logo

Basic Siksha News.com
बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट कॉम

एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

MAN KI BAAT : आदेशों की मनमानी व्याख्या की गई तो कभी अदालती आड़ में उन्हें दरकिनार किया गया, यही वजह है कि ऐसे सहायक अध्यापकों को हर कदम पर संघर्ष करना पड़ रहा है, चाहे वह मूल स्थान पर तबादलों..........

MAN KI BAAT : आदेशों की मनमानी व्याख्या की गई तो कभी अदालती आड़ में उन्हें दरकिनार किया गया, यही वजह है कि ऐसे सहायक अध्यापकों को हर कदम पर संघर्ष करना पड़ रहा है, चाहे वह मूल स्थान पर तबादलों..........

🔴 मनमानी व्याख्या

राज्य सरकार की मंशा भले ही रही हो लेकिन, विभाग के अधिकारी उन सहायक अध्यापकों को सम्मान देने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं जो शिक्षा मित्र से समायोजित हुए हैं। कभी कोर्ट के आदेशों की मनमानी व्याख्या की गई तो कभी अदालती आड़ में उन्हें दरकिनार किया गया। यही वजह है कि ऐसे सहायक अध्यापकों को हर कदम पर संघर्ष करना पड़ रहा है। चाहे वह मूल स्थान पर तबादलों की बात हो या फिर समायोजन की। प्रदेश के एक लाख 72 हजार शिक्षा मित्रों में एक लाख 37 हजार सहायक अध्यापक के रूप में समायोजित हो चुके हैं। वे विद्यालयों में पढ़ा भी रहे हैं। इनमें बहुतों को उनके जिले के भीतर ही पुराने विद्यालय से इतर दूसरे विद्यालयों में तैनाती दी गई है।

गड़बड़ी की शुरुआत वहां से हुई जब कई शिक्षा मित्रों ने अपने रसूख, अफसरों की मिलीभगत और अन्य दबावों से मूल स्थान पर तैनाती पा ली। कुछ के लिए अफसर ढीले हुए तो अन्य ने भी दबाव बनाया और मामला दायरे से बाहर जाता देख परिषद ने ऐसे सभी तबादले रद कर दिए। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने मान लिया कि ऐसे शिक्षकों को मूल स्थान पर तैनात किया जा सकता है। अंतत: विभाग को अपना ही आदेश पलटना पड़ गया। इसके बाद विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती में संतुलन साधने के लिए समायोजन की प्रक्रिया शुरू की गई है।

आशय यह कि जिन विद्यालयों में छात्र अधिक हैं और शिक्षक कम हैं, वहां कम छात्र संख्या वाले शिक्षकों को भेजा जाए। इसमें समायोजित शिक्षकों को नहीं शामिल किया जा रहा है। तर्क है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। शिक्षकों का सवाल है कि जब उनके तबादले सही माने गए हैं और उसमें सुप्रीम कोर्ट का आदेश आड़े नहीं आया है तो समायोजन में पेंच क्यों? अजब बात है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी खुद ही अदालती आदेशों की मनमानी व्याख्या भी करते हैं और इसी हिसाब से पहचान कर रेवडियां भी बांटते रहे हैं। बाद में इसे ही समायोजित शिक्षा मित्रों ने अपना अधिकार भी मान लिया। अब लड़ाई ऐसे ही अधिकारों की है जिसमें समायोजन का मुद्दा भी शामिल हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकारी समान नीति के पालन की लक्ष्मण रेखा खुद ही लांघते रहे हैं। यहीं भूमिका आती है राज्य सरकार की जो सख्ती करके समस्या को काबू कर सकती है।

Post a Comment

1 Comments

  1. 📌 MAN KI BAAT : आदेशों की मनमानी व्याख्या की गई तो कभी अदालती आड़ में उन्हें दरकिनार किया गया, यही वजह है कि ऐसे सहायक अध्यापकों को हर कदम पर संघर्ष करना पड़ रहा है, चाहे वह मूल स्थान पर तबादलों..........
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/11/man-ki-baat_71.html

    ReplyDelete