ADMISSION, COURT : नानी ने जीती नातियों के दाखिले की जंग, नवोदय विद्यालय ने एडमिशन से किया था इनकार, माता-पिता न होने की वजह से कोर्ट ने नानी को बनाया अभिभावक, सीबीएसई और नवोदय विद्यालय समिति को मिले एडमिशन लेने के निर्देश
🔴 नवोदय विद्यालय ने एडमिशन से किया था इनकार
🔵 माता-पिता न होने की वजह से कोर्ट ने नानी को बनाया अभिभावक
🌑 सीबीएसई और नवोदय विद्यालय समिति को मिले एडमिशन लेने के निर्देश
लखनऊ । जवाहर नवोदय विद्यालय, गौरीगंज में पीजीटी शिक्षिका निमतुलनिशा ने बतौर टीचिंग स्टाफ अपने संरक्षण में रह रहे दो नातियों के दाखिले की प्रार्थना विद्यालय प्रशासन से की थी। हालांकि विद्यालय समिति ने निमतुलनिशा की प्रार्थना यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि दोनों बच्चे उनके वास्तविक बच्चे नहीं हैं। यह सुविधा स्टाफ के वास्तविक बच्चों को ही दिए जाने का प्रावधान है। इसके बाद निमतुलनिशा ने हाई कोर्ट की शरण ली। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बच्चों का दाखिला तत्काल किए जाने के आदेश विद्यालय और सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) को दिए हैं।
दरअसल बच्चों के पिता की जनवरी 2014 में हत्या कर हो गई थी। मां ने जून 2015 में दूसरी शादी की और बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया। इसके बाद नौवीं और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली नतिनी और नाती का संरक्षण जनपद न्यायाधीश, प्रतापगढ़ ने मार्च 2016 में बच्चों की नानी निमतुलनिशा को दे दिया। दोनों बच्चे फिलहाल हरियाणा के रेवारी के यूरो इंटरनैशनल स्कूल में पढ़ रहे हैं। चूंकि बच्चों की नानी जवाहर नवोदय विद्यालय, गौरीगंज में शिक्षिका हैं, इसी वजह से उन्होंने दोनों बच्चों का दाखिला उसी विद्यालय में कराने का निवेदन किया। इस पर जवाहर नवोदय विद्यालय समिति ने 1 जनवरी 1990 के एक सर्कुलर का हवाला देते हुए, विद्यालय प्रधानाचार्य की ओर से कहा कि नियमों के अनुसार गोद लिए गए बच्चों के दाखिले की सुविधा स्टाफ को नहीं है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की एकल सदस्यीय पीठ ने कहा कि बच्चों का संरक्षण वैधानिक प्रक्रिया द्वारा उनकी नानी को दिया गया है। वे गोद लिए हुए बच्चे नहीं हैं। बच्चों के दाखिले से इनकार के लिए जो तर्क प्रतिवादियों ने दिया है, उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यदि इन बच्चों का दाखिला लेने से रोका जाता है तो यह उनके साथ महा-अन्याय होगा। न्यायालय ने नवोदय विद्यालय समिति और सीबीएसई को याचिका पर चार सप्ताह में जवाब देने का समय देते हुए, जल्द से जल्द बच्चों का दाखिला लेने के आदेश दिए हैं।
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