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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

CHILDREN : एक किताब से दो बच्चों को पढ़ाएं, स्कूल बच्चों को रोजाना टाइम टेबल के हिसाब से बस्ता तैयार कर स्कूल आने के लिए प्रेरित करें

CHILDREN : एक किताब से दो बच्चों को पढ़ाएं, स्कूल बच्चों को रोजाना टाइम टेबल के हिसाब से बस्ता तैयार कर स्कूल आने के लिए प्रेरित करें

🌕 बस्ते के बोझ से राहत के लिए बताए उपाय

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: बस्ते के बढ़ते बोझ से विद्यार्थियों को राहत देने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूल, शिक्षक व अभिभावकों के लिए उपाय सुझाए हैं। इनमें शिक्षकों से कहा गया है कि वेदो-दो विद्यार्थियों के समूह तैयार करें और एक किताब से पढ़ाएं, ताकि एक बच्चे को प्रतिदिन आवश्यक आधी किताबे ही लाने की जरूरत रह जाए। इतना ही नहीं स्कूलों को कहा गया है कि वो पहली-दूसरी कक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए गृह कार्य का नियम लागू न करें इस तरह इन कक्षाओं के बच्चों को बस्ता लाने की जरूरत ही नहीं रह जाएगी।

सीबीएसई के निदेशक (एकेडमिक, ट्रेनिंग, रिसर्च एंड इनोवेशन) केके चौधरी की ओर से देशभर के स्कूल प्रमुखों लिखे गए पत्र में कहा गया है कि भारी होते बस्तों के बोझ के चलते विद्यार्थियों में कमर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कंधों में दर्द और रीढ़ की हड्डी पर भी असर पड़ रहा है जिसके प्रभाव से उनका सामान्य विकास भी प्रभावित हो सकता है। सीबीएसई के इस पत्र में भारी बस्ते से हो रही इन परेशानियों के निदान के लिए खासतौर पर स्कूल, शिक्षक व अभिभावक सभी को उपाय सुझाए गए हैं। जिससे सभी स्तर पर कार्रवाई हो। यहां बता दें कि हाल ही में एसोचैम की एक रिपोर्ट में भी सामने आया था कि 13 साल या इससे कम उम्र के 68 फीसद बच्चे बस्ते के बोझ से परेशान हैं और इन बच्चों ने पीठ में दर्द की शिकायत की है।

सुझाए गए उपायों में स्कूलों को कहा गया है कि वो अपने यहां बच्चों को रोजाना टाइम टेबल के हिसाब से बस्ता तैयार कर स्कूल आने के लिए प्रेरित करें और इसकी जांच भी स्कूल प्रबंधन समय -समय पर करता रहे। पहली, दूसरी कक्षा के बच्चों पर गृहकार्य की व्यवस्था लागू न करें, इससे इन बच्चों को बस्ता लाने की ही जरूरत नहीं रह जाएगी। इसी तरह पीने के पानी का उचित इंतजाम स्कूल करें ताकि बच्चों को पानी की बोतल न लानी पड़े और स्पोर्ट्स के कपड़े भी अलग से लाने की अनिवार्यता बच्चों पर लागू न की जाए।

यानी यदि स्पोर्ट्स के कपड़े पहनना जरूरी है तो उस दिन स्कूल ड्रेस से राहत दी जाए। शिक्षकों के स्तर पर सीबीएसई ने कहा कि वो कक्षाओं में बच्चों के जोड़े तैयार करें जिससे कि एक बच्चे को आधी किताबें और दूसरे के आधी किताबें लाने से पढ़ाई संभव हो सकेंगे। शिक्षक किताबों के बजाए पेपर शीट के माध्यम से बच्चों को पढ़ाएं। अभिभावकों से कहा कि बच्चों को रोजाना बस्ता तैयार करने के लिए प्रेरित करें।

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