MEENA KI DUNIYA : मीना की दुनिया - रेडियो प्रसारण, एपिसोड 17 । कहानी का शीर्षक - ‘पड़ोसी-राइट टू एजूकेशन’, क्लिक कर देखें ।
मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-17
दिनांक 08/11/2016
प्रसारण समय 11:15 से 11:30 तक
आकाशवाणी केन्द्र - लखनऊ
आज की कहानी का शीर्षक
“पड़ोसी-राइट टू एजुकेशन”
मीना अपने बाबा के घर लौटने का इंतज़ार कर रही है। और बाबा के घर लौटने पर.....
मीना के बाबा बताते हैं, ‘सरपंच जी ने बुलाया था, हरिया के बारे में बात करने। .....हरिया, मीना के दोस्त मोहन के पिताजी का नाम है।
हरिया अपनी दूकान में लौहे के औज़ार बनाता है। पिछले कुछ दिनों से वो दिन-रात काम कर रहा है। .....लौहे के काम में शोर तो होता ही है जिसकी वजह से आस-पास के लोंगों को काफी परेशानी हो रही है, उन लोगों ने सरपंच जी से हरिया की शिकायत की। सरपंच जी चाहते हैं कि मैं हरिया को समझाऊं कि वो इतनी देर रात तक काम न किया करे।
मीना- बाबा...आप कहें तो मैं कल मोहन से इस बारे में पूँछ सकती हूँ।
मीना के बाबा-हाँ मीना बेटी, तुम कल मोहन से मिलना और ये भी कहना कि वह हरिया को याद दिलाये- परसों स्कूल प्रबंधन समिति की विशेष मींटिंग है।
और फिर अगले दिन स्कूल की छुट्टी के बाद......जब मीना,राजू और मोहन घर वापस लौट रहे थे......
मीना- मोहन, हरिया चाचा को याद करा देना कि कल स्कूल प्रबंधन समिति की विशेष मीटिंग है। चाचा जी से कहना कि वो इस मीटिंग मैं जरूर जाएँ।
मोहन बताता है कि पिताजी रात को बहुत देर से घर लौटते हैं और सुबह-सुबह फिर से दुकान के लिए निकल जाते हैं।
मीना- मोहन....तुम बुरा न मानों तो एक बात पूंछू।
मोहन-हाँ हाँ मीना...पूंछो।
मीना- हरिया चाचा आज कल देर रात तक काम क्यों करते हैं?
मोहन कहता है, ‘.....माँ ने बताया था कि ये सब, पिताजी मेरे लिए कर रहे हैं......दरअसल हम जल्दी ही ये गाँव छोड़ कर जाने वाले हैं। ...पिताजी को शहर में एक काम मिला है, औजारों के कारखाने में। इसीलिये हम लोग अब शहर में जाके रहेंगे। ...शहर जाकर पिताजी को मेरा दाखिला किसी स्कूल में कराना होगा ना इसीलिये......माँ ने मुझे बताया था कि दाखिले के समय बहुत पैसे लगते हैं इसीलिये पिताजी दिन रात मेहनत कर रहे हैं। ’
मीना मोहन को बताती है कि अभी कुछ दिन पहले बहिन जी ने शिक्षा का अधिकार के बारे में बताया था.....शिक्षा का अधिकार एक कानून है जिसके अंतर्गत सरकारी स्कूल में बच्चे का दाखिला करने के लिए कोई रुपया-पैसा नहीं देना पड़ता।
मोहन- ओह!.... पर मुझे नहीं लगता कि पिताजी को शिक्षा के अधिकार के बारे में पता होगा।
और फिर जब शाम को मीना के बाबा घर लौटे तो मीना ने उन्हें सारी बात बताई।
मीना और राजू, अपने बाबा के साथ पहुंचे हरिया की दुकान पर.........
मीना के बाबा हरिया को समझाते हैं, ‘आरटीई (RtE) यानी शिक्षा का अधिकार ....एक क़ानून है और इसके अंतर्गत कोई भी सरकारी स्कूल बच्चे के दाखिले के समय एक भी पैसा नहीं ले सकता....। और इसके बारे में तुम्हे ज्यादा जानकारी चाहिए तो कल तुम स्कूल आ जाना। मीना जोडती है, ‘कल स्कूल प्रबन्धन समिति की विशेष मीटिंग है। ’
और अगले दिन स्कूल प्रबन्धन समिति के मीटिंग में..........
बीआरसी से आये सन्दर्भ अधिकारी ने हरिया को समझाया, ‘....अक्सर बच्चों के माँ बाप ये ही सोचते हैं कि उन्हें अपने बच्चे के दाखिले के लिए स्कूल में बहुत रुपया पैसा देना पड़ेगा जबकि ऐसा नहीं है। RTE यानी ‘राईट टू एजुकेशन’ मतलब शिक्षा का अधिकार....इसी क़ानून के अंतर्गत न कोई भी सरकारी स्कूल बच्चे के दाखिले के समय एक भी पैसा नहीं ले सकता......न ही बच्चे को किसी कक्षा में रोक सकते हैं।
मीना मिठ्ठू की कविता-
“आठवीं कक्षा तक के हर बच्चे का ये अधिकार
मुफ्त मिलेगी शिक्षा कहता शिक्षा का अधिकार
नियम है सरकारी स्कूलों का सुनलो खोल के कान
दाखिले के वक्त नहीं बच्चों का इम्तिहान”
आज का गीत-
टन-टन-टन सुनो घंटी बजी स्कूल की
चलो स्कूल तुमको पुकारे।
पल-पल-पल रोशनी जो मिली स्कूल की
जगमगाओगे तुम बनके तारे
टन-टन-टन..............
कॉपी और किताबें सारी स्कूल देगा-स्कूल देगा
यूनिफार्म भी तुम्हारी स्कूल देगा-स्कूल देगा
स्कूल अब घर से दूर नहीं है कम हो गए फासले
पहुंचोगे स्कूल के गेट पर थोडा सा भी जो चले
प्यार और नरमी से तुमको पढ़ायेंगे टीचर हैं ऐसे भले
टन-टन-टन.......................।
टन-टन-टन- ‘शिक्षा मेरा अधिकार है’
आज का खेल- ‘नाम अनेक अक्षर एक’
अक्षर-‘ब’
• व्यक्ति- बाल गंगाधर तिलक
• वस्तु- बस्ता
• जानवर- बाघ
• जगह- बीकानेर
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