ोत्तरी हुई थी वह शून्य पर पहुंच गई हैं। जिस मंशा के साथ बीएसए के रूप में जीएस निरंजन की तैनाती की गई वह सफल नहीं हो पा रही हैं। खुद को कभी बेसिक शिक्षा मंत्री तो कभी प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा का खास बताने वाले बीएसए पर अब तक कोई कार्रवाई न होना, उनके बड़बोलेपन की पुष्टि करता हैं।
हालांकि बेसिक शिक्षा मंत्री और प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा पर जनता को पूर्ण विश्वास हैं किन्तु यहां कार्रवाई क्यों नहीं हो रही हैं यह समझ से परे हैं। अपनी तैनाती से ही बेसिक शिक्षा विभाग को विवादित करने वाले बीएसए द्वारा सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया, अर्न्तजनपदीय तबादले व पदोन्नति में बरती गई लापरवाही सामने आ गई हैं। स्कूलों में बिना पद सृजन के ही शिक्षकों को तैनाती दे दी गई। 555 शिक्षकों में से 202 से ज्यादा शिक्षकों ने संशोधन के लिए आवेदन किया। बीएसए ने मन-मुताबिक स्कूल मांगने वालों के जरिए मोटी रकम आवंटन कर दिया। ऐसे तमाम कारनामे हैं जो जीएस निरंजन की कार्यशैली को संदिग्ध और सवालों के घेरे में खड़े करते हैं।
आईटीआई कालोनी में किराए का कमरा लेकर बीएसए वहीं से कार्यालय को संचालित करते हैं। मातहत इतना परेशान हैं कि वह अपने कार्यों से कन्नी काट रहे हैं। सरकारी कार्यक्रमों के लिए कोई एडवांस लेने को तैयार नहीं हैं। सहायता प्राप्त विद्यालयों की नियुक्तियों में भी बड़ा खेल किया गया हैं। लगातार बीएसए के काले कारनामों की खबरें प्रकाशित होने के बाद भी शासन संज्ञान क्यों नहीं ले रहा हैं? अब यह सवाल जनहित में लोग उठाने लगे हैं। लोगों की मानें तो बीएसए का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा क्योंकि शासन में उनकी ऊंची पकड़ हैं। स्कूलों का शैक्षिक स्तर पूरी तरह से गिर गया हैं।
शिक्षा में सुधार की दिशा में अब तक एक भी कदम बीएसए ने नहीं उठाया हैं। संशोधन में एक करोड़ के लगभग रकम वसूले जाने की चर्चा बेसिक शिक्षा विभाग परिसर से लेकर जनपद के गांवों तक हैं। वसूली की यह रकम कहां खर्च हुई और किसको बांटी गई ? इस पर बहस छिड़ गई हैं, लोग अब शासन की कार्रवाई के इंतजार में हैं।
हम जो भी सूचनाएं हटाते हैं उसमें संबंधित विभाग के अधिकारी का निर्देश होता हैं। हम स्वयं कुछ नहीं हटाते।विजय प्रकाश श्रीवास्तव, डीआईओ रायबरेलीआप क्या बता रहे हैं नियुक्ति पत्र गायब हो गए। मुझे तो कोई जानकारी ही नहीं हैं।
-जीएस निरंजन, बीएसए रायबरेली
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शिक्षकों के नियुक्ति पत्र एनआइसी से गायब
रायबरेली। एकल स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और वहां के शैक्षिक स्तर को सुधारने के लिए शासन के आदेश पर हुई नियुक्तियों में एक बड़ा खेल हुआ हैं। आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे की एनआईसी की वेबसाइट से 555 नए शिक्षकों के नियुक्ति पत्र ही गायब कर दिए गए हैं। एनआईसी से जुड़े अधिकारियों का कहना हैं कि सम्बन्धित विभाग के विभागाध्यक्ष की अनुमति से ही हम डाटा हटाते हैं। इधर बीएसए की मानें तो वह इससे अंजान हैं। सवाल यह हंै कि वह नियुक्ति पत्र क्या वेबसाइट निगल गई? बेसिक शिक्षा विभाग में शासन के आदेश पर प्रारंभ हुई 16,448 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में जिले को 555 नए शिक्षक मिले थे। इन शिक्षकों के वास्तविक नियुक्ति पत्रों को शिक्षा विभाग ने एनआइसी की वेबसाइड पर अपलोड किया लेकिन अचानक से वेबसाइड से इन नियुक्ति पत्रों को हटा दिया गया। जबकि उक्त वेबसाइड पर बेसिक शिक्षा विभाग की महीनों पुरानी सूचनाएं अपलोड हैं। जिसकी जानकारी होने के बाद शिक्षकों के बीच खलबली मच गई। क्योंकि एनआइसी की वेबसाइड पर महीनों और कुछ वर्ष पुराना डाटा अपलोड हैं जोकि किसी भी काम नहीं हैं। ऐसे में सहायक अध्यापकों के नियुक्ति पत्र तीन माह बाद हटाए जाने से शिक्षा विभाग को कभी कठघरे में खड़ा कर दिया हैं। इन हालातों में सैकड़ों शिक्षकों द्वारा मांगे गए मानचाहे स्कूलों में संशोधन होने के बाद उन्होंने नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए और फोटो कॉपी वाले नियुक्ति पत्र दिए गए। फोटो कॉपी वाले नियुक्ति पत्र के आधार पर शिक्षकों ने ज्वाइन भी कर लिया। जोकि विभागीय नियम के अनुसार गलत हैं। एनआइसी की वेबसाइड से नियुक्ति पत्रों का हटाने जैसे गंभीर मामले में बीएसए की अनभिज्ञता समझ से परे हैं।
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बाबू ने पूछा, जिम्मेदारी दी नहीं तो क्यों रोका वेतन, कनिष्ठ लिपिक के पत्र से बीएसए की खुली पोल
रायबरेली। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के मनमानी रवैये का एक और मामला प्रकाश में आया हैं। बीएसए ने अपने कार्यालय के जिस कनिष्क लिपिक का शासकीय कार्यों में रुचि न लेने का आरोप लगाकर वेतन रोक दिया, उसी बाबू के जवाब ने बीएसए की पोल खोल दी। मांगें गए स्पष्टीकरण में बाबू ने जो जवाब दिया उससे साफ हो गया कि बीएसए ने अब तक जिन-जिन पर कार्रवाई की हैं वह सब विद्वेषपूर्ण लगती हैं। विभागीय लिपिकों में इस मनमानी के खिलाफ आक्रोश व्याप्त हैं। बीएसए जीएस निरंजन द्वारा जारी किए गए पत्र में लिखा हैं कि डिस्पैच पटल सहायक शाहजहां बेगम ने बताया कि कनिष्क लिपिक जितेंद्र मिश्रा ने पटल संबंधित डाक को लेने से मना कर दिया हैं। जिससे शासकीय पत्रों का निस्तारण समय से नहीं हो पा रहा हैं। जिससे विभाग की महत्वपूर्ण डाकों का निस्तारण नहीं हो पा रहा हैं। इस लापरवाही पर जितेंद्र मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा जाता हैं। साथ ही कनिष्क लिपिक द्वारा न्यायालय के वादों का निस्तारण नहीं किया जाता तब तक इनका वेतन रोका जाता हैं। उधर, कनिष्क लिपिक जितेंद्र मिश्रा ने बीएसए को जवाब देते हुए लिखा हैं कि स्थापना का चार्ज अभी तक मुझे नहीं दिया गया हैं। वहीं विभाग में वरिष्क लिपिक भी कार्यरत हैं। ऐसे में उन्हें स्थापना जैसा पटल क्यों देने की बात कही गई हैं? जबकि पूर्व में डीएम को विभाग द्वारा अवगत कराया गया था कि जितेंद्र के पास अभी इतना अनुभव नहीं हैं कि उसे स्थापना जैसा पटल दिया जाए? ऐसे में उनका वेतन रोक कार्रवाई किया जाना पूर्णतया गलत हैं। विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र के माध्यम से इस मनमानी से अवगत कराया जाएगा।
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📌 BSA : पाकर शासन का प्यार, बीएसए कर रहे शिक्षा का बंटाढार, कभी मंत्री तो कभी प्रमुख सचिव को बीएसए बताते खास, कार्रवाई न होने से धूमिल हो रही सरकार की छवि
ReplyDelete👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/12/bsa.html