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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

EDUCATION POLICY : नो डिटेंशन पॉलिसी पर मंथन, एचआरडी मंत्रालय के अधिकारी विधि मंत्रालय से करेंगे मशविरा

EDUCATION POLICY : नो डिटेंशन पॉलिसी पर मंथन, एचआरडी मंत्रालय के अधिकारी विधि मंत्रालय से करेंगे मशविरा

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय विधि मंत्रालय के अधिकारियों से ‘‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ पर र्चचा करने के लिए समय मांगा है, जिससे वे मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को इसकी कानूनी बारीकियों के बारे में अवगत करा सकें।

मंत्रालय में इस मामले में मंथन चल रहा है और किसी भी छात्र को आठवीं कक्षा तक फेल न किए जाने की नीति (नो डिटेंशन पॉलिसी) पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय चाहता है कि इसके लिए राइट टू एजुकेशन (आरटीई) एक्ट में बदलाव की लंबी प्रक्रिया से न गुजरना पड़े।सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने इस संबंध में एटार्नी जनरल से राय मांगी गई थी, लेकिन उनकी तरफ से यह कहा गया है कि पहले नए मंत्री से इस मसले पर उनकी राय जान ली जाए। मंत्रालय इस कोशिश में है कि कोई इस तरह का रास्ता निकलकर आए, जिससे कि बिना संसद की संस्तुति के ही इसमें आवश्यक बदलाव किया जा सके। एटार्नी जनरल से यह पूछा गया था कि क्या आरटीई एक्ट में बदलाव किए बिना भी नो डिटेंशन पॉलिसी को हटाया जा सकता है या इसमें बदलाव किया जा सकता है ।

क्योंकि एक्ट में बदलाव करने लिए अमेंडमेंट बिल को संसद के दोनों सदनों से पास करना होगा, जिसमें काफी वक्त लग जाएगा।मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने विधि मंत्रालय के अधिकारियों से र्चचा के लिए समय मांगा है। विधि मंत्रालय से इस मामले पर र्चचा के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री को वस्तुस्थिति से अवगत कराने के बाद ही इस मामले पर कोई निर्णय होगा। सूत्रों के मुताबिक अब एटार्नी जनरल ने मंत्रालय से कहा कि वह इस संबंध में पहले नए मंत्री की राय जान लें, क्योंकि जब मंत्रालय की तरफ से यह पूछा गया था, उस वक्त मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी थीं और अब यह जिम्मेदारी प्रकाश जावड़ेकर के पास है।

सूत्रों का कहना है कि जल्द ही एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों और विधि मंत्रालय के अधिकारियों की इस संबंध में बैठक होगी, जिसमें कानूनी पहलुओं पर र्चचा होगी। इसके बाद मंत्री को इसके कानूनी पहलुओं से अवगत कराया जाएगा और फिर एटार्नी जनरल की राय ली जा सकती है।दिल्ली, पंजाब, जम्मू-कश्मीर सहित ज्यादातर राज्य नो डिटेंशन पॉलिसी के खिलाफ हैं। इनका कहना है कि इसमें पढ़ाई प्रभावित हो रही है और गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है।

हालांकि गोवा, तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र इस नीति के समर्थन में हैं। उनका तर्क है कि इससे ड्रॉप आउट रेट में कमी आई है। टीएसआर सुब्रह्मण्यम समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि पांचवीं कक्षा तक इस नीति को जारी रखना चाहिए और छठीं कक्षा से छात्रों को पास होने के लिए दो अतिरिक्त मौके दिए जाने चाहिए और रेमिडियल क्लासेज का इंतजाम किया जाना चाहिए। मंत्रालय ने पहले ही सभी राज्यों को कहा गया है कि भले ही नो डिटेंशन पॉलिसी लागू है, लेकिन वह छात्रों की सालाना परीक्षा जारी रहनी चाहिए।


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1 Comments

  1. 📌 EDUCATION POLICY : नो डिटेंशन पॉलिसी पर मंथन, एचआरडी मंत्रालय के अधिकारी विधि मंत्रालय से करेंगे मशविरा
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/08/education-policy.html

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