ALLAHABAD HIGHCOURT, NEW PENSION : केंद्र और राज्य सरकार की नई पेंशन नीति को चुनौती, इलाहाबाद हाइकोर्ट ने दोनों सरकारों से मांगा जबाब
इलाहाबाद । हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार की नई अंशदाई पेंशन योजना पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट में याचिका दाखिल कर पेंशन योजना को चुनौती दी गई है। नई पेंशन योजना को मूल अधिकारों के विपरीत और कर्मचारी हित के खिलाफ बताया गया है। मांग की गई है कि नई योजना को रद्द कर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।
प्राथमिक विद्यालय जोखत इलाहाबाद के सहायक अध्यापक विवेकानंद की याचिका पर न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला सुनवाई कर रहे हैं। याचिका पर अधिवक्ता शिवबाबू और प्रशांत शुक्ला ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि सांसदों और विधायकों के एक दिन के लिए भी सदन का सदस्य बनने पर उनको 20 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाती है। जबकि सरकारी कर्मचारियों को लंबी सेवा के उपरांत भी पेंशन की योजना समाप्त कर दी गई है। याचिका में कहा गया है कि नई पेंशन योजना एलआईसी स्कीम की तरह है। इसमें 60 वर्ष की आयु में रिटायर होने वाले कर्मचारी का यदि कुल राशि का 40 फीसदी अंशदान जमा है तो 60 प्रतिशत पेंशन मिलेगी। 80 प्रतिशत अंशदान जमा करने वाले को ही पूरी पेंशन मिलेगी।
नई पेंशन में कर्मचारी को बीमा कंपनी द्वारा भुगतान किया जाएगा। इसमें भत्ते नहीं जुड़ेंगे जबकि पुरानी पेंशन में समय-समय पर महंगाई भत्ता जोड़ा जाता है। केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2004 और प्रदेश सरकार ने एक अप्रैल 2005 से पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी है। नई पेंशन योजना शेयर की तरह है जिसमें निश्चित राशि मिलने की गारंटी नहीं है। सरकार का यह कदम भेदभाव पूर्ण और मनमाना है। यह संविधान केअनुच्छेद 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का हनन है। सरकार नागरिकों के बीच भेदभाव करने वाली नीति नहीं बना सकती है। याचिका पर आठ सप्ताह के बाद सुनवाई होगी।
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