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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

MAN KI BAAT : प्रदेश में कक्षा एक से लेकर पांच तक के एक लाख 13 हजार विद्यालय हैं लेकिन विडंबना यह है कि सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद इनका शैक्षिक स्तर आगे नहीं बढ़ पाया है, जबकि....................

MAN KI BAAT : प्रदेश में कक्षा एक से लेकर पांच तक के एक लाख 13 हजार विद्यालय हैं लेकिन विडंबना यह है कि सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद इनका शैक्षिक स्तर आगे नहीं बढ़ पाया है, जबकि....................

🔴 सराहनीय कदम

देर से ही सही लेकिन राज्य सरकार ने परिषदीय विद्यालयों की पुस्तकों में बदलाव का सराहनीय फैसला लिया है। अब किताबें बच्चों की रुचियों के अनुरूप होंगी जिसके लिए प्राथमिक स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। कोशिश इस बात की है कि आज के तकनीकी दौर में और बुनियादी शिक्षा में सामंजस्य बढ़ाया जाए। इसके लिए राज्य शिक्षा संस्थान कई पुस्तकों को ऑनलाइन भी उपलब्ध कराएगा।

प्रदेश में कक्षा एक से लेकर पांच तक के एक लाख 13 हजार विद्यालय हैं लेकिन विडंबना यह है कि सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद इनका शैक्षिक स्तर आगे नहीं बढ़ पाया है, जबकि अन्य बोर्ड व कई राज्य यहां से आगे चल रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि बच्चों की लगातार बदल रही मानसिक अभिरुचि का आकलन नहीं किया गया। हालांकि एनसीईआरटी ने इस दिशा में काफी काम किया है और अन्य राज्यों ने इसका लाभ भी उठाया है लेकिन यहां शासकीय स्तर पर इस ओर सोचा ही नहीं गया। प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की औसत ठहराव दर 86.06 में इसीलिए कमी भी आती जा रही है। राज्य शैक्षणिक एवं अनुसंधान परिषद की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि 37 जिलों में छात्रों की ठहराव दर काफी गिरी है।

सर्वाधिक छात्र संख्या वाले उत्तर प्रदेश में कक्षा एक से लेकर आठ तक के बीच 54 पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं। इनका समय-समय पर परिवर्धन किया जाना जरूरी है लेकिन 1999 के बाद कोई बदलाव नहीं किया गया। इसलिए अधिसंख्य किताबें अब उबाऊ सी प्रतीत होती हैं और वह भी समय से छात्रों को मिल नहीं पातीं। इस साल भी आधा सत्र बीत जाने के बावजूद अधिकांश जिलों में बच्चों को पुस्तकें नहीं दी गई हैं। अब समय आ गया है कि इसके वैकल्पिक इंतजामों की ओर फोकस किया जाए।

राज्य शिक्षा संस्थान ने पुस्तकें ऑनलाइन उपलब्ध कराने की पहल की है। इससे नौकरशाही का हस्तक्षेप खत्म होगा और प्रकाशकों के एकाधिकार पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा। इसका फायदा वे शिक्षक भी उठा सकेंगे जो समय से पढ़ाई शुरू कराने के प्रति गंभीर होंगे। इसके अलावा एनसीईआरटी की ई-पाठशाला और ई-बुक्स पर भी ध्यान दिया जा सकता है। यह भी ध्यान देना होगा कि वर्तमान तकनीकी युग में बच्चे पहले की तुलना में और हमारी अपेक्षाओं से अधिक चपल हैं। पाठ्य पुस्तकों की विषय सामग्री के चयन व प्रस्तुतीकरण में इसका ध्यान रखना होगा अन्यथा सारी कवायद बेमानी साबित हो जाएगी।
   -दैनिक जागरण सम्पादकीय पृष्ठ

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  1. 📌 MAN KI BAAT : प्रदेश में कक्षा एक से लेकर पांच तक के एक लाख 13 हजार विद्यालय हैं लेकिन विडंबना यह है कि सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद इनका शैक्षिक स्तर आगे नहीं बढ़ पाया है, जबकि....................
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/11/man-ki-baat-13.html

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