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NEW EDUCATION POLICY, YOGA : राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2016 में शामिल किया गया प्रस्ताव, अब स्कूली शिक्षा में योग होगा अनिवार्य, हर पांच साल में शिक्षकों की भी होगी परीक्षा

NEW EDUCATION POLICY, YOGA : राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2016 में शामिल किया गया प्रस्ताव, अब स्कूली शिक्षा में योग होगा अनिवार्य, हर पांच साल में शिक्षकों की भी होगी परीक्षा

लखनऊ (डीएनएन)। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2016 के प्रस्तावों को मंजूरी मिली तो स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए स्कूली शिक्षा में योग को शामिल करने का सुझाव दिया गया है। पढ़ाई के अलावा बच्चों में एनसीसी, खेल-कूद, एनएसएस, बाल संसद, साहित्य, कला जैसी अन्य शैक्षिणिक गतिविधियों में शामिल होने की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा।शिक्षा नीति का जो प्रस्ताव तैयार किया गया है उसमें बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने का जिक्र किया गया है।

कहा गया है कि योग, खेल कूद सहित अन्य गतिविधियां अनिवार्य होंगी। इस व्यवस्था से यह तय है कि शैक्षिणिक गतिविधियों को पाठ्यक्रम और दैनिक कार्यों का अभिन्न अंग बनाया जाएगा। स्कूल की मान्यता के समय भी इन चीजों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। स्कूलों में सभी सह शैक्षिक क्त्रियाकलापों के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया जाएगा। स्वास्थ्य जांच के लिए स्कूलों में एक रोस्टर भी तैयार किया जाएगा। डिजिटल इंडिया पहल के तहत प्रत्येक बच्चे का रिकार्ड और स्थिति का पता लगाने के लिए ऐप तैयार होगा। प्रस्तावित नीति में स्कूल और विश्वविद्यालयों के स्तर पर संस्कृत के शिक्षण और अधिक उदार पैमाने पर सुविधाएं उपलब्ध कराने का भी सुझाव दिया गया है।

हर पांच साल में शिक्षकों की भी होगी परीक्षा : अब गुरुजनों की भी परीक्षा ली जाएगी। केंद्र सरकार ने शिक्षकों के लिए टीईटी और सीटीई को पहले ही अनिवार्य कर रखा है, जिसके प्रमाण पत्र की वैधता पांच साल की निर्धारित है। अब नई प्रस्तावित नीति में सबसे ज्यादा जोर गुणवत्ता पर दिया गया है। इसके तहत स्कूलों में पढ़ाने वाले गुरुजनों को भी लगातार खुद को अपडेट करना होगा। हर पांच साल में मूल्यांकन की व्यवस्था की जा रही है। इस परीक्षा से गुजरने के बाद ही गुरुजनों के प्रमोशन और अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी तय की जाएगी।

शिक्षाविद बोले, नई नीति में योग शामिल करना अच्छा : नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा में योग व संस्कृत को शामिल करना शिक्षाविदों ने अच्छा माना है। शिक्षाविद अजीज खान कहते हैं कि बच्चों के मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास जरूरी है। मानसिक विकास भी शारीरिक विकास पर ही निर्भर करता है। इस नई व्यवस्था को ठीक से लागू करा दिया जाता है तो बच्चों को काफी मदद मिलेगी। वहीं स्कूल संचालिक योगेंद्र कहते हैं कि हमारे योग को देश और दुनिया भर ने अपनाया है। शुरुआत से बच्चों को इनके प्रशिक्षण से भविष्य में काफी लाभ मिलेगा।

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  1. 📌 NEW EDUCATION POLICY, YOGA : राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2016 में शामिल किया गया प्रस्ताव, अब स्कूली शिक्षा में योग होगा अनिवार्य, हर पांच साल में शिक्षकों की भी होगी परीक्षा
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/08/new-education-policy-yoga-2016.html

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