SURVEY : भारत सबको शिक्षा दिए जाने के लक्ष्यों को पाने से 50 साल पीछे, भारत में छह करोड़ से ज्यादा बच्चों को बहुत कम या बिल्कुल भी औपचारिक शिक्षा नहीं मिलती है जबकि देश में एक करोड़ 11 लाख बच्चे निम्न माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ देते हैं दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले ज्यादा - यूएन रिपोर्ट
मानस प्रतीम गोहेन, नई दिल्ली । भारत सबको शिक्षा दिए जाने के लक्ष्यों को पाने में 50 साल पीछे है। संयुक्त राष्ट्र की शैक्षिक संस्था यूनेस्को की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत प्राथमिक शिक्षा के मोर्चे पर 2050, निम्न माध्यमिक शिक्षा के मोर्च पर 2060 और उच्च माध्यमिक शिक्षा के मोर्चे पर 2085 तक अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकेगा।
ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग (जीईएम) रिपोर्ट कहती है कि भारत के लिए 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को पाना तभी संभव हो सकेगा जब शिक्षा के क्षेत्र में मौलिक बदलाव लाए जाएं। इसमें कहा गया है कि भारत में छह करोड़ से ज्यादा बच्चों को बहुत कम या बिल्कुल भी औपचारिक शिक्षा नहीं मिलती है जबकि देश में एक करोड़ 11 लाख बच्चे निम्न माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ देते हैं दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले ज्यादा है।
वहीं, उच्च माध्यमकि स्तर पर 4 करोड़ 68 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते जबकि 29 लाख बच्चे प्राथमिक स्तर के स्कूलों से दूर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 ऐसे 4 करोड़ कामगारों की कमी हो जाएगी जिन्होंने उच्च माध्यमिक तक शिक्षा प्राप्त की हो। जीईएम रिपोर्ट के डायरेक्टर ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में कहा, 'दुनिया को स्वस्थ्य बनाए बिना विकास का प्रयास का कुछ खास मायने नहीं होगा। इसलिए, सतत विकास के 2030 के एजेंडे में वैश्विक विकास और पर्यावरणीय लक्ष्य भी शामिल हैं।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में 40 प्रतिशत विद्यार्थियों को कोई एक ऐसी भाषा पढ़ायी जाती है जिसे वह नहीं समझते हैं। एक ओर जहां दुनिया के आधे देशों के स्कूली पाठ्यक्रमों में जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट रूप से जिक्र ही नहीं होता है, वहीं भारत में अभी 30 करोड़ विद्यार्थियों को पर्यवारण के बारे में शिक्षा मिल रही है।
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