TEACHERS, EDUCATION QUALITY : संकेतकों से होगा शिक्षकों का आकलन, इंडीकेटर्स यहां तक जानकारी देंगे कि फलां शिक्षक को विषय का ज्ञान कितना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण पहल
इलाहाबाद । गुरु जी कितने बजे स्कूल आए, उन्होंने किस कक्षा में क्या पढ़ाया और समाज के लोगों के प्रति उनका व्यवहार कैसा है? इन सवालों का जवाब न तो प्रधानाध्यापक देंगे, न बच्चे और न गांव या फिर शहरी बाशिंदे। अब ऐसे अन्य कई प्रश्नों का जवाब संकेतकों के जरिये मिल जाया करेगा। यह इंडीकेटर्स यहां तक जानकारी देंगे कि फलां शिक्षक को विषय का ज्ञान कितना है। ऐसे परफार्मेस इंडीकेटर्स तैयार किए जा रहे हैं।
किसी भी स्कूल में पठन-पाठन का माहौल बनाने और उम्दा शिक्षा देना शिक्षक के ऊपर ही निर्भर है। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षकों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। उनकी मोबाइल के जरिये हाजिरी चेक हो रही है और हर माह किस विषय में क्या पढ़ाना है इसका कैलेंडर जारी है। ऐसे ही कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर परिषदीय विद्यालय भी बच्चों का तिमाही टेस्ट ले रहे हैं। इतने सबके बावजूद शिक्षा की गाड़ी पटरी पर नहीं है। शायद इसीलिए राज्य शिक्षा संस्थान शिक्षकों का आकलन आसान करने की दिशा में कार्य कर रहा है। प्राचार्य दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि शिक्षकों के प्रदर्शन व प्रगति का आकलन करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान एवं एससीईआरटी उप्र की ओर से राज्य शिक्षा संस्थान से परफार्मेस इंडीकेटर्स तैयार कराए जा रहे हैं। मंगलवार को संस्थान में इस संबंध में कार्यशाला भी हुई।
बेसिक शिक्षा के अपर निदेशक विनय कुमार पांडेय ने कहा है कि शिक्षकों के प्रदर्शन में संकेतकों का विकास व उसके क्रियान्वयन की रूपरेखा शिक्षक, बच्चे व विद्यालय सभी के लिए उपयोगी होगी। यह कदम प्रारंभिक शिक्षा को नवीन दिशा प्रदान करेगा।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण पहल है। इससे शिक्षक अपनी उपलब्धि एवं प्रगति को जानकर स्वयं में सुधार करने में समर्थ होंगे। इसका उपयोग पर्यवेक्षक अधिकारी भी कर सकेंगे। समन्वयक नीलम मिश्र ने बताया कि विकसित किए जा रहे संकेतक शिक्षकों के कार्य एवं दायित्व के हर क्षेत्र मसलन, विषय ज्ञान व समझ, सीखने की रणनीति, शिक्षण अधिगम व मूल्यांकन प्रक्रिया, पारस्परिक संबंध, सामुदायिक सहभागिता, शिक्षक उपस्थिति आदि पर आधारित होगी।
राज्य शिक्षा संस्थान के प्रिंसिपल दिव्यकांत शुक्ला ने बताया कि परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स शिक्षकों के कार्य व दायित्व के हर क्षेत्र पर फोकस करेंगे। इसमें शिक्षकों के विषयज्ञान और समझ, सीखने की रणनीति, मूल्यांकन प्रक्रिया, पारस्परिक संबंध, सामुदायिक सहभागिता और उपस्थिति शामिल है। परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स शिक्षा के स्तर में सुधार लाने की एक महत्वपूर्ण पहल है। इन इंडिकेटर्स की मदद से शिक्षक भी अपनी उपलब्धि और प्रगति को जानकार स्वयं में सुधार ला सकेंगे। वहीं पर्यवेक्षक (सुपरविजन करने वाले) अधिकारियों द्वारा भी शिक्षकों की परफॉर्मेंस तय करने के लिए इनकी मदद ली जाएगी।
बने लर्निंग इंडिकेटर
बेसिक शिक्षा परिषद की एक से आठ तक की किताबों में पहली बार लर्निंग इंडिकेटर भी शामिल किए गए हैं। जिसके आधार पर अभिभावक फीडबैक देंगे कि बच्चों ने क्या सीखा है। लर्निंग इंडिकेटर का प्रारूप पहले राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान ने तैयार किया था जिसे परिषद से मंजूरी मिलने के बाद राज्य शिक्षा संस्थान ने मूर्त रूप देते हुए परिषद की सभी किताबों में शामिल किया है। नए प्रारूप को 2016-17 से पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
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