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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

SUPREME COURT, SHIKSHAMITRA : भीड़ के कारण अधिक उम्मीदवारों की अर्जियों पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, वकीलों की भीड़ और उनके एक साथ बोलने के कारण जस्टिस दीपक मिश्रा ने गुस्से में कहा कि यह केस हाथ से निलकता जा रहा

SUPREME COURT, SHIKSHAMITRA : भीड़ के कारण अधिक उम्मीदवारों की अर्जियों पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, वकीलों की भीड़ और उनके एक साथ बोलने के कारण जस्टिस दीपक मिश्रा ने गुस्से में कहा कि यह केस हाथ से निलकता जा रहा

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट में शिक्षा मित्रों को आने से मना किया तो अब कोर्ट में वकीलों की बेतहाशा भीड़ से दमघोंटू हो गया है। मंगलवार को इसी भीड़ के कारण कोर्ट सुनवाई नहीं कर पाई और मामला स्थगित करना पड़ा।वकीलों की भीड़ और उनके एक साथ बोलने के कारण जस्टिस दीपक मिश्रा ने गुस्से में कहा कि यह केस हाथ से निलकता जा रहा है। सैकड़ों हस्तक्षेप अर्जियां (आईए) दायर हो गई हैं जिन पर सुनवाई करना मानवीय क्षमताओं से बाहर की बात है।

यह कहकर पीठ दो हजार से ज्यादा उम्मीदवारों की 70 से अधिक हस्तक्षेप अर्जियों को सुनवाई पर लेने से इनकार कर दिया।ये अजिर्यां शेष रह गई1100 टीईटी शिक्षकों की रिक्तियों में भर्ती करने के लिए सरकार को आदेश देने के वास्ते दायर की गई थीं।

ये अर्जियां मंगलवार को शिक्षामित्रों और टीईटी मामले से संबंधित 98 से ज्यादा सूचीबद्ध याचिकाओं के अतिरिक्त थीं। कोर्ट ने कहा कि 5 अक्तूबर को होने वाली सुनवाई में वह सिर्फ राज्य सरकार को सुनेंगे। कोर्ट ने सख्ती से कहा कि 5 अक्तूबर को सुनवाई में कोई वकील बीच में नहीं बोलेगा न ही 5 अक्तूबर तक कोई अंतरिम सुनवाई के लिए कोर्ट आएगा। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि वकील शक्तिवर्धक ओमेगा-3 कैप्सूल खाकर आएं क्योंकि उन्हें खड़ा रहना पडे़गा।

समय बचने पर ही उनकी सुनवाई की जाएगी वरना मामला समाप्त।गौरतलब है कि इससे पूर्व कोर्ट ने वकीलों से शिक्षामित्रों को कोर्ट में लाने से मना कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उनके आने से सुनवाई का माहौल बिगड़ जाता है।क्या करें मजबूरी हैअर्जी दायर करने वाले एक वकील ने कहा कि उनके पास 20 उम्मीदवारों की अर्जियां हैं लेकिन अब ये सब बेकार हो गई हैं।

उन्होंने कहा कि अर्जियां दायर करना उनकी मजबूरी है क्योंकि वे यदि उम्मीदवारों को समझाते हैं अर्जियों का कोई फायदा नहीं है तो वह दूसरे वकील के पास जाकर अर्जी दायर करवा लेते हैं। साथ ही यह कहते हैं कि वकील साब कानून नहीं जानते इसलिए मना कर रहे हैं।

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