MEENA KI DUNIYA : मीना की दुनिया - रेडियो प्रसारण, एपिसोड 26 । कहानी का शीर्षक - ‘सरपंच का स्वागत’ क्लिक कर देखें ।
👉 मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
👉 एपिसोड-26
👉 प्रसारण समय 11:15am से 11:30amतक
👉 दिनांक 22/11/2016
👉 आकाशवाणी केन्द्र -
🌕 कहानी का शीर्षक- "सरपंच का स्वागत”
मीना, सुमी के साथ पकड़म-पकड़ाई खेल खेल रही है| तभी सुमी के पिताजी उसे आवाज़ लगाते है, ‘सुमी ओ सुमी...’
“मैं यहाँ हूँ पिताजी, मीना के साथ|” सुमी ने जबाब दिया|
सुमी के पिताजी- अच्छा..अच्छा, जल्दी से मेरी नई कमीज ले आ|
सुमी-ये लीजिये....आपकी नई कमीज| ‘...आप कहीं जा रहे हैं क्या?’ सुमी ने पूँछा|
सुमी के पिता- हाँ, सरपंच जी के बेटे की तबियत ख़राब है और वो उसे लेकर अस्पताल गए हैं|
मीना- ओहो ! ये तो बड़े अफ़सोस की बात है चाचा जी|
सुमी के पिताजी- हाँ मीना, अफ़सोस की बात तो है| उपर से पास वाले गाँव माधोपुर की सरपंच जी हमारे गाँव आने वाले हैं.....और उनका स्वागत करने की जिम्मेदारी मुझे ही दी गयी है|....सुमी, मैं दीपक और पाशा को जा रहा हूँ..नये सरपंच जी का स्वागत को लेने बस स्टैण्ड| तब तक तुम घर का ख्याल रखना और सरपंच जी के लिए चाय, नाश्ता बना के रखना|...पहले उन्हें अपने ही घर लेके आऊंगा|
‘बाबा, मैं भी चलूँ आपके साथ’ सुमी झट से बोली|
सुमी के पिताजी- तुम कैसे चल सकती हो? तुम्हारी माँ... तुम्हारे मामा के घर गयी है, तुम हमारे साथ आओगी तो घर का ख्याल कौन रखेगा?
सुमी- बाबा....दीपक भईया,.... “कहा न दीपक मेरे साथ जा रहा है|’ सुमी के पिताजी झल्लाए|
तभी दीपक आ जाता है.....
सुमी के पिताजी- बेटा ..पाशा कहाँ है?
दीपक- वो तो अपने पिताजी के साथ बाज़ार गया है| वो हमारे साथ नहीं आ पायेगा| आप कहें तो किसी और को....
सुमी के पिताजी- नहीं, अब इतना समय नहीं है| चलो हम चलते हैं|
दीपक- पिताजी,क्यों न हम मीना को अपने साथ ले चलें?
“नहीं....नहीं, ये लड़कियों का काम नहीं है|” सुमी के पिताजी ने कहा,(फिर कुछ सोचते हुए).....मीना बेटी तुम चलो हमारे साथ|
सुमी के पिताजी, मीना और दीपक को साथ लेकर बस स्टैण्ड पर पहुंचे........
सुमी के पिताजी- दीपक बेटा, यहाँ तो बहुत भीड़ है लगता है माधोपुर से आने वाली बस आके चली भी गई| इतनी भीड़ में कहाँ से ढूँढें सरपंच जी को.....मुझे तो वो पीले कुर्ते वाले भाई साहब लग रहे हैं|
तभी एक महिला आकर कहती है, “भाई साहब...”
सुमी के पिताजी- जी कहिये|
महिला- जी मेरा नाम निरुपमा है| “..तो हम क्या करें?’’ सुमी के पिताजी ने कहा|
महिला- क्या आपको, यहाँ के सरपंच जी ने भेजा है?
सुमी के पिताजी- जी हाँ ...लेकिन इससे आपको मतलब|
महिला- जी मैं.....| “देखिये बहिनजी...अभी हमारे पास बिलकुल समय नहीं है| हम यहाँ माधोपुर सरपंच जी का स्वागत करने आये हैं|” सुमी के पिताजी ने टोका|
महिला- मैं ही हूँ माधोपुर की सरपंच|
मीना- सरपंच जी, हमारे गाँव में आपका स्वागत है|
महिला (सरपंच जी)- ...अरे वाह! इतनी सुन्दर फूल माला, क्या नाम है तुम्हारा?
“”मीना” ,मीना ने जबाब दिया|
मिठ्ठू चहका, ‘मीना.....मीना, चाचा जी को आया पसीना|’
मीना- मिठ्ठू....चुप!
सुमी के पिताजी, दीपक मीना और सरपंच जी को लेकर गाँव की तरफ चल दिए|
सरपंच जी- दीपक, तुम अपनी बहन सुमी को भी साथ ले आते|
मीना- सुमी तो आना चाहती थी, मगर.,......|
दीपक- अगर सुमी आ जाती तो घर का ख्याल कौन रखता?...साफ-सफाई कौन करता?
सरपंच जी- दीपक, तुम तो सुमी के बड़े भाई हो....इन सब कामों में तुम सुमी का हाथ बटा सकते हो| “ लेकिन साफ-सफाई करना, चाय नाश्ता बनाना...ये लड़कों का थोड़े ही होते हैं|” दीपक ने जबाब दिया|
सरपंच जी- ये तुमसे किसने कहा?...मैं और मेरा भाई तुम्हारे जितने थे तो मेरा भाई घर के कामों में मेरा बहुत हाथ बटाता था|
“सरपंच जी, मेरा भाई राजू भी घर के कामों में मेरा हाथ बटाता है|” मीना बोल पड़ी|
सरपंच जी- ..पता है बच्चों ये कभी न सोचना.... ये लड़कों का काम है या फिर ये लड़कियों का काम है क्योंकि लड़का हो या लडकी दोनों एक से काम कर सकते हैं|
“जैसे आपने लड़की होकर सरपंच बन कर दिखाया|” मीना से रहा न गया|
सरपंच जी- हाँ मीना, क्योंकि हम लोगों को बचपन में यही सिखाया जाता है कि लड़की हो या लड़का वि बड़े होकर जो चाहे बन सकते हैं क्योंकि उन्हें कोई भी काम करने का बराबर अधिकार है|
जब सभी सुमी के घर पहुँचते हैं|
.....कुछ लोग वहीँ झगडा कर रहे होते हैं|
सुमी के पिताजी- अरे भाई! के मजमा लगाया है मेरे घर के बाहर? क्यों लड़ रहे हो भोला काका से?
पहला व्यक्ति- बही साहब हम पंचायत घर जा रहे हैं| ...हमारा फैसला तो सरपंच जी ही करेंगे|
सुमी के पिताजी- ..पर सरपंच जी तो अपने बेटे को लेके अस्पताल गए हैं|
मीना- भोला काका..आपका फैसला माधोपुर की सरपंच जी करेंगी|
सरपंच जी- भोला काका, आप बताइए क्या बात है?
भोला- सरपंच जी इसकी मुर्गियों ने मेरे खेत का सत्यानाश कर दिया|
सरपंच जी- क्या ये सच है चिरौंजी भईया?
सरपंच जी दोनो पक्षों की बार सुनती हैं....
सरपंच जी- ..तो ठीक है, हो गे फैसला| अपनी गलती का जुर्माना मुर्गियों को ही भरना होगा|
सुमी के पिताजी- सरपंच जी, भला मुर्गियां जुर्माना कैसे भरेंगी?
सरपंच जी- भोला काका...ये मुर्गियां आप को अपने अंडे देकर जुर्माना भरेंगी| क्यों भोला काका, ठीक कहा न मैंने?
चिरौंजी- माफ कर दीजिए, भोला काका का जो भी नुकसान हुआ मैं भरने को तैयार हूँ|
मीना- वाह! सरपंच जी क्या बढ़िया फैसला किया आपने?
सुमी के पिताजी- सरपंच जी, मुझे भी माफ कर दीजिए| आज तक मैं समझता था कि लडकियाँ सिर्फ घर के काम कर सकती हैं| लेकिन आज मुझे पता चला कि वे बड़े से बड़े काम कर सकती है|
जैसे-हमारे गाँव की टीचर बहिन जी, नर्स बहिन जी, और आप|
सरपंच जी- और मीना|
सुमी के पिताजी- चलिए हम लोग चाय पीते हैं| दीपक बेटा, जाओ तुम भीतर जाकर चाय नाश्ता बनाने सुमी की हाथ बटाओ|
दीपक- सरपंच जी, आज से घर के हर काम में माँ और सुमी का हाथ बताऊंगा|
🔵 आज का गीत-
वो नहीं अब झुकने वाली
अब वो नहीं है रुकने वाली.........
पढ़ेगी आगे बढ़ेगी, हर मुश्किल से लड़ेगी|
उसके मन में है हिम्मत, वो न किसी से डरेगी|
उसका लोहा पूरी दुनिया मानती है,
क्योंकि आज की लड़की सब जानती है||
🔴 आज का खेल- “नाम बताना है उसका जो बैठा है बीच में छुपकर’
👉 गोरखपुर
👉 रायपुर
👉 कानपुर
👉 सहारनपुर
⚫ उत्तर- रायपुर, छत्तीसगढ़ में है जबकि बाकी सब उत्तर प्रदेश में हैं|
🌑 आज की कहानी का सन्देश-
“दोनों ही हैं एक बराबर,
दोनों में है एक सा दम|
लड़के हो या लडकियाँ
कोई नहीं किसी से कम|”
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