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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

खेल-खेल में गणित में दक्ष बनेंगे नौनिहाल : राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने माड्यूल किया विकसित

खेल-खेल में गणित में दक्ष बनेंगे नौनिहाल : राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने माड्यूल किया विकसित

लखनऊ । अगस्त में यदि आप किसी परिषदीय स्कूल में जाएं और वहां शिक्षकों को गिट्टियों के ढेर, चॉक (लिखने वाली खड़िया) के टुकड़ों, माचिस की तीलियों से बनायी गईं आकृतियों और ब्लैकबोर्ड पर बनायी गई तस्वीरों के जरिये बच्चों को गिनती, जोड़-घटाव, गुणा-भाग सिखाते हुए देखें तो चौंकियेगा नहीं। बच्चों के बीच बोङिाल समङो जाने वाले गणित के गूढ़ विषय को आसान व मनोरंजक बनाने और उनमें इस विषय के प्रति रुचि पैदा करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग नई पहल करने जा रहा है।

रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी गतिविधियों के आधार पर बच्चों में शुरुआती गणितीय दक्षता विकसित करने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने माड्यूल विकसित किया है। इस मॉड्यूल के बारे में एससीईआरटी के निदेशक सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह ने बताया कि स्कूल में नाम लिखने से पहले एक बच्चे को यह मालूम होता है कि मनुष्य के चेहरे में दो आंखें, एक नाक व दो कान होते हैं। उसे बखूबी मालूम होता है कि उसका बड़ा भाई उससे लंबा है जबकि दुंधमुही बहन छोटी। उसे यह भी अहसास होता है कि थाली भारी होती है और चम्मच हल्का। बच्चा जन्म से ही गणित की अवधारणाओं को अपने परिवेश में सुनता है। धीरे-धीरे वह दूर-पास, हल्का-भारी, छोटा-बड़ा, ऊपर-नीचे, आगे-पीछे, मोटा-पतला के फर्क को समझने लगता है और अपने दैनिक जीवन में इनका इस्तेमाल भी करने लगता है।

बकौल सर्वेंद्र विक्रम, बच्चों के इस पूर्व ज्ञान को दैनिक जीवन की गतिविधियों से जोड़कर बच्चों को गणित में दक्ष बनाना ही इस मॉड्यूल का मकसद है। इस मॉड्यूल के तहत गणित की किसी अवधारणा को सबसे पहले बच्चों को ठोस मूर्त वस्तुओं के माध्यम से अनुभव कराया जाता है। फिर उसमें भाषा का प्रयोग करते हैं। ठोस वस्तु और भाषा को एक साथ जोड़कर बच्चों द्वारा समझ लेने पर चित्रों और उसके बाद प्रतीकों के माध्यम से गणित की अवधारणा को स्पष्ट किया जाता है। मसलन चार अमरूदों के समूह में तीन और मिलाये जाने पर बच्चा बड़े ढेर के सात अमरूदों की गिनती करने के साथ यह बखूबी समझ सकता है कि जोड़ने का मतलब मिलाना होता है। वहीं एक रोटी के दो और फिर चार टुकड़े करके बच्चों को यह अनुभव कराया जा सकता है कि भाग देने का अर्थ वास्तव में बांटना है।

फिलहाल हर जिले से चार प्रतिनिधियों को इस एससीईआरटी में इस मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी जा रही है। इनमें डायट के एक प्रवक्ता, जिला समन्वयक प्रशिक्षण और दो सह-ब्लॉक समन्वयक हैं। अब तक 40 जिलों के प्रतिनिधियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। शेष जिलों के प्रतिनिधियों को जुलाई में ट्रेनिंग दिलायी जाएगी। यह प्रतिनिधि अपने जिले में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को मॉड्यूल का प्रशिक्षण देंगे। अगस्त से गणित शिक्षण की इस विधि को स्कूलों में अपनाया जाने लगेगा।

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